Naya India-Hindi News, Latest Hindi News, Breaking News, Hindi Samachar

चीन से संबंध का सवाल

भ्रम जारी रहने के कारण कुछ हलकों को यह आरोप लगाने का मौका मिला है कि मोदी सरकार भारत के हितों को ताक पर रखकर चीन से संबंध सुधारने की तरफ बढ़ रही है। इस बारे में आम जन को भरोसे में लिए जाने की जरूरत है।  

पिछले कुछ दिनों में चीन से भारत के रिश्ते को लेकर एक सकारात्मक माहौल बना या कहें कि बनाया गया है। पहले कोर कमांडर स्तर के 19वें दौर की वार्ता हुई, जिसके बाद दोनों देशों ने साझा बयान जारी किया। ऐसा लंबे समय के बाद हुआ। उस बैठक के दो दिन बाद ही मेजर जनरल स्तर पर दोनों देशों के बीच फिर से बातचीत हुई। इस पहलू ने ध्यान खींचा कि इस वार्ता का मकसद दोनों देशों में भरोसा पैदा करना बताया गया। जबकि कोर कमांडर स्तर की चली लंबी वार्ताओं का उद्देश्य वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तैनात दोनों देशों की सेनाओं को पीछे लौटाने और तनाव घटाने पर सहमति बनाना बताया गया था। इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग के बीच दक्षिण अफ्रीका के जोहानेसबर्ग शहर में मुलाकात के कयास गरमाए हुए हैँ। दोनों नेता ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए वहां पहुंच रहे हैं। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक वहां दोनों के बीच द्विपक्षीय वार्ता हो सकती है। संबंधों में सुधार के ऐसे संकेत उस समय मिल रहे हैं, जब 2020 से भारतीय सीमा के अंदर कथित चीनी अतिक्रमण जारी रहने को लेकर भ्रम का माहौल बना हुआ है।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपनी लद्दाख यात्रा के दौरान स्थानीय लोगों के हवाले से दावा किया है कि चीन ने भारत की जमीन पर कब्जा कर रखा है। बात सिर्फ राहुल गांधी की नहीं है। पुलिस महानिरीक्षकों के सम्मेलन में लद्दाख के पुलिस अधिकारियों ने एक रिपोर्ट में कहा था कि 2020 के मध्य के बाद से भारतीय बल उन 26 पेट्रोलिंग चौकियों पर नहीं जा पा रहे हैं, जहां तक वे पहले गश्त लगाते थे। ऐसी खबरों से भ्रम जारी रहने के कारण कुछ हलकों को यह आरोप लगाने का मौका मिला है कि मोदी सरकार भारत के हितों को ताक पर रखकर चीन से संबंध सुधारने की तरफ बढ़ रही है। इस बारे में तुरंत सरकार को आम जन को भरोसे में लेना चाहिए। भारतीय जमीन पर कथित चीनी कब्जे और चीन से रिश्ता सुधारने के बारे में भारत की नीति पर स्पष्टता बनाए जाने की जरूरत है।

Exit mobile version