Naya India-Hindi News, Latest Hindi News, Breaking News, Hindi Samachar

ईवीएम-वीवीपैट पहले जैसे ही रहेंगे

supreme court vvpat verification

नई दिल्ली। इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम और वोटर वेरिफायबल पेपर ऑडिट ट्रेल यानी वीवीपैट की व्यवस्था पहले जैसी ही चलती रहेगी। इसमें कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। वीवीपैट की सभी पर्चियों का मिलान ईवीएम के वोट से करने की याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी हैं। दो जजों की बेंच ने ईवीएम और वीवीपैट की मौजूदा व्यवस्था को कायम रखने के साथ ही बैलेट पेपर से चुनाव कराने की याचिका भी खारिज कर दी। हालांकि अदालत ने कहा है कि अगर दूसरे या तीसरे नंबर का उम्मीदवार नतीजे पर संदेह जताता है तो ईवीएम की जांच की जा सकती है। गौरतलब है कि अभी हर विधानसभा क्षेत्र में सिर्फ पांच वीवीपैट मशीन की पर्चियों का मिलान ईवीएम के वोट से किया जाता है। याचिकाकर्ताओं ने सौ फीसदी मिलान का आदेश देने की मांग की थी।

शुक्रवार को इस मामले में फैसला सुनाते हुए जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा- हमने सभी याचिकाओं को खारिज किया है। लोकतंत्र अपने विभिन्न स्तंभों के बीच सद्भाव और विश्वास पर आधारित है। बेंच के दूसरे जज जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि किसी प्रणाली पर आंख मूंदकर संदेह करना सही नहीं है। फैसले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह विपक्षी पार्टियों के मुंह पर तमाचा है। चुनाव आयोग ने भी फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इस मामले में अब तक 40 याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं। दोनों जजों ने एक ही जैसा लेकिन अलग अलग फैसला सुनाया।

बहरहाल, फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कुछ दिशा निर्देश जारी किए हैं। अदालत ने कहा है कि ईवीएम में सिंबल लोडिंग प्रक्रिया पूरी होने पर, सिंबल लोडिंग इकाई को सील कर दिया जाना चाहिए और कंटेनरों में सुरक्षित किया जाना चाहिए। अदालत ने कहा कि उम्मीदवार और उनके प्रतिनिधि के दस्तखत से इसे सीलबंद किया जाना चाहिए इसे नतीजों की घोषणा के बाद कम से कम 45 दिनों तक ईवीएम के साथ स्टोर रूम में रखा जाए।

अदालत ने संदेह होने पर ईवीएम की जांच के निर्देश भी दिए हैं। अदालत ने कहा है कि दूसरे और तीसरे नंबर पर रहे उम्मीदवार अगर नतीजों के सात दिन के भीतर लिखित अनुरोध  करते हैं तो ईवीएम की जांच हो सकती है। ईवीएम बनाने वाली कंपनी के इंजीनियरों की एक टीम इसकी जांच करेगी। अदालत ने कहा है कि जांच पर आने वाले खर्च अनुरोध करने वाले उम्मीदवार को वहन करना होगा। अगर उसका संदेह सही होता है और ईवीएम में गड़बड़ी मिलती है तो उसे पैसे वापस कर दिए जाएंगे।

इसके साथ ही अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि वह वोटों की पर्चियों की गिनती के लिए एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन के सुझाव की जांच करे और यह भी देखे कि क्या चुनाव चिन्ह के साथ साथ हर पार्टी के लिए एक बार कोड भी हो सकता है। गौरतलब है कि पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कुछ जरूरी सवाल पूछे थे। सुनवाई पूरी होने और फैसला सुरक्षित रखने के बाद भी जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता ने पिर से कुछ तकनीकी मसलों पर सुनवाई की थी।

Exit mobile version