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राहुल के आरोपों की जांच जरूरी

हालांकि राहुल गांधी जब तक चुनाव जीत नहीं जाते हैं, तब तक संतुष्ट नहीं होंगे और वोट चोरी के आरोप लगाते रहेंगे फिर भी वे जो आरोप लगा रहे हैं उनकी गहराई से जांच होनी चाहिए। आयोग को आगे आकर खुद जांच का ऐलान करना चाहिए और अगर हो सके तो सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जज की निगरानी में जांच करानी चाहिए। ध्यान रहे चुनाव आयोग का अभी तक रवैया ठीक नहीं रहा है। राहुल गांधी गंभीर आरोप लगाते हैं और हर बार प्रेस कॉन्फ्रेंस में कुछ नए सबूत पेश करते हैं। लेकिन चुनाव आयोग कह देता है कि आरोप निराधार है। तभी यह जरूरी है कि अगर चुनाव आयोग इसकी जांच नहीं कराता है तो सर्वोच्च अदालत स्वतः संज्ञान लेकर जांच कमेटी बनाए और समयबद्ध जांच करवाए।

राहुल गांधी ने गुरुवार, 18 सितंबर की प्रेस कॉन्फ्रेंस में खुद ही कहा कि उनका काम नहीं है कि वे अदालत जाएं, यह लीगल इंस्टीट्यूशन को देखना चाहिए। हालांकि इस बात की गारंटी नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट की बनाई कमेटी की जांच से राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी संतुष्ट हो जाएंगे। आखिर अंबानी समूह के निजी चिड़ियाघर वनतारा की जांच सुप्रीम कोर्ट की बनाई एसआईटी ने की तो उससे कौन संतुष्ट हो गया!

बहरहाल, राहुल गांधी ने ‘वोट चोरी’ पर अपनी दूसरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में वोट काटने का खुलासा किया है। इससे पहले सात अगस्त को उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी, जिसमें फर्जी तरीके से वोट जोड़े जाने का खुलासा किया था। इस तरह वे दावा कर रहे हैं कि कहीं फर्जी तरीके से वोट जोड़े जा रहे हैं और कहीं फर्जी तरीके से वोट काटे जा रहे हैं। उनका यह भी दावा है कि जो वोट काटे जा रहे हैं वह दलित व अल्पसंख्यक के हैं और इसलिए कांग्रेस के हैं।

उन्होंने कर्नाटक की आलंद सीट पर 6,018 वोट काटे जाने के प्रयास के सबूत दिए। उन्होंने ऐसे लोगों को मंच पर पेश किया, जिनका नाम कटा और जिनके नाम व मोबाइल फोन का इस्तेमाल करके नाम काटा गया। राहुल का दावा है कि एक बूथ लेवल अधिकारी ने नाम काटने का यह खेल पकड़ा। उसने देखा कि उसके चाचा का नाम डिलीट हो गया। उसने जांच की तो पता चला कि उसके पड़ोसी ने नाम काटा है। लेकिन जब उसने पड़ोसी से पूछा तो उसने कहा कि उसे कोई जानकारी ही नहीं है कि उसने कोई नाम काटा है। इस तरह राहुल ने आरोप लगाया कि यह मानवीय भूल नहीं है, बल्कि किसी सेंट्रलाइज्ड सिस्टम के जरिए नाम काटे गए हैं। यह बहुत खतरनाक और चिंताजनक आरोप है।

चुनाव आयोग का अब तक का रवैया इस मामले में बहुत जिम्मेदारी वाला नहीं रहा है। राहुल ने सात अगस्त की पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब कर्नाटक सेंट्रल लोकसभा की महादेवपुरा विधानसभा सीट पर एक लाख वोट जोड़े जाने का आरोप लगाया तो चुनाव आयोग ने उनसे कहा कि वे हलफनामे के साथ सारे आरोप आयोग को सौंपे। आयोग ने यह भी कहा कि अगर एक हफ्ते में राहुल हलफनामा नहीं देते हैं तो आरोपों को निराधार माना जाएगा। राहुल ने हलफनामा नहीं दिया और चुनाव आयोग ने कोई जांच नहीं कराई।

अब राहुल ने वोट डिलीट किए जाने का आरोप लगाया है और एक हफ्ते में सारी डिटेल उपलब्ध कराने को कहा है। ध्यान रहे आलंद का मामला कांग्रेस पहले भी उठा चुकी है। तब कांग्रेस ने कहा था कि मई 2023 के चुनावों से पहले आलंद में फॉर्म सात में जालसाजी करके एक जटिल प्रक्रिया के जरिए हजारों मतदाताओं अधिकार छीन लिए गए।

कुछ दिन पहले ही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बताया था कि फरवरी 2023 में मामला दर्ज किया गया था। जांच में 5,994 जाली आवेदन सामने आए, जो मतदाता धोखाधड़ी के बड़े पैमाने पर प्रयास का स्पष्ट प्रमाण था। इसके बाद कांग्रेस की सरकार बनी तो उसने दोषियों को पकड़ने के लिए सीआईडी जांच का आदेश दिया। यहां चुनाव आयोग कठघरे में इसलिए आता है क्योंकि उसने यह जालसाजी पकड़ने के लिए जरूरी दस्तावेजों का एक हिस्सा तो सीआईडी को सौंपा लेकिन बाद में उसने चुप्पी साध ली। कांग्रेस का आरोप है कि 18 चिट्ठियां सीआईडी ने लिखी हैं, लेकिन आयोग ने जवाब नहीं दिया।

अब चुनाव आयोग का कहना है कि आलंद में फर्जी तरीके से नाम डिलीट कराने के कई प्रयास सामने आए, लेकिन किसी को कामयाबी नहीं मिली। राहुल की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद आयोग ने कहा कि उसने खुद ही इसकी जांच के आदेश दिए थे।

आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि जैसे  राहुल बता रहे हैं उस तरह से किसी का नाम नहीं कट सकता है। इस आधार पर आयोग ने एक बार फिर राहुल के आरोपों को निराधार बताया है। हो सकता है कि आरोप निराधार हों लेकिन लोकतंत्र लोकलाज से चलता है और संस्थाओं की साख आम नागरिक के भरोसे पर टिकी होती है। इसलिए आयोग को आगे आकर एक समयबद्ध जांच की घोषणा करनी चाहिए।

राहुल ने वोट काटे जाने का आंकड़ा और वोट काटने के तरीके पर 18 सितंबर को जो प्रजेंटेशन दिया उसमें उन्होंने विस्तार से बताया कि कैसे फर्जी लॉगिन आईडी बना कर अलग अलग मोबाइल नंबर्स का इस्तेमाल करके वोट कटवाए गए। सो, अगर नाम कटे हैं और जिन लोगों के नाम कटे हैं वे इसकी शिकायत कर रहे हैं तो इसकी जांच होनी चाहिए। हालांकि आलंद सीट का एक दिलचस्प आंकड़ा यह है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर भाजपा के सुभाष गुट्टेडार कांग्रेस के बीआर पाटिल से सिर्फ 697 वोट से जीते थे लेकिन जैसा कि कांग्रेस का आरोप है 2023 के चुनाव से पहले जब कांग्रेस समर्थकों के नाम काट दिए गए तो उस चुनाव में कांग्रेस के बीआर पाटिल 10 हजार 348 वोट से जीत गए। कह सकते हैं कि नाम कटने का बड़ा फायदा कांग्रेस को मिला।

वोट काटे जाने के आगे राहुल गांधी ने जो बातें कहीं वह बहुत गंभीर हैं। उन्होंने कहा कि देश का लोकतंत्र हाईजैक कर लिया गया है। यह बड़ा आरोप है क्योंकि इसी लोकतंत्र में राहुल गांधी की पार्टी कांग्रेस और उनकी अनेक सहयोगियों की पार्टियां चुनाव लड़ रही हैं और जीत हार रही हैं। दूसरी अहम बात जो उन्होंने कही है वो यह है कि अब अंदर से उनको खबरें मिलने लगी हैं। यानी चुनाव आयोग में लोग इस कथित वोट चोरी को समझ रहे हैं और वे राहुल को सूचनाएं भेज रहे हैं। तीसरी बात जो वे बार बार कह रहे थे कि वह ये है कि, ‘युवा जवाब मांगेंगे’।

राहुल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘अब चुनाव आयोग के अंदर से जानकारी आ रही है, जो पहले नहीं आ रही थी। भारत की जनता ये सही मानेगी, जब देश के युवा को एक बार ये पता लगा कि चोरी हो रही है तो वो नहीं सहेंगें। मैं सब कुछ सबूत के साथ दिखाऊंगा, मैं अभी नीव तैयार कर रहा हूं, हाइड्रोजन बम में सब कुछ ब्लैक एंड व्हाइट है। देश की डेमोक्रेसी हाईजैक हो गई है’। उन्होंने आगे कहा, ‘हमारी सलाह है कि मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार जी आप अपना काम कीजिए, कर्नाटक सीआईडी को एक हफ्ते में आप जबाव दें। नहीं तो देश साफ होगा कि आप हिंदुस्तान के कांस्टीट्यूशन की हत्या में शामिल हैं। युवा आपसे जवाब मांगेंगे’।

लोकतंत्र हाईजैक होने, अंदर से खबरें आने और युवा सहेंगे नहीं जैसे बयान चिंताजनक हैं। इससे सिर्फ चुनाव आयोग की साख नहीं खराब हो रही है, बल्कि सारे चुनावी नतीजे संदिग्ध हो रहे हैं और अगर इस वजह से लोगों का मोहभंग हुआ और युवा सचमुच भड़के तो उसे संभालना मुश्किल होगा। तभी यह बहुत जरूरी है कि चुनाव आयोग इन आरोपों की तटस्थ और निष्पक्ष जांच कराए। किसी तरह की बहानेबाजी और गोलमोल जवाब देने की बजाय एक समयबद्ध जांच जरूरी है।

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