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लोकतंत्र को सिकोड़ना

Milkipur Assembly By-Election

New Delhi, Feb 05 (ANI): Polling official puts a mark with indelible ink on the finger of a voter as they arrive to cast their vote for the Delhi Assembly elections, in New Delhi on Wednesday. (ANI Photo)

क्या निर्वाचन से जुड़ी एक महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया को एकतरफा और मनमाने ढंग से संपन्न कराने का तरीका लोकतांत्रिक कहा जाएगा? मतदाता सूचियों का गहन संशोधन अपने-आप में विवाद का मुद्दा नहीं है। मगर यह काम सबको भरोसे में लेते हुए होना चाहिए।

ठोस संकेत हैं कि बिहार में मतदाता सूची के गहन संशोधन की प्रक्रिया पर विपक्षी दलों के साथ निर्वाचन आयोग की बैठक सद्भाव के माहौल में नहीं हुई। पहला विवाद तो इस पर ही हुआ कि विपक्षी दलों की नुमाइंदगी कौन कर सकता है और हर दल से कितने प्रतिनिधि बैठक में भाग ले सकते हैं। इस बारे में निर्वाचन आयोग ने जो नियम लागू किए, वे सचमुच आश्चर्यजनक हैं। विपक्षी नेताओं ने बैठक के बाद जो बताया, उससे साफ है कि आयोग उनकी किसी शिकायत को सुनने या उनकी आशंकाओं को तव्वजो देने के मूड में नहीं था।

नतीजतन, एक विपक्षी नेता ने पत्रकारों के सामने कहा कि अगर उनकी बात नहीं सुनी जा रही है, तो ये लड़ाई सड़कों पर उतरेगी! निर्वाचन आयोग के अधिकारियों के प्रति चुनाव में समान हित रखने वाले एक पक्ष के ऐसे अविश्वास से क्या संकेत ग्रहण किया जा सकते हैं? क्या निर्वाचन से जुड़ी एक महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया को एकतरफा और मनमाने ढंग से संपन्न कराने का तरीका लोकतांत्रिक कहा जाएगा? आयोग मतदाता सूचियों का गहन संशोधन करना चाहता है, तो यह अपने-आप में किसी विवाद का मुद्दा नहीं है। मगर यह काम तसल्ली से और सबको भरोसे में लेते हुए होना चाहिए।

जिस दौर में आयोग के गठन से लेकर उसके निर्णय एवं भूमिकाओं पर तरह-तरह के सवाल खड़े हों, बगैर सर्वदलीय सहमति बनाए एक राज्य में विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले इस तरह की महति प्रक्रिया शुरू कर देना आयोग की समस्याग्रस्त कार्यशैली को जाहिर करता है। विपक्ष को अगर अंदेशा है कि संशोधन प्रक्रिया में तकरीबन दो करोड़ मतदाताओं के नाम लिस्ट से बाहर हो सकते हैं, तो इस बारे में उसे आश्वस्त करने की जरूरत है। आयोग को समझना चाहिए कि नागरिकता प्रामाणित करने की एक अलग प्रक्रिया है, जिसे प्रस्तावित जनगणना के साथ सरकार संपन्न कर सकती है। मतदाता सूची संशोधन को परोक्ष रूप से ऐसी प्रक्रिया बनाना उचित नहीं है। आयोग का काम चुनाव प्रक्रिया में अधिकतम संभव सहभागिता सुनिश्चित करना है- इस राह में बाधा डालना नहीं। अतः उसे तुरंत विपक्ष को आश्वस्त करने वाले कदम उठाने चाहिए।

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