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अमरिंदर वाली गति को प्राप्त होंगे आजाद

कांग्रेस छोड़ कर अलग आजाद कश्मीर पार्टी बनाने वाले गुलाम नबी आजाद को लेकर अभी जिस तरह की चर्चा हो रही है कोई डेढ़ साल पहले उसी तरह की चर्चा पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री केप्टेन अमरिंदर सिंह को लेकर भी हो रही थी। उन्होंने भी कांग्रेस छोड़ी थी और पंजाब लोक कांग्रेस नाम से पार्टी बनाई थी। पिछले साल यानी 2022 के फरवरी के चुनाव के लिए भाजपा ने उनकी पार्टी के साथ तालमेल किया था। लेकिन अंत नतीजा क्या निकला? कैप्टेन की पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली और भाजपा दो सीट पर रह गई, जबकि पंजाब में उसके तीन सांसद हैं। चुनाव में इस बेहद बुरे नतीजे के बाद कैप्टेन थोड़े समय देश से बाहर रहे और लौट कर आए तो अपनी पार्टी का विलय भाजपा में कर दिया। उसके बाद से कहीं राज्यपाल बनने की आस लगाए बैठे हैं।

गुलाम नबी आजाद वही कहानी दोहरा रहे हैं। जम्मू कश्मीर में चुनाव होने वाले हैं। उससे पहले उन्होंने अलग पार्टी बनाई है। यह नहीं कहा जा सकता है कि उनकी पार्टी के साथ भाजपा का तालमेल होगा क्योंकि ऐसा करने पर उनके अलग पार्टी बनाने का मकसद पूरा नहीं होगा। इसलिए अंदरखाने एडजस्टमेंट संभव है। उनका इस्तेमाल पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस का वोट काटने के लिए होगा। ज्यादा संभावना है कि कैप्टेन की तरह वे भी कोई सीट नहीं जीत पाएंगे और भाजपा को भी खास फायदा नहीं पहुंचा पाएंगे। उसके बाद हो सकता है कि वे पार्टी का विलय भाजपा में कर दें और राज्यपाल बनने का इंतजार करें। अलग पार्टी बना कर वे जो राजनीति कर रहे हैं वह कुल मिला कर अगले साल लोकसभा चुनाव कर चलने वाली है।

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