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आंतकी हमले की ज़िम्मेदारी गृह मंत्री लें

नई दिल्ली। लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने सोमवार को सरकार पर तीखा हमला बोला और पूछा कि “पहलगाम में 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या करने वाले आतंकवादी अब तक गिरफ्त से बाहर क्यों हैं?” साथ ही उन्होंने यह भी पूछा कि “ऑपरेशन सिंदूर के दौरान कितने विमान गिरे थे?” उन्होंने कहा कि इस हमले में हुई सुरक्षा चूक की नैतिक जिम्मेदारी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लेनी चाहिए। “अगर पीओके अब नहीं लेंगे, तो कब लेंगे?” गोगोई ने सदन में यह सवाल भी उठाया।

गोगोई ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान को अधूरा बताते हुए कहा कि “उन्होंने यह नहीं बताया कि आतंकी पहलगाम में कैसे घुसे, कैसे लोगों की हत्या की?” उन्होंने कहा कि “विपक्ष का कर्तव्य है कि वह देशहित में सवाल पूछे। पांच आतंकवादी कैसे घुसे? क्या उनका उद्देश्य जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाना और साम्प्रदायिक तनाव फैलाना था?”

गोगोई ने कहा कि “100 दिन हो गए, आतंकवादी अब भी नहीं पकड़े गए। गोली लगने के एक घंटे बाद एंबुलेंस पहुँची—क्या यही व्यवस्था है?” उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल ने भले सुरक्षा चूक की जिम्मेदारी ली हो, लेकिन “सर्वोच्च जिम्मेदारी गृह मंत्री की है।” गोगोई ने आरोप लगाया कि सरकार टूर ऑपरेटर पर दोष मढ़ कर जिम्मेदारी से बचना चाहती है। “यह सरकार कमजोर और अहंकारी हो गई है।”

उन्होंने प्रधानमंत्री पर भी निशाना साधते हुए कहा, “पहलगाम हमले के बाद प्रधानमंत्री सऊदी अरब से लौटे, लेकिन वहीं से बिहार में चुनावी भाषण देने चले गए। पहलगाम नहीं गए। वहां राहुल गांधी गए थे।” इस दौरान सत्ता पक्ष की ओर से विरोध हुआ, लेकिन गोगोई ने कहा, “सवाल पूछा जाना चाहिए कि सरकार युद्ध क्यों नहीं चाहती थी? पीओके को वापस क्यों नहीं लेना चाहती थी?”

उन्होंने कहा कि “यदि हमारे 35 राफेल में से कोई गिरा, तो वह बड़ा नुकसान है। सरकार को यह बताना चाहिए कि कितने विमान गिरे। यह जानकारी न सिर्फ़ जनता, बल्कि जवानों को भी मिलनी चाहिए।” गोगोई ने ट्रंप के 26 बार दिए गए बयानों का हवाला देते हुए कहा कि “राजनाथ सिंह को बताना चाहिए कि क्या वाकई व्यापारिक वार्ता के कारण युद्ध रोका गया?”

उन्होंने कहा, “देश विपक्ष के साथ खड़ा है। हम सरकार के दुश्मन नहीं हैं। हम सच्चाई चाहते हैं। और जब जवान सीमा पर हैं, तो हम सरकार से जवाबदारी भी चाहते हैं।” उन्होंने कहा कि “अपेक्षा थी कि गृह मंत्री, एनएसए और प्रधानमंत्री खुद यह स्पष्ट करें कि ऑपरेशन सिंदूर क्यों रोका गया? ”

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