Naya India-Hindi News, Latest Hindi News, Breaking News, Hindi Samachar

मुसलमानों को साधने की राजनीति

भारतीय जनता पार्टी सचमुच मुसलमानों को साधने की राजनीति कर रही है या मुसलमानों के प्रति सद्भाव दिखा कर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई मैसेज बनवाने की राजनीति कर रही है? यह सवाल इसलिए है क्योंकि भाजपा के 303 लोकसभा और 92 राज्यसभा सांसदों में एक भी मुस्लिम नहीं है। केंद्र सरकार में एक भी मुस्लिम मंत्री नहीं है। डेढ़ हजार से ज्यादा विधायकों में एक भी मुस्लिम नहीं है और राज्यों में भी सिर्फ एक मंत्री है। लेकिन अकेले उत्तर प्रदेश विधान परिषद में भाजपा के चार मुस्लिम विधान पार्षद हो गए हैं। यह रिकॉर्ड संख्या है। सपा के भी सिर्फ दो मुस्लिम विधान पार्षध हैं।

उत्तर प्रदेश विधान परिषद में भाजपा के तीन मुस्लिम पार्षद- दानिश आजाद, मोहसिन रजा और भुक्कल नवाब पहले से थे। अब उसने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर तारिक मंसूर को भी मनोनीत किया है। इस तरह यह संख्या चार हो गई है। बिहार में भी सैयद शाहनवाज हुसैन विधान परिषद के सदस्य हैं। बहरहाल, तारिक मंसूर को मनोनीत करने के घटनाक्रम के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुस्लिम धर्मगुरुओं से मुलाकात की और इस मुलाकात के बाद एक मुस्लिम धर्मगुरू ने कहा कि ये अमित शाह बिल्कुल अलग थे।

इसी तरह पिछले दिनों पद्म श्री पुस्कार मिलने के बाद कर्नाटक के एक शिल्पकार शाह रशीद अहमद कादरी ने प्रधानमंत्री से कहा- मैं यूपीए सरकार के दौरान पद्म पुरस्कार की उम्मीद कर रहा था, लेकिन मुझे यह नहीं मिला। जब आपकी सरकार आई, तो मैंने सोचा था कि अब भाजपा सरकार मुझे कोई पुरस्कार नहीं देगी। लेकिन आपने मुझे गलत साबित कर दिया। मैं आपका तहेदिल से आभार व्यक्त करता हूं। इन घटनाओं से लग रहा है कि किसी न किसी स्तर पर भाजपा में मुस्लिम समुदाय को जोड़ने का काम चल रहा है।

Exit mobile version