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छह महीने से कम उम्र के शिशुओं में नए प्रकार की डायबिटीज की खोज

Britain, May 08 (ANI): Britain's Prince Harry and Meghan, Duchess of Sussex are seen with their baby son, who was born on Monday morning, during a photocall in St George's Hall at Windsor Castle, in Berkshire, Britain on Wednesday. (Reuters Photo)

अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने छह महीने से कम उम्र के शिशुओं में एक नए प्रकार की डायबिटीज की खोज की है। इस नई बीमारी का कारण बच्चों के डीएनए में पाए जाने वाले खास बदलाव या म्यूटेशन हैं। 

वैज्ञानिकों ने पाया है कि नवजात शिशुओं में जो डायबिटीज होती है, उसमें से लगभग 85 प्रतिशत मामलों में यह बीमारी उनके जीन में हुई गड़बड़ी के कारण हुई है।

इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने टीएमईएम167ए नामक एक जीन को इस बीमारी से जोड़ कर उसकी भूमिका समझाई है। यह जीन इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं के काम करने के लिए बेहद जरूरी होता है। इस खोज से वैज्ञानिकों को इंसुलिन बनाने और शरीर में उसे छोड़ने के तरीके को बेहतर समझने में मदद मिली है।

शोध में यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटर (यूके) और बेल्जियम की यूनिवर्सिटी लिब्रे डी ब्रुसेल्स (यूएलबी) ने भी सहयोग किया है। उन्होंने उन शिशुओं के डीएनए की जांच की, जिन्हें न केवल डायबिटीज थी, बल्कि मिर्गी और माइक्रोसेफली जैसी मस्तिष्क संबंधी अन्य समस्याएं भी थीं। इस जांच के दौरान टीएमईएम167ए जीन में बदलाव सामने आए।

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शोधकर्ता डॉ. एलिसा डी फ्रांको ने कहा डीएनए बदलावों को जानने से हमें यह पता चलता है कि कौन से जीन इंसुलिन बनाने में मुख्य भूमिका निभाते हैं। इस खोज ने टीएमईएम167ए जीन के बारे में नई जानकारी दी, जिससे यह पता चला कि यह जीन इंसुलिन बनाने वाली बीटा कोशिकाओं के सही कामकाज के लिए जरूरी है।

शोध में टीम ने स्टेम सेल तकनीक और आधुनिक सीआरआईएसपीआर नाम की जीन-संपादन तकनीक का इस्तेमाल किया। उन्होंने स्टेम सेल्स को इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं में बदला और फिर टीएमईएम167ए जीन में बदलाव किए। इस प्रक्रिया में पता चला कि जब टीएमईएम167ए जीन में गड़बड़ी होती है, तो इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाएं काम करना बंद कर देती हैं और तनाव की वजह से धीरे-धीरे मर जाती हैं। इससे डायबिटीज की बीमारी होती है क्योंकि शरीर को जरूरी इंसुलिन नहीं मिल पाता।

प्रोफेसर मिरियम क्नॉप ने बताया कि स्टेम सेल से इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं का बीमारी के कारणों को समझने और नए इलाज खोजने में बहुत मददगार साबित हो सकता है। यह खोज न केवल डायबिटीज को समझने में सहायक है, बल्कि मस्तिष्क की कोशिकाओं के लिए भी टीएमईएम167ए जीन की अहमियत को दर्शाती है।

जर्नल ऑफ क्लिनिकल इन्वेस्टिगेशन में प्रकाशित शोध में पाया गया कि यह जीन मस्तिष्क के न्यूरॉन्स के लिए भी जरूरी होता है, जबकि शरीर के अन्य कोशिकाओं के लिए उतना महत्वपूर्ण नहीं है। इस नई जानकारी से वैज्ञानिकों को इस दुर्लभ प्रकार की नवजात डायबिटीज की बेहतर समझ मिली है, बल्कि यह भी पता चला है कि टीएमईएम167ए जीन इंसुलिन उत्पादन और मस्तिष्क के विकास में एक खास भूमिका निभाता है।

Pic Credit : ANI

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