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विमान हादसा और भाग्य का खेल!

Ahmedabad, Jun 12 (ANI): The site where an Air India plane B787 Aircraft VT-ANB, while operating flight AI-171 from Ahmedabad to Gatwick, has crashed immediately after takeoff with 242 passengers onboard, in Ahmedabad on Thursday. (Viral Photo/ANI Photo)

टी के वैमानिकी विशेषज्ञ, के अनुसार विमान दुर्घटना में जीवित रहने की संभावना सीट की स्थिति, दुर्घटना का प्रकार और त्वरित निर्णय लेने पर निर्भर करती है। विश्वास की सीट आपातकालीन निकास के पास थी, जो कि बिना  किसी बड़े नुकसान के ज़मीन पर जा गिरी और उन्हें बाहर निकलने का मौका मिला। इसके अलावा, उनकी त्वरित प्रतिक्रिया और भाग्य ने भी उनकी जान बचाई।

अहमदाबाद में हुई भयानक विमान दुर्घटना के बाद भारत सरकार ने इस दुर्घटना की जाँच के लिए एक उच्च-स्तरीय समिति गठित की है और विमान निर्माण कंपनी बोइंग ने भी सहयोग की पेशकश की है। अन्य विदेशी जांच एजेंसियां भी इस जांच में जुट गई हैं। हवाई जहाज़ के निर्माण में बोइंग एक रसूखदार कंपनी है। बावजूद इसके बोइंग की कार्यक्षमता पर सवाल उठते रहे हैं। सोशल मीडिया पर एक फ़िल्म वायरल हो रही है कि बोइंग कंपनी के ही एक इंजीनियर जॉन बार्नेट, जिसने बोइंग की अंदरूनी क्षमताओं पर महत्वपूर्ण सवाल उठाए थे, उसे 2024 में रहस्यमय परिस्थितियों में बोइंग कंपनी की ही कार पार्किंग में मृत पाया गया।

जब किसी विमान दुर्घटना में पायलट भी मारे जाते हैं तो एक आम चलन है कि पावरफुल लॉबी साँठ-गाँठ करके जाँच का रूख इस तरह मोड़ देती हैं कि दुर्घटना के लिए पायलट को ही जिम्मेदार ठहराया जाता है। क्योंकि वो अपना पक्ष रखने के लिए अब जीवित नहीं होता। इसलिए ज़रूरी है कि सभी जाँच एजेंसियां इस दुर्घटना की पूरी ईमानदारी से जाँच करें। दुनिया भर में लाखों लोग बोइंग कंपनी के हवाई जहाज़ों में रोज़ उड़ रहे हैं। उन सबकी सुरक्षा के हित में भी यह ज़रूरी है कि बोइंग कंपनी उसके विरुद्ध अक्सर लगाए जाने वाले सभी आरोपों का स्पष्ट जवाब दे और यदि उसकी निर्माण प्रक्रिया में ख़ामियाँ हैं तो उन्हें अविलंब सुधारे।

12 जून 2025 को अहमदाबाद में हुई भयानक विमान दुर्घटना में जीवित बचे विश्वास कुमार रमेश ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है। एयर इंडिया की फ्लाइट AI 171 के इस दुखद हादसे में 242 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों में से 241 की मौत हो गई और केवल एक यात्री, विश्वास कुमार रमेश जीवित बचा। यह घटना विमान दुर्घटनाओं में एकमात्र बचे लोगों की उन असाधारण कहानियों में से एक है, जो न केवल चमत्कार को दर्शाती हैं, बल्कि मानव की जीवटता और भाग्य की अनिश्चितता को भी उजागर करती हैं।

विश्वास कुमार रमेश, 40 वर्षीय ब्रिटिश नागरिक हैं, जो भारतीय मूल के हैं। उस दिन सीट नंबर 11 ए पर बैठे थे, जो एक आपातकालीन निकास द्वार के पास थी। हादसे के तुरंत बाद विश्वास ने भारतीय मीडिया को बताया कि, “मैं यह नहीं समझ पा रहा कि मैं कैसे बच गया। सब कुछ मेरी आँखों के सामने हुआ। मैंने सोचा कि मैं भी मर जाऊँगा, लेकिन जब मैंने आँखें खोलीं, तो मैंने खुद को जिंदा पाया।” उन्होंने बताया कि उनकी सीट के पास का हिस्सा जमीन पर गिरा और आपातकालीन निकास द्वार टूट गया था, जिसके कारण वे बाहर निकल पाए। विमान का दूसरा हिस्सा इमारत की दीवार से टकराया था, जिसके कारण वहाँ से निकलना असंभव था।

विमान दुर्घटनाओं में एकमात्र बचे लोगों की कहानियाँ बेहद दुर्लभ हैं, लेकिन ये मानव की जीवटता और कभी-कभी भाग्य के खेल को दर्शाती हैं। इतिहास में कुछ ऐसी घटनाएँ दर्ज हैं, जिनमें एकमात्र व्यक्ति ही जीवित बचा। जूलियन कोएपके 17 साल की एक जर्मन लड़की थी जो 1971 में पेरू के अमेज़न जंगल में हुई लांसा फ्लाइट 508 की दुर्घटना में एकमात्र जीवित बची थी।

विमान 10,000 फीट की ऊँचाई से गिरा और जूलियन अपनी सीट से बंधी हुई जंगल में जा गिरी। गंभीर चोटों के बावजूद वह 11 दिनों तक जंगल में भटकती रही और अंततः मदद मिलने पर बच गई। उसकी कहानी साहस और जीवित रहने की इच्छाशक्ति का प्रतीक बन गई। वेस्ना वुलोविच, एक सर्बियाई फ्लाइट अटेंडेंट थी जो 1972 में JAT फ्लाइट 367 के मध्य हवा में हुए विस्फोट के बाद एकमात्र ज़िंदा बची थी। वह 33,000 फीट की ऊँचाई से गिरने के बावजूद जीवित रही, जो गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। वेस्ना को गंभीर चोटें आई थीं, लेकिन वह ठीक हो गई और बाद में अपनी कहानी साझा की।

चार साल की सेसिलिया सिचन 1987 में नॉर्थवेस्ट एयरलाइंस फ्लाइट 255 के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद एकमात्र ज़िंदा बची थी। यह विमान मिशिगन में दुर्घटनाग्रस्त हुआ, जिसमें 154 यात्री और चालक दल के सदस्य मारे गए। सेसिलिया को मलबे में दबा हुआ पाया गया और उनकी जान बचाने के लिए व्यापक उपचार किया गया। 12 साल की बाहिया बकारी 2009 में येमेनिया एयरवेज की उड़ान के कोमोरो द्वीप समूह के पास दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद एकमात्र ज़िंदा बची थी। वह समुद्र में तैरती रही और बाद में बचाव दल द्वारा बचा ली गई। उसकी कहानी भी दुनिया भर में चर्चा का विषय बनी।

विमान दुर्घटनाओं के अलावा, अन्य दुखद हादसों में भी एकमात्र बचे लोगों की कहानियाँ सामने आई हैं। 1912 में  टाइटैनिक के डूबने में कई लोगों की जान गई। लेकिन कुछ लोग, जैसे कि मिल्विना डीन, जो उस समय केवल दो महीने की थी, जीवित बची। वह उन अंतिम लोगों में से थी जो इस त्रासदी से बची थीं। 2004, हिंद महासागर सुनामी की प्राकृतिक आपदा में लाखों लोग मारे गए, लेकिन कुछ लोग, जैसे कि एक इंडोनेशियाई व्यक्ति जिसे लहरों ने समुद्र में बहा दिया था, चमत्कारिक रूप से जीवित बच गए।

विमान दुर्घटना या अन्य त्रासदियों में एकमात्र बचे लोग अक्सर ‘सर्वाइवर्स गिल्ट’ (जीवित रहने का अपराधबोध) से गुजरते हैं। विश्वास कुमार रमेश ने भी बताया कि वह अपनी जान बचने के बावजूद अपने भाई को खोने के दुख से जूझ रहे हैं। जॉर्ज लैमसन जूनियर, जो 1985 में गैलेक्सी एयरलाइंस की दुर्घटना में एकमात्र बचे थे, ने सोशल मीडिया पर लिखा कि वह विश्वास की स्थिति को समझ सकते हैं, क्योंकि ऐसी घटनाएँ जीवित बचे लोगों के जीवन पर गहरा प्रभाव डालती हैं। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसे लोग अक्सर पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) से पीड़ित हो सकते हैं। विश्वास के मामले में, डॉ. रजनीश पटेल ने बताया कि वह ‘पोस्ट-ट्रॉमेटिक अम्नेसिया’ से प्रभावित हो सकते हैं, जिसके कारण उन्हें दुर्घटना की पूरी तस्वीर याद नहीं है।

विश्वास कुमार रमेश का जीवित रहना कई कारकों का परिणाम हो सकता है। प्रोफेसर जॉन हंसमैन, एम आई टी के वैमानिकी विशेषज्ञ, के अनुसार विमान दुर्घटना में जीवित रहने की संभावना सीट की स्थिति, दुर्घटना का प्रकार और त्वरित निर्णय लेने पर निर्भर करती है। विश्वास की सीट आपातकालीन निकास के पास थी, जो कि बिना  किसी बड़े नुकसान के ज़मीन पर जा गिरी और उन्हें बाहर निकलने का मौका मिला। इसके अलावा, उनकी त्वरित प्रतिक्रिया और भाग्य ने भी उनकी जान बचाई।

विश्वास कुमार रमेश की कहानी, अन्य एकमात्र बचे लोगों की तरह, हमें जीवन की नाजुकता और चमत्कारों की संभावना की याद दिलाती है। ये कहानियाँ न केवल प्रेरणादायक हैं, बल्कि विमानन सुरक्षा में सुधार की आवश्यकता को भी उजागर करती हैं।

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