बेंगलुरु। कर्नाटक में मुख्यमंत्री बदलने की अटकलबाजी पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा है कि यह जो कुछ भी है, इस पर पार्टी आलाकमान फैसला लेगा। फिलहाल उनके पास कहने के लिए कुछ नहीं है।
कांग्रेस प्रमुख के इस बयान से एक दिन पहले यहां मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के साथ उनकी एक घंटे से अधिक समय तक बैठक हुई थी। खरगे ने यहां अपने आवास पर पत्रकारों से कहा, “जो भी घटनाक्रम हुए हैं, उनके बारे में कहने के लिए मेरे पास कुछ नहीं है। इसलिए आप (मीडिया) यहां खड़े होकर अपना समय बर्बाद कर रहे हैं और मुझे भी बुरा लग रहा है। जो होना है, आलाकमान करेगा। आपको इस बारे में और चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।”
कर्नाटक में कांग्रेस सरकार का पांच में से ढाई साल का कार्यकाल 20 नवंबर को पूरा हो गया। ऐसे में मुख्यमंत्री बदलने की अटकलों के बीच सत्तारूढ़ पार्टी में सत्ता संघर्ष तेज हो गया है।
खरगे से मिलने के बाद शनिवार रात पत्रकारों से बातचीत में सिद्धरमैया ने मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल से जुड़े सवाल के जवाब में कहा था कि वह आलाकमान के फैसले का पालन करेंगे, और सभी को ऐसा ही करना चाहिए। सिद्धरमैया की एक सप्ताह से भी कम समय में खरगे के साथ यह दूसरी मुलाकात थी।
हालांकि, सिद्धरमैया ने नेतृत्व परिवर्तन को लेकर जारी चर्चाओं को अटकलें करार दिया था। मुख्यमंत्री की एआईसीसी प्रमुख के साथ बैठक से पहले उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार के समर्थक कुछ विधायकों ने 20 नवंबर को सरकार का ढाई साल का कार्यकाल पूरा होने पर दिल्ली जाकर खरगे से मुलाकात की थी।
हालांकि, शिवकुमार ने कहा कि उन्हें यह जानकारी नहीं थी कि विधायक दिल्ली खरगे से मिलने गए हैं। मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के करीबी माने जाने वाले मंत्री एच. सी. महादेवप्पा और के. वेंकटेश ने रविवार को खरगे से उनके आवास पर मुलाकात की।
खरगे से मुलाकात के बाद पत्रकारों से बात करते हुए महादेवप्पा ने कहा कि अभी मुख्यमंत्री बदलने की कोई स्थिति नहीं है, और अगर ऐसी स्थिति आती है, तो कांग्रेस आलाकमान फैसला करेगा।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, एक ओर सिद्धरमैया अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल के लिए दबाव डाल रहे हैं, तो दूसरी ओर शिवकुमार चाहते हैं कि पार्टी पहले नेतृत्व परिवर्तन पर फैसला करे। पार्टी के कई सूत्रों के अनुसार, अगर कांग्रेस आलाकमान मंत्रिमंडल फेरबदल को मंजूरी देता है, तो यह संकेत होगा कि वर्तमान मुख्यमंत्री सिद्धरमैया पांच साल का कार्यकाल पूरा करेंगे। सूत्रों का कहना है कि इससे मुख्यमंत्री बनने की शिवकुमार की संभावनाएं कमजोर पड़ जाएंगी।
