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विमानन सेक्टर के इतने बुरे हाल!

अहमदाबाद विमान हादसे के बाद एयर इंडिया और दूसरी विमानन कंपनियों की उड़ानों की जो हालत सामने आई है वह चिंताजनक है। सवाल है कि क्या भारत के विमानन सेक्टर की हालत ऐसी ही थी और किसी बड़े हादसे की प्रतीक्षा हो रही थी? अगर ऐसा है तो तमाम नियामक एजेंसियों के ऊपर बहुत बड़ा सवाल खड़ा होगा कि आखिर क्यों किसी की नजर में ये खामियां नहीं आईं, जो अब सामने आ रही हैं? क्योंकि यह अचानक तो नहीं हो सकता कि घरेलू विमानन कंपनियों के विमानों में इतनी खामियां निकलने लगें! ऐसा लग रहा है कि विमान पहले से तमाम किस्म की खामियों से भरे थे, जिनकी अनदेखी की जा रही थी। एक बड़ा सवाल यह भी है कि अभी जो कुछ हो रहा है उससे ढांचागत तौर पर एयर इंडिया और व्यापक रूप से भारत के समूचे विमानन सेक्टर में कुछ बदलाव आएगा या थोड़े दिन के दिखावे के बाद सब कुछ पहले की तरह एक ढर्रे में चलने लगेगा? क्योंकि पिछले दो हफ्ते में जितनी तरह की खामियां सामने आईं हैं वह हैरान करने वाली हैं। विमानों में तकनीकी समस्या से लेकर संचालन प्रक्रिया में कई गड़बड़ियां दिखी हैं।

भारत के विमानन सेक्टर की हालत बताने के लिए सिर्फ दो मिसालें पर्याप्त हैं। पहली मिसाल यह है कि गुवाहाटी से चेन्नई जा रहे इंडिगो के विमान में आधे रास्ते में ईंधन कम हो गया। पायलट ने एटीसी को ‘मे डे’ का अलर्ट किया। मजबूरी में विमान को बेंगलुरू में उतारना पड़ा और वहां से ईंधन लेकर विमान उड़ा। दूसरी मिसाल यह है कि बेंगलुरू से एयर इंडिया का एक एक विमान यात्रियों का सामान लिए बगैर पटना पहुंच गया। कहा गया कि वजन ज्यादा हो गया था इसलिए सामान छोड़ दिया गया। अगले दिन सुबह यात्रियों का सामान पटना पहुंचा। दुनिया के किसी भी देश में ऐसा नहीं हो सकता है कि सामान्य स्थिति में बीच रास्ते में विमान का ईंधन कम हो जाए।

इसका मतलब है कि गुवाहाटी से उड़ान भरते समय न तो पायलट ने ईंधन चेक किया और न विमानन कंपनी या ग्राउंड हैंडलिंग करने वाली कंपनी ने चेक किया। नियामक एजेंसियां तो खैर कुछ करती ही नहीं हैं! इसी तरह विमान में यात्रियों की संख्या और उनके सामान का वजन तय होता है। फिर कैसे वजन इतना ज्यादा हो गया कि आधे से ज्यादा यात्रियों का सामान छोड़ना पड़ा? इससे जाहिर है कि भारत में विमानों के संचालन में बिल्कुल बुनियादी चीजों का भी ध्यान नहीं रखा जाता है। सब कुछ भगवान भरोसे चलता रहता है।

अहमदाबाद की घटना के बाद सबसे पहले तो यह समझने की जरुरत है कि अचानक क्या हुआ कि एयर इंडिया और इंडिगो यानी दो सबसे बड़ी विमानन कंपनियों के विमानों में इतनी तकनीकी खामी सामने आने लगी? यह सवाल इसलिए जरूरी है क्योंकि 12 जून को अहमदाबाद से लंदन जाने वाली एयर इंडिया की उड़ान एआई 171 के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद एयर इंडिया के बेड़े में जितने भी बोईंग 787-8/9 ड्रीमलाइनर विमान हैं उन सबकी जांच हुई थी। एयर इंडिया के बेड़े में कुल 33 ड्रीमलाइनर विमान हैं, जिनमें से 27 की जांच करके उनको हरी झंडी दे दी गई है। यानी इन विमानों में किसी तरह की गड़बड़ी नहीं मिली है। नागरिक विमानन महानिदेशालय यानी डीजीसीए ने यह जांच कराई है। डीजीसीए ने एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस के अधिकारियों के साथ बैठक भी की। अब सवाल है कि जब डीजीसीए की जांच में ज्यादातर ड्रीमलाइनर विमान सुरक्षा जांच में पूरी तरह से सही पाए गए हैं और जिनकी जांच नहीं हुई है उनको ग्राउंडेड कर दिया गया है तो इतनी ड्रीमलाइनर की उड़ानें रद्द क्यों रही हैं?

गौरतलब है कि पिछले दो हफ्ते में करीब एक सौ उड़ानें रद्द हुई हैं। इनमें बड़ी संख्या में ड्रीमलाइनर की अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शामिल हैं। अब विमानन कंपनियों ने घरेलू रूट्स पर भी उड़ानों में कटौती शुरू कर दी है। सवाल है कि 12 जून के हादसे के बाद सारे ड्रीमलाइनर ग्राउंडेड थे और जांच के बाद उनको उड़ान की मंजूरी मिली थी फिर भी उड़ान से पहले ऐसी क्या तकनीकी खामी पकड़ में आ गई, जिससे उड़ान रद्द करनी पड़ी? यह भी सवाल है कि तकनीकी खामी विमानों की जांच करने वाली डीजीसीए की टीम को क्यों नहीं दिखी? मंगलवार, 17 जून को ही डीजीसीए ने एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस की बैठक के बाद बताया कि एयर इंडिया के बोइंग 787 बेड़े की हाल ही में की गई जांच में कोई बड़ी सुरक्षा चिंता सामने नहीं आई है। कहा गया कि ‘विमान और संबंधित रखरखाव प्रणालियां मौजूदा सुरक्षा मानकों के अनुरूप पाई गईं’। सब कुछ ठीक होने और सुरक्षा मानकों के अनुरूप रखरखाव के बावजूद तकनीकी खामी के आधार पर लगातार उड़ानें रद्द हो रही हैं। डीजीसीए ने एयर इंडिया के तीन अधिकारियों को हटवा भी दिया है। फिर भी परिचालन से जुड़ी खामियां कम नहीं हो रही हैं।

तभी क्या यह माना जाए कि विमानन कंपनियां, खास कर एयर इंडिया अहमदाबाद हादसे के बाद अतिशय आशंकित स्थिति में है और वह जान बूझकर विमानों की उड़ान रद्द कर रही है? हो सकता है कि कोई ऐसी मामूली खामी, जिसकी पहले अनदेखी की जाती हो उसको भी अब संज्ञान में लिया जा रहा है और उड़ान रद्द की जा रही है। यह भी सकता है कि विमानन कंपनी यात्रियों का भरोसा जीतने के लिए इस तरह का स्टंट कर रही हों? लोगों को यकीन दिलाया जा रहा है कि जब तक सब कुछ ठीक नहीं हो जाता है तब तक उड़ानें संचालित नहीं होंगी! जो हो अहमदाबाद हादसे ने भारत के विमानन सेक्टर की कई खामियों को उजागर कर दिया है। इससे विमानन कंपनियों को और उससे ज्यादा डीजीसीए, ब्यूरो ऑफ एविएशन सिक्योरिटी, एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ इंडिया और विमानन मंत्रालय को सबक लेने की जरुरत है।

ऐसा लग रहा था कि टाटा समूह के हाथ में जाने के बाद एयर इंडिया की किस्मत सुधरेगी लेकिन कम से कम अभी तक स्थिति में कोई सुधार नहीं दिख रहा है। पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शिकायत की थी कि उनको टूटी हुई सीट पर बैठाया गया। उन्होंने शिकायत की तो चालक दल के सदस्यों ने कहा कि उन्होंने सीट टूटी होने की सूचना प्रबंधन को दे दी थी और वह सीट नहीं बुक करने को कहा था। फिर भी उस सीट की बुकिंग हुई और वह भी एक केंद्रीय मंत्री को मिली। एयर इंडिया का जो विमान हादसे का शिकार हुआ उसके भी पैसेंजर जो लंदन से दिल्ली आए थे उन्होंने विमान में कई कमियां होने की बात कही थी। इसका मतलब है कि विमानों की बेसिक सुविधाएं बेहतर नहीं की गईं और न सुरक्षा सुनिश्चित की गई लेकिन किराया अंधाधुंध बढ़ा दिया गया।

सोचें, देश में कितनी नियामक एजेंसियां हैं, जिनको विमानन सेक्टर के सुचारू और सुरक्षित संचालन के लिए लगाया गया है लेकिन ये एजेंसियां क्या कर रही हैं? जिस दिन अहमदाबाद में एयर इंडिया का बोइंग दुर्घटनाग्रस्त हुआ उसके दो दिन बाद ही उत्तराखंड में हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया, जिसमें पायलट सहित सात लोग मारे गए। पिछले दो महीने में यह पांचवीं हेलीकॉप्टर दुर्घटना थी। इससे पहले भी एक हादसे में छह लोग मारे गए थे। एक हेलीकॉप्टर सड़क पर उतारना पड़ा था। जब ये घटनाएं सामने आईं तो पता चला कि उत्तराखंड में सैकड़ों हेलीकॉप्टर हर दिन उड़ान भर रहे हैं लेकिन वहां मौसम की जानकारी देने वाला कोई सिस्टम नहीं है और न कोई रडार का सिस्टम है। विमान केदारनाथ से गौरीकुंड के लिए उड़ान भरता तो है तो पायलट को नहीं पता होता है कि आगे मौसम कैसा है। ऐसा लग रहा है कि सिर्फ पैसा कमाने या श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ा कर तीर्थ धाम की महत्ता बढ़ाने के लिए इस तरह लोगों की जान जोखिम में डाला जा रहा है और हर नियामक एजेंसी की आपराधिक मिलीभगत ऐसे मामलों में होती है।

बहरहाल, उम्मीद करनी चाहिए कि अहमदाबाद हादसे के बाद जो कवायद हो रही है उसका कुछ सकारात्मक हासिल होगा। विमानन कंपनियों के बेड़े में नए विमान शामिल होंगे। पुराने विमानों को रिटायर किया जाएगा। विमानों में बेसिक सुविधाएं बेहतर की जाएंगी। परिचालन की प्रणाली में सुधार होगा। सुरक्षा मानकों को ज्यादा गंभीरता से पालन होगा। हवाईअड्डों पर यात्रियों को बुनियादी सुविधाएं मिलेंगी। किराए को तर्कसंगत बनाने के प्रयास होंगे। अगर सरकार इस सेक्टर में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दे तो और बेहतर सुधार की संभावना बनेगी।

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