धर्मेंद्र की झूठी मौत की खबर ने एक बार फिर दिखाया कि आज का मीडिया अपनी जिम्मेदारी और नैतिकता को भूल चुका है। टीआरपी और लोकप्रियता के लिए खबरें छापना और सेलिब्रिटीज की निजता का उल्लंघन करना अब आम बात हो गई है। इससे न केवल सेलिब्रिटीज को नुकसान होता है, बल्कि आम जनता को भी गलत सूचना देकर भ्रमित किया जाता है।
हाल में बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र की मौत की झूठी खबर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा फैलाई गई, जिसने न केवल उनके परिवार और प्रशंसकों को दुखी किया, बल्कि देश के लाखों नागरिकों को भी भ्रमित कर दिया। यह घटना आज के मीडिया की विश्वसनीयता, जिम्मेदारी और नैतिकता पर गंभीर सवाल खड़े करती है। आज का मीडिया, ख़ासकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया अक्सर सच्चाई की जगह टीआरपी और लोकप्रियता के लिए खबरें तेजी से प्रचारित करता है, बिना उसकी पुष्टि किए। इसके चलते न केवल सेलिब्रिटीज या किसी चर्चित व्यक्ति की निजता का उल्लंघन होता है, बल्कि आम जनता को भी गलत सूचना देकर भ्रमित किया जाता है।
धर्मेंद्र की मौत की झूठी खबर तेजी से सोशल मीडिया और कई इलेक्ट्रॉनिक चैनलों पर फैल गई, जिसके बाद उनकी पत्नी हेमा मालिनी और बेटी ईषा देओल ने खुद सामने आकर इस खबर को गलत बताया। इस घटना ने दिखाया कि आज के मीडिया की जल्दबाजी और बिना जांच के खबर छापने की आदत कितनी खतरनाक है। इंडियन फिल्म एंड टेलीविजन डायरेक्टर्स एसोसिएशन (IFTDA) ने भी इस तरह की झूठी खबरों की निंदा करते हुए मीडिया से जिम्मेदारी और संयम का आह्वान किया है।
आज के मीडिया में टीआरपी (टेलीविज़न रेटिंग प्वाइंट्स) की दौड़ इतनी तेज है कि अक्सर सच्चाई और नैतिकता को पीछे छोड़ दिया जाता है। मनमाने दामों पर अधीक से अधिक विज्ञापन पाने की होड़ में, कुछ चैनलों को छोड़ कर ज़्यादातर चैनल्स अपनी रेटिंग बढ़ाने के लिए ऐसी खबरें दिखाते हैं जो दर्शकों का ध्यान तुरंत खींचती हैं, चाहे वह सच हो या न हो। इसके चलते सेलिब्रिटीज या मशहूर हस्तियों की निजता का उल्लंघन होता है। उनकी निजी जिंदगी को खुले आम उजागर किया जाता है और उनकी तस्वीरें, वीडियो बिना अनुमति के शेयर की जाती हैं।
यह न केवल अनैतिक है, बल्कि कानूनी दृष्टि से भी गलत है। आज के मीडिया में ऐसी खबरें छापने या प्रसारित करने का उद्देश्य केवल टीआरपी और लोकप्रियता की भूख होता है, न कि सच्चाई को जनता तक पहुंचाना। किसी की भी निजी जानकारी का खुलासा करने से पहले यह जांच अवश्य करनी चाहिए कि उससे सार्वजनिक हित में कोई बड़ा लाभ होगा या नहीं। यदि नहीं है, तो उसका खुलासा नहीं किया जाना चाहिए।
पुराने जमाने में जब टीवी चैनलों की भीड़ नहीं होती थी, मीडिया की जिम्मेदारी और नैतिकता बहुत ज्यादा थी। खबरें छापने व प्रसारित करने से पहले उनकी भरपूर पुष्टि की जाती थी और बिना जांच के कोई भी खबर नहीं छापी या दिखाई जाती थी। तब मीडिया का उद्देश्य सच्चाई और जानकारी देना होता था, न कि टीआरपी या लोकप्रियता बढ़ाना। आज की तुलना में तब की खबरें अधिक विश्वसनीय और जिम्मेदार थीं।
तब के पत्रकार अपनी जिम्मेदारी को समझते थे और खबरों को छापने से पहले उनकी सत्यता की जांच करते थे। आज के मीडिया के एक विशेष वर्ग में इस तरह की जिम्मेदारी लगभग खत्म हो गई है। उनका उद्देश्य केवल अपने चैनल मालिकों या राजनैतिक आकाओं को खुश करना है।
गौरतलब है कि सेलिब्रिटी की प्राइवेसी बचाने के लिए भारत में अभी तक कोई विशेष कानून नहीं है, लेकिन हाल के वर्षों में न्यायपालिका ने इस मुद्दे पर बहुत ज्यादा जोर दिया है। आज के डिजिटल युग में सेलिब्रिटीज की तस्वीरें, आवाज़, नाम और व्यक्तित्व का बिना अनुमति के उपयोग आम हो गया है, खासकर एआई और डीपफेक तकनीक के चलते। जिससे इन सेलिब्रिटीज का काफ़ी दुष्प्रचार होने लगा है।
इसलिए नए कानूनों की जरूरत है, जो सेलिब्रिटीज या किसी अन्य चर्चित व्यक्ति की प्राइवेसी और व्यक्तित्व के अधिकारों की सुरक्षा करें। सार्वजनिक हित और निजी गोपनीयता के बीच संतुलन बनाने के लिए स्पष्ट कानूनी दिशा-निर्देश बनाए जाने चाहिए, जिसमें निजी जानकारी के खुलासे की शर्तें और सीमाएं स्पष्ट हों।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है, लेकिन इसकी व्याख्या और लागू करने के लिए और स्पष्ट नियम बनाए जाने चाहिए। इसमें सेलिब्रिटीज या मशहूर व्यक्तियों की निजी जानकारी, चिकित्सा इतिहास और व्यक्तिगत जीवन की जानकारी को बिना अनुमति के प्रकाशित करने पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। ऐसे कानूनों का उल्लंघन करने वालों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्यवाही का प्रावधान भी होना चाहिए, जिससे भविष्य में कि कोई भी ऐसी गलती करने से पहले कई बार सोचे।
धर्मेंद्र की झूठी मौत की खबर ने एक बार फिर दिखाया कि आज का मीडिया अपनी जिम्मेदारी और नैतिकता को भूल चुका है। टीआरपी और लोकप्रियता के लिए खबरें छापना और सेलिब्रिटीज की निजता का उल्लंघन करना अब आम बात हो गई है। इससे न केवल सेलिब्रिटीज को नुकसान होता है, बल्कि आम जनता को भी गलत सूचना देकर भ्रमित किया जाता है। मीडिया को अपनी जिम्मेदारी और नैतिकता को फिर से याद करना चाहिए और खबरें छापने से पहले उनकी पुष्टि करनी चाहिए। इससे ही मीडिया की विश्वसनीयता बनी रहेगी और जनता को सही जानकारी मिलेगी। नए कानूनों के साथ-साथ मीडिया और जनता के लिए जागरूकता अभियान भी जरूरी है, ताकि वे सेलिब्रिटीज की प्राइवेसी का सम्मान करें और उनकी निजी जानकारी को बिना अनुमति के न फैलाएं।
