इस बार पश्चिम बंगाल की दुर्गापूजा भी खास हो रही है। एक तरफ ममता बनर्जी दुर्गापूजा समितियों को पहले से 30 फीसदी ज्यादा अनुदान दे रही हैं और हर पंजीकृत पंडाल को एक लाख 10 हजार रुपए दिए जा रहे हैं तो दूसरी ओर पूजा पंडालों में बांग्ला भाषियों के उत्पीड़न की थीम पर मां दुर्गा की मूर्तियां बन रही हैं और पंडाल डिजाइन किए जा रहे हैं। ध्यान रहे हर साल पश्चिम बंगाल की दुर्गापूजा के पंडालों में राज्य की जनता का मूड दिखाई देता है। जो भी लोकप्रिय धारणा होती है वह दुर्गापूजा के पंडालों और मूर्तियों से दिखाई जाती हैं। अगर इस बार बांग्ला भाषियों के उत्पीड़न का मामला हावी है तो इसका मतलब है कि लोकप्रिय भावना इससे प्रभावित हो रही है।
ध्यान रहे अगले साल पश्चिम बंगाल में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं और उससे पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बांग्ला भाषा और बांग्ला अस्मिता का मुद्दा बनाया है। उन्होंने देश के भाजपा शासित राज्यों में बांग्लादेशी के नाम पर बांग्ला बोलने वालों को प्रताड़ित करने का मुद्दा बनाया है। गौरतलब है कि राजधानी दिल्ली से लेकर एनसीआर के क्षेत्रों खास कर हरियाणा के गुरुग्राम और उत्तर प्रदेश के नोएडा में काफी बांग्ला भाषी लोग पकड़े गए हैं। एक मामले में तो दिल्ली पुलिसी ने बंग भवन को चिट्ठी भेज दी, जिसमें लिखा था कि बांग्लादेशी भाषा बोलने वाले लोग पकड़े गए हैं। इसे ममता बनर्जी ने बड़ा मुद्दा बनाया था। अगर बांग्ला भाषा का यह मुद्दा दुर्गापूजा पंडाल की थीम बन गया है तो यह भाजपा के लिए बड़ी चिंता की बात है।