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राहुल को बंगला खाली करने की जल्दी

कांग्रेस नेता राहुल गांधी को अपना सरकारी आवास 12, तुगलक लेन खाली करने की जल्दी है। ऐसा लग रहा है कि वे खुद ही बेचैन हैं कि कितनी जल्दी बंगला खाली कर दें। आमतौर पर नेता बंगला बचाने के लिए कुछ भी करते हैं। लेकिन राहुल के पास 22 अप्रैल तक का समय है और अगर वे चाहें तो बंगला बच भी सकता है। लेकिन वे बचाने की बजाय छोड़ने में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं। इसका स्पष्ट कारण तो यह है कि उनके राजनीतिक सलाहकारों ने उनको समझाया है कि बंगला छोड़ दें तो वे महर्षि दधीचि की श्रेणी के त्यागी माने जाएंगे और इससे उनको बहुत राजनीतिक लाभ होगा।

असल में उनके सलाहकार किसी तरह से उनकी शहादत कराना चाहते हैं। अगर 22 मार्च को सूरत कोर्ट से सजा होने के तुरंत बाद सजा के खिलाफ अपील हो जाती तो अब तक उनकी सजा पर रोक लग गई होती, सदस्यता भी बहाल हो जाती और बंगला खाली करने की बात ही नहीं आती। लेकिन राहुल के करीबी नेताओं की टीम चाहती है कि यह विवाद चलता रहे। जितनी देर तक सदस्यता बहाल नहीं होगी या बंगला खाली हो जाएगा तो सहानुभूति होगी। यह बड़ा पुराना और घिसा-पिटा दांव है। अभी यह करने की बजाय कांग्रेस और राहुल गांधी को कर्नाटक के चुनाव में जुटना चाहिए था। मल्लिकार्जुन खड़गे को कांग्रेस अध्यक्ष बने छह महीने हो गए हैं, उनकी टीम बनवानी चाहिए थी। कांग्रेस संगठन को मजबूत करने के लिए काम करना चाहिए था। यह सही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी टीम भी इस तरह के भावनात्मक दांव खेलती है लेकिन उसे लोगों तक पहुंचाने के लिए उन्होंने दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी खड़ी की है। राहुल की टीम पार्टी नहीं बना रही है, भावनात्मक दांव खेल रही है।

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