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ऋषभ पंत : भारतीय क्रिकेट टीम के ‘योद्धा’, जिन्होंने किसी भी परिस्थिति में नहीं मानी हार

Leeds [England], Jun 23 (ANI): India's Rishabh Pant celebrates his century during day 4 of the 1st test match against England, at Headingley Cricket Ground in Leeds on Monday. (@BCCI X/ANI Photo)

भारतीय विकेटकीपर-बल्लेबाज ऋषभ पंत सही मायनों में महेंद्र सिंह धोनी के उत्तराधिकारी साबित हुए हैं। शानदार विकेटकीपिंग, आक्रामक बल्लेबाजी अंदाज और तेजी से रन बनाने की क्षमता के लिए पहचाने जाने वाले पंत ने कई महत्वपूर्ण मैचों में टीम इंडिया को जीत दिलाई है। ऋषभ पंत एक भयानक हादसे से भी गुजरे, लेकिन हर परिस्थिति में लड़ने की क्षमता उन्हें एक ‘योद्धा’ बनाती है। 

30 दिसंबर 2022… दिल्ली-देहरादून राजमार्ग पर ऋषभ पंत की तेज रफ्तार कार एक डिवाइडर से टकराकर पलट गई। पंत इस कार के अंदर ही थे। इसी बीच रजत कुमार और निशु कुमार नामक दो युवकों ने विंडस्क्रीन तोड़कर भारत के इस खिलाड़ी की जान बचाई। घटना इतनी भयावह थी कि हादसे के बाद कार में भीषण आग लग गई।

इस हादसे में पंत के सिर, पैर और पीठ पर चोटें आई। रिकवरी के लिए उन्हें करीब 14-15 महीनों का वक्त लगा। यह निजी तौर पर तोड़ने वाला भयावह अनुभव था। चोट उनके पूरे करियर को खत्म कर सकती थी और रिकवरी का रास्ता बहुत लंबा था, लेकिन पंत की प्रतिबद्धता, समर्पण और जुनून ने उन्हें फिर से खेल के मैदान पर वापस लाकर खड़ा कर दिया।

5 जून 2024 को आयरलैंड के खिलाफ इस विकेटकीपर-बल्लेबाज ने एक बार फिर भारतीय टीम में वापसी की। ये ‘ऋषभ पंत 2.0’ थे! जिन्होंने हादसे के बाद मैदान पर वापसी करते हुए 26 गेंदों में 2 छक्कों और 3 चौकों की मदद से 36 रन की नाबाद पारी खेली। करीब 46 मिनट मैदान पर टिके रहकर इस खिलाड़ी ने भारत को जीत दिलाई।

पंत ने इस मुकाबले में न सिर्फ बल्ले से, बल्कि बतौर विकेटकीपर भी अपना शत प्रतिशत दिया। उन्होंने दो खिलाड़ियों को विकेट के पीछे कैच आउट किया, जबकि एक बल्लेबाज को रन आउट कराने में अहम भूमिका निभाई।

ऋषभ पंत ने हादसे के बाद वापसी करने के बाद अब तक वनडे फॉर्मेट में 10 मैच खेले, उससे ज्यादा टेस्ट मुकाबलों में देश के लिए लड़ाई लड़ी।

इस हादसे के बाद से अब तक पंत भारत के लिए 14 टेस्ट खेल चुके हैं, जिसमें कई जुझारू पारियां खेलते हुए देश को मैच जिताए हैं। उनका टेस्ट प्रदर्शन एक बार फिर भी यह याद नहीं दिलाता कि उनका भयानक एक्सीडेंट हुआ था। पंत के खेलने का अंदाज अभी भी निडर और बेबाक है, जो आधुनिक टेस्ट क्रिकेट में नया रोमांच पैदा करता है।

अपनी बल्लेबाजी के दम पर ही दर्शकों को मैदान में खींचने की क्षमता रखने वाले पंत ने सितंबर 2024 में टेस्ट फॉर्मेट में वापसी करते हुए बांग्लादेश के खिलाफ दूसरी पारी में 128 गेंदों में 109 रन की पारी खेली। उन्होंने भारत को 280 रन से जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई। इसके बाद न्यूजीलैंड के विरुद्ध महज 1 रन से शतक चूके।

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इंग्लैंड दौरे पर इस विकेटकीपर-बल्लेबाज से देश को खासी उम्मीदें थीं। पंत इस उम्मीद पर खरा उतरे भी। लीड्स में खेले गए सीरीज के पहले ही टेस्ट मैच की दोनों पारियों में पंत ने शतक (134 और 118 रन) जमाए। इस मुकाबले में पंत ने अकेले दम पर 252 रन टीम के खाते में जोड़े, लेकिन भारत मैच नहीं जीत सका।

पंत को इस हार का मलाल था। उन्होंने बर्मिंघम में 25 और 65 रन की पारी खेली और भारत ने 336 रन से मैच जीतते हुए सीरीज में 1-1 से बराबरी कर ली। इसके बाद पंत ने तीसरे मुकाबले में 74 और 9 रन बनाए, विकेटकीपिंग में भी अहम योगदान दिया, लेकिन भारत 22 रन के करीबी अंतर से मैच गंवा बैठा।

पंत मैनचेस्टर में खेले गए चौथे टेस्ट में उतरे। इस बार टीम इंडिया किसी भी हाल में इस मुकाबले को गंवाना नहीं चाहती थी। भारतीय टीम के हर एक खिलाड़ी ने अपना शत प्रतिशत दिया, लेकिन इसी बीच पंत चोटिल हो गए।

क्रिस वोक्स की गेंद पर रिवर्स स्वीप खेलते हुए पंत चोटिल हुए। इस गेंद से उनके पैर की अंगुली में फ्रैक्चर आ गया और पंत दर्द से तड़पते हुए मैदान से बाहर लौटे। सभी को लगा कि अब पंत इस सीरीज में आगे नहीं खेल सकेंगे।

दाहिने पैर में चोट के बावजूद पंत अगले दिन फिर से बल्लेबाजी के लिए उतरे। जब धीमे-धीमे कदमों से पंत क्रीज की ओर बढ़ रहे थे, तो मैदान में मौजूद हर एक फैन उनके लिए तालियां बजा रहा था।

हकीकत यह थी कि पंत के लिए चलना बेहद मुश्किल था, लेकिन किसी तरह वह क्रीज तक पहुंचे और बल्लेबाजी शुरू की। इंग्लैंड के तेज गेंदबाज उनके उसी पैर को निशाना बना रहे थे, जिसमें पंत को चोट लगी थी, लेकिन भारत को हार से बचाने के लिए पंत क्रीज पर डटे रहे। उन्होंने अपना अर्धशतक पूरा किया। इस पारी में पंत ने 75 गेंदों का सामना करते हुए 2 छक्कों और 3 चौकों के साथ 54 रन बनाए। आखिरकार, टीम इंडिया मैच ड्रॉ करवाने में कामयाब रही।

4 अक्टूबर 1997 को हरिद्वार में जन्मे इस ‘योद्धा’ की कहानी बेहद प्रेरणादायक है। 12 साल की उम्र में पंत ने क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। उन्होंने दिल्ली के सोनेट क्रिकेट एकेडमी में एडमिशन लिया। जब पहली बार दिल्ली आए, तो मां के साथ एक गुरुद्वारे में रात बिताई। पंत जब दिल्ली आते, तो इसी तरह अपने दिन गुजारते, ताकि परिवार पर आर्थिक बोझ कम से कम पड़े।

आईपीएल 10 में ऋषभ पंत दिल्ली डेयरडेविल्स के लिए खेल रहे थे। इसी बीच पिता के निधन की खबर आई। पंत अपने गृहनगर रुड़की लौटे और पिता के अंतिम संस्कार के तुरंत बाद वापस आकर आईपीएल मैच खेला। उन्होंने पिता के निधन के दो दिन बाद रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) के खिलाफ 57 रन की पारी खेली थी।

ऋषभ पंत के टेस्ट करियर पर नजर डालें, तो उन्होंने 47 मुकाबलों में 44.50 की औसत के साथ 3,427 रन बनाए हैं, जिसमें 8 शतक और 18 अर्धशतक शामिल हैं। टेस्ट क्रिकेट में पंत ने करीब 74 की स्ट्राइक रेट से धुआंधार बल्लेबाजी की है। 31 वनडे मुकाबलों में उन्होंने 1 शतक के साथ 871 रन जुटाए हैं। पंत भारत की ओर से 76 टी20 मुकाबले खेल चुके हैं, जिसमें उनके बल्ले से 1,209 रन निकले हैं।

Pic Credit : ANI

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