gulam nabi azad

  • बिकने में हमारा सस्तापन!

    जरा हजार साला भारत इतिहास को याद करें! दिल्ली की सत्ता, बादशाहों, गवर्नर जनरलों को ललकारने वाले कितने ‘बुद्धिमान’ हुए? अर्थात दिल्ली के श्रेष्ठि-अमीर और लेखक, विद्वान वर्ग में कितने लोग बादशाह हुकुम से भिड़ने वाले हुए? याद करें इंदिरा गांधी के आपातकाल के समय को? क्या तब निर्भयी बुद्धि की मशालें थीं? तब भी लुटियन दिल्ली के “काले कौवों” की जमात का सत्य खुला कि– झुकने के लिए कहा था और रेंगने लगे! यही शशि थरूरों का, भारत का सार है। सत्तावान की आरती उतारना, उसके साथ फोटो खिंचाना, उससे कुछ खैरात, कोई ओहदा पाना देश का एक सामान्य...

  • कांग्रेस की गलतियां, बर्बादी की ‘सुपारी’

    कांग्रेस जिस अंदाज से चुनाव मैदान में उतरी है उसे देखते हुए तो यही माना जा सकता है कि बहुत ही ‘खूबसूरती’ के साथ उसके साथ एक ऐसा ‘खेला’ हो चुका है कि अब कोई बड़ा ‘चमत्कार’ ही उसे चुनाव परिणामों में सम्मानजनक स्थान दिला सकता है।  जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस ने एक नही कईं सारे ‘सेल्फ गोल’ एक साथ कर लिए हैं। कोई माने या न माने चुनाव में पार्टी बुरी तरह से पिछड़ती नज़र आ रही है। जिस अनमने ढंग से कांग्रेस जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव लड़ रही है उसे देखते हुए ऐसा लगता है मानों किसी ने जम्मू-कश्मीर में...

  • हताश और हारे गुलाम नबी!

    खराब सेहत को एक बड़ा कारण बता कर राजनीति के ‘दिग्गज’ खिलाड़ी कहे जाने वाले गुलाम नबी आज़ाद ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव से ऐन पहले अपने आप को चुनाव से अलग करने का ऐलान कर दिया है। ऐसा करते समय उन्होंने अपनी पार्टी के चुनाव लड़ने जा रहे साथियों को एक सलाह भी दे दी कि अगर वे चाहें तो वे चुनाव मैदान से हट भी सकते हैं।... अपने लाभ के लिए दूसरों का इस्तेमाल करना और फिर उन्हें छोड़ देना, यह कला आज़ाद से बेहतर दूसरा कोई नही जान सकता। जैसी संभावना थी ठीक वैसा ही हुआ, गुलाम नबी...

  • आजाद की पार्टी के चार उम्मीदवार मैदान से हटे

    श्रीनगर। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद की डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी धीरे धीरे चुनाव से बाहर हो रही है। पहले चरण के लिए नामांकन करने वाले आजाद की पार्टी के 10 उम्मीदवारों में से चार ने नाम वापस ले लिए हैं। आजाद का गढ़ कहे जाने वाले डोडा, रामबन और किश्तवाड़ क्षेत्र के ही उम्मीदवारों ने नाम वापस लिए हैं। इस क्षेत्र में अब सिर्फ अब्दुल मजीद वानी ही डोडा विधानसभा क्षेत्र में आजाद की पार्टी के उम्मीदवार बचे हैं। गौरतलब है कि तीन दिन पहले आजाद ने खराब सेहत का हवाला देते हुए विधानसभा चुनाव में...

  • गुलाम नबी, कमलनाथ जैसों का क्या ईमान-धर्म?

    अहसानफरामोश तो अहसानफरामोश ही होता है। जिस कांग्रेस ने सब कुछ दिया, या इसको जम्मू कश्मीर के कांग्रेसी ऐसे भी कहते हैं कि क्या नहीं दिया तो जबउन्होंने कांग्रेस को नहीं बख्शा तो फारुख अब्दुल्ला को स्पेयर करने कासवाल ही नहीं!...कमलनाथ अकेले नहीं हैं। वे अब जाएं या भाजपा द्वारा न लिएजाएं उससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। उन्होंने अपना अवसरवादी चेहरा दिखादिया। इतना तो 2019 में राहुल गांधी को नहीं मनाया गया था जितना कमलनाथ को कांग्रेस नेता ने अभी मना रहे हैं।कांग्रेसियों ने सारे दावे कर दिए है कि वे नहीं जा रहे। मगर उनके श्रीमुख से अभी...

  • साल भर में ही अकेले, अलग-थलग आज़ाद

    किसी समय देश की राजनीति में बेहद ताकतवर माने जाने वाले गुलाम नबी आज़ाद एक ही वर्ष में गुमनामी में खोने लगे हैं।... आज़ाद कभी भी ताकतवर ज़मीनी नेता नही थे। लगातार दिल्ली में सत्ता में रहने के कारण ताकतवर नेता का लबादा तो उन्होंने ओढ़े रखा था मगर वास्तविकता में ज़मीनी राजनीति से उनका कभी भी कोई लेना-देना नहीं रहा। गलती कांग्रेस की भी रही है कि उसने खुद आज़ाद का कद इतना बड़ा बना दिया था कि एक समय दिल्ली में यह भ्रम सभी को हो चुका था कि आज़ाद बहुत ही ताकतवर नेता हैं।...बड़े-बड़े बुद्धिजीवियों व पत्रकारों,...

  • अमरिंदर वाली गति को प्राप्त होंगे आजाद

    कांग्रेस छोड़ कर अलग आजाद कश्मीर पार्टी बनाने वाले गुलाम नबी आजाद को लेकर अभी जिस तरह की चर्चा हो रही है कोई डेढ़ साल पहले उसी तरह की चर्चा पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री केप्टेन अमरिंदर सिंह को लेकर भी हो रही थी। उन्होंने भी कांग्रेस छोड़ी थी और पंजाब लोक कांग्रेस नाम से पार्टी बनाई थी। पिछले साल यानी 2022 के फरवरी के चुनाव के लिए भाजपा ने उनकी पार्टी के साथ तालमेल किया था। लेकिन अंत नतीजा क्या निकला? कैप्टेन की पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली और भाजपा दो सीट पर रह गई, जबकि पंजाब में...

  • आजाद को सचमुच बंगले की चिंता!

    गुलाम नबी आजाद को क्या सचमुच अपने बंगले की चिंता है, जिसकी वजह से वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खुल कर तारीफ कर रहे हैं और सोनिया व राहुल गांधी को निशाना बना रहे हैं? इसमें संदेह नहीं है कि कोई इतना बड़ा नेता सिर्फ बंगले की चिंता में अपनी पूरी राजनीति दांव पर नहीं लगाता है। इसलिए बंगले के साथ साथ कुछ और भी राजनीतिक कारण हैं। लेकिन बंगला और सुरक्षा ये दो मुख्य कारण हैं। असल में गुलाम नबी आजाद के पास दिल्ली के साउथ एवेन्यू में तो बंगला है ही जम्मू कश्मीर में भी एक बंगला है।...

  • भाजपा का मिशन राहुल अभी पूरा नहीं हुआ

    भारतीय जनता पार्टी का मिशन राहुल अभी पूरा नहीं हुआ है। उनकी लोकसभा की सदस्यता समाप्त हो गई है और वे कई तरह के कानूनी मुकदमों में उलझे हैं। सोशल मीडिया के प्रचार के जरिए राहुल को पप्पू और मंदबुद्धि साबित किया जा चुका है। इसके बावजूद उनके ऊपर काम चल रहा है। गुलाम नबी आजाद का ताजा बयान इसकी मिसाल है। ध्यान रहे राहुल गांधी पर हमला करके राहुल गांधी को कुछ हासिल नहीं होना है। उन्होंने जब कांग्रेस छोड़ी थी तभी पांच पन्नों की एक चिट्ठी सोनिया गांधी को लिखी थी और उस समय प्रेस कांफ्रेंस करके उन्होंने...

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