भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और कई प्रदेशों में अध्यक्षों की नियुक्ति के साथ साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में भी बदलाव की चर्चा शुरू हो गई है। कहा जा रहा है कि मोदी की तीसरी सरकार के एक साल पूरे होने से पहले सरकार में फेरबदल होगी। मंगलवार, 15 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की थी और पिछले दिनों में पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेताओं के साथ प्रधानमंत्री की बैठक हुई है। इसके बाद ही सरकार में कैबिनेट फेरबदल की अटकलें तेज हो गईं। जानकार सूत्रों का कहना है कि इस साल बिहार में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं और उसके बाद अगले साल मई में पांच राज्यों के चुनाव हैं।
इन छह चुनावों को ध्यान में रख कर सरकार में फेरबदल हो सकती है। हर बार की तरह सरकार के कुछ लोगों के संगठन में भेजने की बात हो रही है। अभी संगठन में काम कर रहे कई वरिष्ठ नेता सरकार में हैं। जेपी नड्डा से लेकर सीआर पाटिल, सुकांत मजूमदार, जी किशन रेड्डी आदि संगठन और सरकार दोनों जगह हैं।
कैबिनेट फेरबदल में बिहार और झारखंड के बदलाव
बहरहाल, जानकार सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी की सरकार में बिहार से नए चेहरे आ सकते हैं। हालांकि यह पता नहीं है कि पुराने मंत्रियों में से किसी को हटाया जाएगा या नहीं। लोकसभा चुनाव से सबक लेकर भाजपा कुशवाहा समाज को महत्व देना चाहती है। इसके लिए भाजपा के सहयोगी राष्ट्रीय लोक मोर्चा के नेता उपेंद्र कुशवाहा को मंत्री बनाने की चर्चा हो रही है। वे पहले भी मोदी सरकार में राज्य मंत्री रहे हैं।
इसी तरह बिहार में राजपूत समाज की नाराजगी को देखते हुए एक राजपूत मंत्री बनाने की भी चर्चा है। ध्यान रहे पिछली दो सरकारों में बिहार से राधामोहन सिंह, आरके सिंह, राजीव प्रताप रूड़ी जैसा कोई न कोई ठाकुर मंत्री रहा। इस बार कोई नहीं है। उधऱ झारखंड में विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद भाजपा कुछ बदलाव करना चाहती है। तमिलनाडु में अगले साल चुनाव हैं और अध्यक्ष पद से हटाए गए पूर्व आईपीएस अधिकारीर के अन्नामलाई को दिल्ली लाने की चर्चा है। वे संगठन में आएंगे या सरकार में, कहा नहीं जा सकता है। पश्चिम बंगाल का प्रतिनिधित्व भी बढ़ाने
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