भारतीय जनता पार्टी और चुनाव आयोग को छोड़ कर ऐसा लग रहा है कि पूरा देश ही बूथ लेवल अधिकारियों यानी बीएलओ की मौत और उनकी परेशानियों को लेकर चिंतित है। सबको महसूस हो रहा है कि उनके साथ ज्यादती हो रही है। उनके ऊपर काम का बहुत बोझ है। दोहरी जिम्मेदारी निभाने के कारण वे दबाव में हैं और इस वजह से आत्महत्या कर रहे हैं या उनकी जान जा रही है। पूरे देश में ऐसी अनेक घटनाएं हो चुकी हैं। अब तक नौ राज्यों में दो दर्जन से ज्यादा बीएलओ की मौत की खबर है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात जैसे भाजपा शासित राज्यों में सबसे ज्यादा बीएलओ की मौत हो रही है। अब राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ से जुड़े एक संगठन ने भी इस पर चिंता जताई है।
संघ से जुड़े शिक्षकों के संगठन अखिल भारतीय शैक्षणिक महासंघ, एबीएसएम ने बीएलओ की मौत पर चिंता जताई है। शिक्षकों से यह काम कराने और अत्यधिक दबाव में हो रही मौतों को लेकर चिंता जताते हुए एबीएसएम ने मृत शिक्षक बीएलओ को परिजनों के लिए एक करोड़ रुपए के मुआवजे की मांग की है। अब सवाल है कि यह मुआवजा कौन देगा? बीएलओ की नियोक्ता राज्य सरकार देगी या केंद्र सरकार देगी या चुनाव आयोग देगा? अभी तो कोई कुछ नहीं बोल रहा है। संघ से जुड़े संगठनों को भी मीडिया में इस तरह की मांग करने की बजाय सरकार और चुनाव आयोग पर दबाव डालना चाहिए कि बीएलओ पर ज्यादा बोझ नहीं डाला जाए।
