बिहार में विपक्षी पार्टियों के महागठबंधन में महाखटपट चल रही है। सारी पार्टियां अपनी अपनी ताकत दिखाने में लगी हैं। कोई सीटों की अपनी मांग से पीछे हटने को तैयार नहीं है। लेकिन ऐसा लग रहा है कि एक व्यावहारिक फॉर्मूला निकल रहा है, जिसके आधार पर सीट बंटवारा हो जाएगा। कहा जा रहा है कि प्रियंका गांधी वाड्रा की मोतिहारी रैली के बाद यानी 26 सितंबर के बाद किसी दिन सभी पार्टियां सीट बंटवारे पर मुहर लगाएंगी। जानकार सूत्रों का कहना है कि महागठबंधन में शामिल सभी पार्टियां अपनी पहले वाली मांग से पीछे हट रही हैं। राजद भी सीटें छोड़ने के लिए तैयार है और कांग्रेस भी। बताया जा रहा है कि सबसे बड़ा फायदा सीपीआई माले को होने जा रहा है, जिसकी सीटें बढ़ रही हैं। वह इकलौती पार्टी है, जिसकी सीटें बढ़ेंगी। यह भी कहा जा रहा है कि इंडियन इन्कलाब पार्टी बनाने वाले आईपी गुप्ता को भी कांग्रेस साथ लेने पर राजी हो गई है।
सो, अब जो फॉर्मूला बन रहा है उसके मुताबिक राष्ट्रीय जनता दल ऐतिहासिक रूप से सबसे कम सीटों पर लड़ेगी। उसे 130 के आसपास सीटों पर लड़ना है। पिछली बार वह 144 सीट पर लड़ी थी। कांग्रेस 55 से 60 के बीच रहेगी और इसमें आईपी गुप्ता की पार्टी भी एडजस्ट होगी। उनको दो या तीन सीटें मिल सकती हैं। अगर वे तीन सीट पर राजी होते हैं तो कांग्रेस 55 सीट लड़ेगी। जानकार सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के दो से तीन उम्मीदवार राजद की टिकट पर चुनाव लड़ेंगे। सीपीआई माले की सीटें 19 से बढ़ कर 27 तक पहुंचेंगी। गौरतलब है कि माले प्रमुख दीपांकर भट्टाचार्य ने पिछले दिनों कहा था कि उनकी पार्टी 12 जिलों में पिछली बार लड़ी थी और इस बार 20 जिलों में लड़ना चाहती है। उनकी बात सुनी गई है। सीपीआई पहले की तरह छह और सीपीएम चार सीटों पर लड़ेगी। मुकेश सहनी की पार्टी को अधिकतम 15 सीटें मिलने की बात हुई है। पशुपति पारस को दो और हेमंत सोरेन की पार्टी को दो सीटें मिल सकती हैं।