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यह कैसी भारत की विदेश नीति?

indian foreign policy

indian foreign policy: केंद्र सरकार का यह प्रचार बहुत जोर शोर से चलता है कि विदेश में भारत का डंका बज रहा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर को बहुत सफल बताया जाता है।

भाजपा के पूर्व सांसद सुब्रमण्यम स्वामी को छोड़ कर आमतौर पर लोग जयशंकर की आलोचना नहीं करते थे।

लेकिन अब विदेश मामलों के बड़े जानकार, जिनकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा है, वे भी सवाल उठा रहे हैं कि यह भारत की कैसी विदेश नीति है कि वह पड़ोस में ही अलग थलग होता जा रहा है। पड़ोस का कोई भी देश भारत का सम्मान नहीं कर रहा है।

पाकिस्तान के साथ तो खैर पहले से ही संबंध खराब थे लेकिन अब बांग्लादेश भी भारत को आंखें दिखा रहा है। तख्तापलट के बाद बिखरे हुए बांग्लादेश ने भी भारत को अपनी सीमा पर बाड़ेबंदी नहीं करनी दी।

उसने आपत्ति करके भारत को सीमा पर बाड़ लगाने से रोक दिया। सोचें, कोई भी देश किसी दूसरे देश को अपनी सीमा सुरक्षित करने के लिए बाड़ लगाने से कैसे रोक सकता है?

क्या मेक्सिको अमेरिका को बाड़ लगाने से रोक सकता है? लेकिन बांग्लादेश ने भारत को बाड़ेबंदी करने से रोक दिया।(indian foreign policy)

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नेपाल भी अब भारत से दूर(indian foreign policy)

नेपाल जैसा स्थायी दोस्त और पड़ोसी भी अब भारत से दूर चला गया। नेपाल के नए प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने परंपरा तोड़ कर पहली यात्रा पर चीन गए।

इससे पहले नेपाल का हर प्रधानमंत्री अपनी पहली विदेश यात्रा पर भारत आता था। ऐसे ही श्रीलंका की नौसेना भारतीय मछुआरों पर फायरिंग कर रही है।

इससे पहले मछुआरे उनकी सीमा में जाते थे तो उनको गिरफ्तार किया जाता था। लेकिन पिछले दिनों श्रीलंका की नौसेना ने फायरिंग कर दी, जिसमें कई मछुआरे घायल हुए।(indian foreign policy)

उधर मालदीव ने बहुत सफाई दी और उसके राष्ट्रपति भारत भी आ। उन्होंने भारत से अच्छा खासा अनुदान हासिल कर लिया और लगा कि वे भारत विरोधी रुख छोड़ रहे हैं तभी उन्होंने चीन के साथ मुक्त व्यापार संधि यानी एफटीए कर लिया। पहली संधि भारत के साथ होनी थी लेकिन मालदीव ने भी अपनी प्राथमिकता दिखा दी।

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