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कालीगंज का नतीजा क्या कहता है?

ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस की उम्मीदवार अलीफा अहमद कालीगंज विधानसभा सीट पर उपचुनाव जीत गई हैं। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के आशीष घोष को 50 हजार वोट से हराया। कांग्रेस के उम्मीदवार काबिलउद्दीन शेख को 28 हजार वोट मिला। कांग्रेस उम्मीदवार को सीपीएम ने समर्थन दिया था। कालीगंज सीट तृणमूल कांग्रेस के विधायक के निधन से खाली हुई थी और पार्टी ने उनकी बेटी को उम्मीदवार बनाया था, जो जीती हैं। पिछली बार यानी 2021 के विधानसभा चुनाव में भी तृणमूल कांग्रेस और भाजपा को लगभग इतने ही वोट मिले थे। भाजपा का दावा है कि उसे हिंदुओं के 70 फीसदी से ज्यादा वोट मिले हैं। अगर ऐसा है तो यह तृणमूल कांग्रेस के लिए चिंता की बात होगी।

ध्यान रहे पश्चिम बंगाल में मुस्लिम आबादी 30 फीसदी के करीब है और हिंदू आबादी 70 फीसदी के करीब है। अगर हिंदू आबादी को 50 या 60 फीसदी वोट भी भाजपा को मिल जाए तो वह जीत की गारंटी नहीं है क्योंकि हिंदू वोट का 50 फीसदी हिस्सा भी कुल वोट का सिर्फ 35 फीसदी होगा। इसलिए भाजपा की जीत की गारंटी तब होगी, जब 60 से 70 फीसदी तक हिंदू वोट उसे मिले या मुस्लिम वोट में बड़ा बंटवारा हो। कालीगंज सीट पर उपचुनाव के बाद भाजपा विधायक दल के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा है कि कालीगंज में हिंदू बहुल 108 बूथ थे, जिनमें से 107 बूथों पर भाजपा को जीत मिली है यानी उसे तृणमूल कांग्रेस से ज्यादा वोट मिले हैं। हालांकि इसके बावजूद उसके वोट सिर्फ 28 फीसदी हैं। इसका मतलब है कि मुस्लिम बहुल इलाकों में पूरी तरह से एकतरफा वोट पड़े हैं। सो, अगर ममता को चिंता है कि हिंदू एकतरफा भाजपा की ओर जा रहे हैं तो भाजपा को चिंता है कि मुस्लिम बहुल इलाकों में हिंदुओं के वोट कैसे पड़ें और कैसे भाजपा को मिलें?

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