भारतीय जनता पार्टी के अंदर क्या सचमुच सब कुछ ठीक नहीं है या यह सिर्फ एक साजिश थ्योरी है, जो नरेंद्र मोदी और अमित शाह को नहीं पसंद करने वाले लोग फैला रहे हैं? दो बातें जंगल की आग की तरफ फैली हुई हैं। पहली बात तो यह है कि अगर 75 साल का होने पर नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद नहीं छोड़ा तो भाजपा के अंदर घमासान होगा और दूसरी बात यह है कि अगर योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश से हटाने की कोशिश हुई तो ऐसा भूकंप आएगा, जिससे दिल्ली की सत्ता हिल जाएगी। प्रधानमंत्री मोदी 75 साल का होने पर क्या करेंगे, इसका पता अगले महीने 17 अगस्त को चल जाएगा। अभी तक इस बात की दूर दूर तक कोई संभावना नहीं है कि राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ या भाजपा के कुछ नेताओं के किसी दबाव से मोदी प्रधानमंत्री पद छोड़ने वाले हैं। इसलिए वह ज्यादा दिलचस्पी का मामला नहीं है। लेकिन उत्तर प्रदेश में कुछ होने वाला है या हो सकता है और अगर हुआ तो भूकंप आएगा, यह चर्चा कई कारणों से दिलचस्प है।
इस चर्चा में दिलचस्पी इसलिए भी बढ़ गई है कि ठाकुर गोलबंदी अचानक बहुत तेज हो गई है। उत्तर प्रदेश में ठाकुर विधायकों की एक अहम बैठक हुई है, जिसमें 40 राजपूत एमएलए और एमएलसी शामिल हुए। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की 403 सदस्यों की विधानसभा में कुल 50 राजपूत सांसद हैं, जिनमें से 40 भाजपा के हैं। ठाकुर विधायकों की बैठक में समाजवादी पार्टी से बागी हुए दो विधायक भी शामिल थे और बसपा के इकलौते विधायक उमाशंकर सिंह भी शामिल हुए। इन सबने मिल कर एक नया संगठन बनाया, जिसे ‘कुटुम्ब परिवार’ नाम दिया गया। इसे एक सामाजिक पहल बताया गया है कि लेकिन असली कारण राजनीतिक है। यह भाजपा नेतृत्व पर दबाव बनाने की कोशिश ज्यादा दिख रही है। तभी सवाल है कि क्या सचमुच भाजपा का शीर्ष नेतृत्व योगी को बदलने के बारे में विचार कर रहा है? अगर ऐसी कोई बात नहीं है तो ठाकुर विधायकों का शक्ति प्रदर्शन क्यों और अगर है तो क्या इस तरह के उपाय से भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को रोका जा सकेगा?
इससे जुड़ी कुछ और बातें हैं, जिनको एक साथ मिल कर देखने पर इस मामले में दिलचस्पी और बढ़ जाती है। जैसे कांस्टीट्यूशन क्लब के चुनाव में राजीव प्रताप रूड़ी बनाम संजीव बालियान का मुकाबला हुआ, जिसमें बालियान को अमित शाह समर्थित बताया गया तो दूसरी ओर रूड़ी को योगी आदित्यनाथ का समर्थन मिलने की खबर है। बालियान उत्तर प्रदेश के हैं फिर भी कहा जा रहा है कि योगी ने उनका समर्थन नहीं किया, बल्कि बिहार के ठाकुर नेता रूड़ी को खुल कर समर्थन दिया। उनके अलावा दूसरे बेहद मजबूत ठाकुर नेता ब्रजभूषण शरण सिंह ने भी रूड़ी का साथ दिया।
इससे थोड़े दिन पहले ही योगी आदित्यनाथ और ब्रजभूषण शरण सिंह की मुलाकात हुई है। करीब 31 महीने के बाद दोनों नेता मिले और ब्रजभूषण शरण सिंह ने मीडिया के सामने कहा कि, ‘योगी बड़े हैं इसलिए वे झुके, उन्होंने बुलाया तो मैं मिलने गया’। सवाल है कि ऐसी क्या बात हो गई कि योगी ने ढाई साल के बाद ब्रजभूषण को बुलवाया? इन ढाई सालों में कुश्ती महासंघ और महिला पहलवानों के यौन शोषण को लेकर ब्रजभूषण कई किस्म के विवादों में फंसे रहे लेकिन योगी उनसे नहीं मिले और न सामने आकर उनकी मदद की। अचानक कुछ तो हुआ कि दोनों मिले और उसके बाद अलग अलग मंचों पर ठाकुर शक्ति का प्रदर्शन शुरू हुआ। प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति और मंत्रिमंडल में फेरबदल में देरी से भी यूपी को लेकर साजिश थ्योरी कुछ ज्यादा चर्चा में है।