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मंत्रियों व विधायकों के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस

जयपुर। राजस्थान विधानसभा (Rajasthan Assembly) में विपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौर (Rajendra Rathore) ने गुरुवार को विधायक संयम लोढ़ा के खिलाफ विशेषाधिकार हनन (privilege motion) का प्रस्ताव राजस्थान विधानसभा के प्रधान सचिव को सौंपा। इसमें आरोप लगाया गया कि 81 विधायकों द्वारा दिया गया इस्तीफा स्वैच्छिक नहीं था, बल्कि उन पर इस्तीफा देने के लिए दबाव बनाया गया। इसके अलावा भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी ने विधायक रामलाल जाट के खिलाफ, अनीता भदेल ने महेंद्र चौधरी के खिलाफ, जोगेश्वर गर्ग ने रफीक खान के खिलाफ, अशोक लाहोटी ने शांति धारीवाल के खिलाफ और रामलाल शर्मा ने रामलाल जाट के खिलाफ भी विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया था। महेश जोशी के खिलाफ भी राजस्थान विधानसभा के प्रमुख सचिव को नोटिस सौंपा गया था।

विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी और विपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ के बीच विधानसभा में एक-दूसरे के खिलाफ चले शब्द बाण के दो दिन बाद नोटिस दिया गया। इससे पहले राठौर ने अध्यक्ष के समक्ष लंबित 81 विधायकों के इस्तीफे के खिलाफ अदालत में एक जनहित याचिका दायर की थी और उच्च न्यायालय ने उस पर अध्यक्ष से जवाब मांगा था। जवाब में बताया गया कि 81 विधायकों का इस्तीफा स्वैच्छिक नहीं था और इसलिए इस्तीफा वापस लेने को स्वीकार कर लिया गया है।

गौरतलब है कि कांग्रेस के और निर्दलीय विधायकों ने 25 सितंबर को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थन में इस्तीफा दे दिया, जब आलाकमान ने नेतृत्व परिवर्तन पर चर्चा के लिए मुख्यमंत्री आवास पर एक समानांतर बैठक बुलाई।

अब भाजपा ने कांग्रेस सरकार के मंत्रियों और विधायकों पर इस्तीफे के लिए दबाव बनाने के आधार पर विधानसभा सचिव को विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है। बाकी विधायकों के इस्तीफे सौंपने वाले छह मंत्री-विधायकों पर 25 सितंबर को स्पीकर के सामने पेश होकर विशेषाधिकार हनन का आरोप लगाया गया है।

इस नोटिस में बीजेपी ने विधानसभा सचिव द्वारा हाईकोर्ट में दिए गए उस जवाब को आधार बनाया है, इसमें इस बात का जिक्र है कि विधायकों ने अपनी मर्जी से इस्तीफा नहीं दिया। बीजेपी का तर्क है कि स्पीकर के सामने पेश हुए छह मंत्री विधायकों ने बाकी के 75 विधायकों पर इस्तीफा देने का दबाव डाला, जो एक विधायक के विशेषाधिकार का सीधा उल्लंघन है।

इस बीच, संयम लोढ़ा के विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। इस मुद्दे पर अब स्पीकर को फैसला करना है। अब भाजपा ने मंत्री-विधायकों के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव विधानसभा सचिव को सौंपा है, इसमें इस्तीफे को आधार बनाया गया है। (आईएएनएस)

 

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