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कर्नाटक में आखिरी चुनाव का भावनात्मक दांव

कर्नाटक में विधानसभा चुनाव का ऐलान हो गया है। 10 मई को चुनाव होंगे और 13 मई को नतीजे आएंगें। इस बार कर्नाटक विधानसभा चुनाव की एक खास बात यह है कि तीन पार्टियों के तीन सबसे बड़े नेताओं का यह आखिरी चुनाव होने वाला है। या कम से कम इन तीनो नेताओं ने इसे आखिरी चुनाव के तौर पर प्रचारित किया है। भाजपा के दिग्गज बीएस येदियुरप्पा खुद चुनाव नहीं लड़ रहे हैं लेकिन 80 साल के येदियुरप्पा भाजपा को चुनाव लड़वा रहे हैं। लिंगायत असर वाले इलाकों में इसे उनके आखिरी चुनाव के तौर पर प्रचारित किया जा रहा है। उन्होंने अपनी पारंपरिक शिकारीपुरा विधानसभा सीट पर अपने बेटे बीवाई विजयेंद्र को उत्तराधिकारी घोषित कर दिया है और वहां के लोगों से उनके जिताने की अपील की है। वे अपने बेटे को सिर्फ विधायक नहीं बनाना चाहते हैं, बल्कि लिंगायत समुदाय में भी अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहते हैं।

कांग्रेस के सबसे दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने ऐलान किया है कि यह उनका आखिरी चुनाव है। वे अपनी पारंपरिक वरुणा सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। अपना आखिरी चुनाव बता कर उन्होंने भावनात्मक दांव चला है। यह दांव फिर से कांग्रेस के जीतने पर मुख्यमंत्री बनने के लिए है। प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार इस दांव को समझ रहे हैं। तीसरे बड़े नेता एचडी देवगौड़ा हैं। उनकी उम्र 90 साल हो गई है। वे पिछली बार लोकसभा का चुनाव हार गए थे। इस बार उनकी पार्टी जेडीएस इस चुनाव को उनका आखिरी चुनाव बता कर प्रचार कर रही है। वोक्कालिगा समुदाय को एकजुट रखने के लिए देवगौड़ा के आखिरी चुनाव का दांव चला गया है। गौरतलब है कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार भी वोक्कालिगा समुदाय के हैं और उनके समर्थक उनके मुख्यमंत्री बनने का प्रचार कर रहे हैं। ऐसे में वोक्कालिगा वोट टूटने की संभावना है। जेडीएस के नेता अपना कोर वोट टूटने से बचाने के लिए देवगौड़ा के आखिरी चुनाव का दांव चल रहे हैं।

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