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लोकसभा चुनाव : साफ नहीं हो रही इंडिया गठबंधन की यूपी में सीट बंटवारे की तस्वीर

Lok Sabha Election :- लोकसभा चुनाव और राहुल गांधी की न्याय यात्रा यूपी के नजदीक आती जा रही है, लेकिन इंडिया गठबंधन में शामिल कांग्रेस, रालोद और सपा के बीच सीटों के बंटवारे की तस्वीर साफ नहीं हो पा रही है। सपा की ओर से 11 सीटें दिए जाने के बाद से कांग्रेस खफा है और वह ज्यादा सीटों की उम्मीद कर रही है। वहीं, रालोद ने भी कुछ क्षेत्रों में टिकट को लेकर पेंच फंसा रखा है। राजनीतिक जानकर बताते हैं कि अभी कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच सीटों को लेकर खींचतान मचा हुआ है। कांग्रेस 11 सीटों से ज्यादा पर चुनाव लड़ना चाहती है। कांग्रेस में भी प्रदेश स्तर पर मंथन जारी है। जो उम्मीदवार लड़ने के इच्छुक हैं वो अपने ढंग से प्रचार कर रहे हैं। कोई वाल पेंटिंग करा रहा तो कोई होर्डिंग बैनर के जरिए प्रचार में तेजी से लगा हुआ है। कुछ बड़े नाम हैं जिनका अपने क्षेत्र में दबदबा रहा है। वो भी कांग्रेस पर दबाव बना रहे हैं।

इन्ही सब बातों को लेकर प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे और अजय राय भी सभी फ्रंटल संगठनों से रायशुमारी में जुटे हैं। हालांकि अभी भी कोई तस्वीर साफ नहीं है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि सपा ने जिस प्रकार से एक तरफा सीटें घोषित कर दी हैं, वो हमारे प्रदेश नेतृत्व को नगावार गुजरी है। कुछ नेता हैं जो अपने अपने क्षेत्र में या तो सांसद रहे हैं या फिर अच्छा उनका जनाधार रहा हे, वो चुनाव लड़ना चाहते हैं। उनकी सीटों पर सपा ने बिना कांग्रेस को विश्वास में लिए सीटें घोषित कर दी हैं। जैसे फतेहपुर सीकरी से राजबब्बर अपनी तैयारी कर रहे हैं। सहारनपुर से पूर्व सांसद इमरान मसूद, फर्रुखाबाद से सलमान खुर्शीद और बाराबंकी से कांग्रेस के पूर्व राज्यसभा सांसद पीएल पुनिया के पुत्र तनुज पुनिया भी तैयारी कर रहे हैं। ये ऐसे नाम हैं जिस पर केंद्रीय नेतृत्व भी विचार कर रहा है। ऐसे और भी नाम जैसे राजेश मिश्रा, जो हमारी पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं।

इसी प्रकार प्रदेश अध्यक्ष अजय राय भी लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। लेकिन सपा के एकतरफा निर्णय से बात नहीं बन रही है। कांग्रेस के प्रवक्ता अंशू अवस्थी ने कहा कि हम चाहते हैं कि इंडिया गठबंधन के सभी राजनीतिक दल एक दूसरे का सम्मान करे। यह गठबंधन नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं तक तभी मजबूत हो सकता है। जब एक दूसरे के बीच में आदर की भावना होगी, किसी को नीचा दिखाकर गठबंधन मजबूत नहीं हो सकता। हमारे जहां पर प्रत्याशी मजबूत हैं वहां पर हम पूरी ताकत से तैयारी कर रहे हैं और वहां पर लड़ेंगे। ऐसे में समाजवादी पार्टी से भी हम यह अपेक्षा करते हैं कि वह हम उनकी भावनाओं का आदर करे, उनका सम्मान करे। उधर राष्ट्रीय लोकदल को सपा ने भले ही सात सीटें दी हो, लेकिन वहां भी कई सीटों पर पेंच फंसा हुआ है। सूत्र बताते हैं कि रालोद कैराना और बिजनौर पर तो राजी है, लेकिन मुजफ्फरनगर पर पेंच फंस गया। रालोद ने ऐसी स्थिति में अपने हिस्से की सीटें बढ़ाने की बात रखी है।

वह पूर्वांचल में अपने प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय को चुनाव लड़ाना चाह रही है। हालांकि कुछ रालोद के लोग कह रहे हैं। हमारी बात अन्य दलों में भी चल रही है। रालोद के प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय कहते हैं कि सपा यूपी में मुख्य विपक्षी दल है। उसे बड़ा दिल दिखाना चाहिए। उसे आपसी सहमति के बाद ही आगे कदम उठाना चाहिए। वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र सिंह रावत का मानना है कि सपा ने जिस तरह से सोशल मीडिया से कांग्रेस को 11 सीटें दी है, वह उसे पच नहीं पा रही है। कांग्रेस करीब दो दर्जन सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। लेकिन सपा इस पर अभी तैयार नहीं है।

कांग्रेस की परंपरागत सीटों पर सपा ने अपने उमीदवार उतार दिए हैं। इस कारण वो खफा है। वो अपने बड़े नेताओं से बातचीत का दौर जारी रख रही है। सभी फ्रंटल संगठनों के मुखिया इस बारे में हर दिन बैठक कर रहे हैं। रालोद भी ज्यादा खुश नहीं है। उनकी पश्चिम की सीटों पर भी सपा अपने उमीदवार लड़ाना चाह रही है। उनके लोगों का कहना है कि हमारी बात भाजपा से चल रही है। अगर हालात यही रहे तो गठबंधन खटाई में पड़ता दिख रहा है। रावत कहते हैं कि सपा के साथ तालमेल न बैठने के कांग्रेस बसपा की तरफ जाने के ज्यादा इच्छुक हैं। इसे लेकर बातचीत भी खूब हो रही हैं। (आईएएनएस)

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