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संविधान का शिकार करती रही कांग्रेस

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नई दिल्ली। संविधान पर चर्चा के दूसरे दिन शनिवार को लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर बड़ा हमला बोला। दो दिन हुई चर्चा का जवाब देते हुए शनिवार की शाम को प्रधानमंत्री बोले। उन्होंने कहा कि कांग्रेस संविधान का शिकार करती रही है। उसको संविधान संशोधन का खून मुंह लग गया था इसलिए उसने छह दशक में 75 बार संविधान बदला। प्रधानमंत्री ने राहुल गांधी को भी निशाना बनाया और कहा कि अहंकार में एक व्यक्ति ने सरकार के अध्यादेश की कॉपी फाड़ दी थी। मोदी ने यह भी कहा कि इमरजेंसी का ऐसा दाग कांग्रेस पर लगा है, जो कभी नहीं धुलेगा।

कांग्रेस और नेहरू-गांधी परिवार पर हमला बोलते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- कांग्रेस के एक परिवार ने संविधान को चोट पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। एक परिवार का उल्लेख इसलिए करता हूं कि 75 साल में से 55 साल एक ही परिवार ने राज किया है। देश को क्या क्या हुआ है, ये जानने का अधिकार है। इस परिवार के कुविचार, कुरीति, कुनीति की परंपरा निरंतर चल रही है। हर स्तर पर इस परिवार ने संविधान को चुनौती दी है।

मोदी ने आगे कहा- संविधान संशोधन करने का ऐसा खून कांग्रेस के मुंह लग गया कि वह समय समय पर संविधान का शिकार करती रही। संविधान की आत्मा को लहुलुहान करती रही। करीब छह दशक में 75 बार संविधान बदला गया। उन्होंने कहा- जो बीज देश के पहले प्रधानमंत्री ने बोया था, उसे खाद पानी देने का काम एक और प्रधानमंत्री ने किया, श्रीमती इंदिरा गांधी। मोदी ने कहा- 1971 में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया था। उस फैसले को संविधान बदलकर पलटा गया।

इंदिरा गांधी पर हमला करते हुए मोदी ने कहा- उन्होंने हमारे देश की अदालत के पंख काट दिए थे। कहा था कि संसद संविधान के किसी भी आर्टिकल में जो मन आए कर सकती है और अदालत उसकी तरफ नहीं देख सकती है। ये पाप 1971 में इंदिरा गांधी ने किया था। प्रधानमंत्री ने कहा- भारत का नागरिक सर्वाधिक अभिनंदन का भागी है। संविधान निर्माता इस बात पर बहुत सजग थे। ये वो नहीं मानते थे कि भारत का जन्म 1947 में हुआ। उन्होंने भारत की उपलब्धियों के लिए संविधान बनाने वालों को श्रेय दिया और उनका नमन किया।

प्रधानमंत्री ने 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने के संकल्प का भी जिक्र किया और कहा कि देश के 140 करोड़ लोग ऐसा चाहते हैं। उन्होंने भारत के लोकतंत्र की तारीफ करते हुए कहा- भारत का लोकतंत्र, गणतांत्रिक अतीत समृद्ध रहा है, विश्व के लिए प्रेरक रहा है। तभी भारत मदर ऑफ डेमोक्रेसी के रूप में जाना जाता है। हम सिर्फ विशाल लोकतंत्र नहीं, हम लोकतंत्र की जननी हैं। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन और डॉक्टर एस राधाकृष्णन जैसे विद्वानों का भी जिक्र किया।

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