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पाक से परमाणु खतरा नहीं था

परमाणु

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की एक और बात का खंडन किया है हालांकि इस बार भी उनका नाम नहीं लिया गया है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने संसदीय समिति के सामने ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी देते हुए कहा कि चार दिन के संघर्ष में पाकिस्तान की ओर से परमाणु हमले का कोई संकेत नहीं मिला यानी परमाणु हमले का खतरा नहीं था।

गौरतलब है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बार बार कह रहे हैं कि दोनों देश परमाणु युद्ध की ओर बढ़ रहे थे। उप राष्ट्रपति जेडी वेंस ने भी प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत में इसका इशारा किया था। उधर पाकिस्तान ने भी साफ कर दिया है कि उसने शाहीन मिसाइल का इस्तेमाल नहीं किया था। यह मिसाइल परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है।

बहरहाल, विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सोमवार को संसदीय समिति को ऑपरेशन सिंदूर को लेकर जानकारी दी। इस दौरान उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने परमाणु हमले को लेकर कोई संकेत नहीं दिया था। उन्होंने यह भी कहा कि भारत और पाकिस्तान में हमेशा पारंपरिक रूप से लड़ाई होती है।

भारत का खंडन परमाणु युद्ध का कोई खतरा नहीं

बताया जा रहा है कि संसदीय समिति के सदस्यों ने विदेश सचिव से ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कई सवाल पूछे। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के सीजफायर के दावे पर भी सवाल पूछा, जिसके जवाब में मिस्री ने कहा कि सैन्य कार्रवाई रोकने का फैसला दोनों देशों का अपना था।

सांसदों ने यह भी पूछा कि क्या पाकिस्तान ने चीनी प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया? इसके  जवाब में मिस्री ने कहा, ‘यह मायने नहीं रखता। भारत ने पाकिस्तान के एयरबेस तबाह किए’। विदेश मामलों की संसदीय समिति की इस बैठक में कांग्रेस सांसद शशि थरूर के साथ साथ उनकी पार्टी की राजीव शुक्ला और दीपेंद्र हुड्डा भी मौजूद थे।

इनके अलावा तृणमूल कांग्रेस के अभिषेक बनर्जी, एमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और भाजपा की अपराजिता सारंगी व अरुण गोविल सहित कई सदस्य बैठक में मौजूद थे।

गौरतलब है कि इनमें से कई सांसद भारत सरकार की ओर से विदेश दौरे पर जाने के लिए चुने गए हैं। वे दुनिया के देशों को ऑपरेशन सिंदूर के बारे में बताएंगे। शशि थरूर एक डेलिगेशन का नेतृत्व कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने 59 सदस्यों वाले सात डेलिगेशन की घोषणा की है। इसमें 51 नेता और आठ राजदूत हैं।

इन सात में से तीन डेलिगेशन का नेतृत्व कांग्रेस और विपक्षी पार्टियों को दिया गया है, जबकि दो का नेतृत्व भाजपा के नेता कर रहे हैं। दो समूहों का नेतृत्व भाजपा की सहयोगी पार्टियों को दिया गया है। इन सात समूहों में एनडीए के 31 और विपक्षी पार्टियों के 20 नेताओं को शामिल किया गया है। ये डेलिगेशन दुनिया के देशों को ऑपरेसन सिंदूर और आतंकवाद के बारे में भारत के रुख की जानकारी देंगे।

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Pic Credit: ANI

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