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कर्नाटक में भाजपा को भी नेता चुनने में मुश्किल

कांग्रेस पार्टी को कर्नाटक में मुख्यमंत्री तय करने में मुश्किल हुई है तो ऐसा नहीं है कि भाजपा के लिए नेता का चुनाव आसान है। भाजपा को नई विधानसभा में विधायक दल का नेता तय करना है और नए प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव करना है। कर्नाटक के प्रदेश अध्यक्ष नलिन कुमार कतिल का कार्यकाल पिछले साल समाप्त हो गया है लेकिन चुनाव की वजह से उनका कार्यकाल आगे बढ़ाया गया था। इसलिए अब जल्दी से जल्दी प्रदेश में भाजपा को नया अध्यक्ष नियुक्त करना है। लेकिन यह काम भाजपा के लिए आसान नहीं होगा। उसे विधायक दल के नेता और प्रदेश अध्यक्ष के बीच लिंगायत और वोक्कालिगा का संतुलन भी बनाना है।

अगर निवर्तमान मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को विधायक दल का नेता बनाया जाता है तो वे लिंगायत समुदाय से आते हैं और तब भाजपा वोक्कालिगा समुदाय से किसी को अध्यक्ष बनाएगी। पहले पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री सीटी रवि के नाम की चर्चा थी। लेकिन वे चिकमगलूर सीट से विधानसभा का चुनाव हार गए हैं। सो, उनकी संभावना कमजोर हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश के सबसे बड़े भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा की करीबी और केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे का नाम प्रदेश अध्यक्ष के लिए चर्चा में है। उनके सहारे येदियुरप्पा प्रदेश की राजनीति पर अपना कंट्रोल बनाए रख सकते हैं।

थोड़े समय के बाद येदियुरप्पा अपने बेटे बीवाई विजयेंद्र को प्रदेश अध्यक्ष बनवाने का प्रयास करेंगे। वे प्रदेश के उपाध्यक्ष रहे हैं और अपने पिता के उत्तराधिकारी के तौर पर उनकी पारंपरिक शिकारीपुरा सीट से विधायक बने हैं। फिलहाल शोभा करंदलाजे के साथ साथ अश्वथ नारायण, सुनील कुमा और महेश टेंगिकाई के नाम की भी चर्चा है। ध्यान रहे प्रदेश के ज्यादातर बड़े नेता किसी न किसी वजह से सक्रिय राजनीति से दूर हो गए। बीएस येदियुरप्पा ने चुनावी राजनीति से संन्यास ले लिया। केएस ईश्वरप्पा को पार्टी ने टिकट नहीं दिया। जगदीश शेट्टार और लक्ष्मण सावदी पार्टी छोड़ कर कांग्रेस में जा चुके हैं। इसलिए पार्टी को नया नेता आगे करना है।

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