Media

  • खेलों से मीडिया का खिलवाड़ !

    ‘इक्कीसवीं सदी भारत और भारतीय खिलाड़ियों के नाम रहेगी’, पिछली सदी के समापन पर देश के राजनेता और खेल आका इस प्रकार के दावे करते हुए नई सदी में दाखिल हुए थे। लेकिन फुटबॉल, हॉकी, एथलेटिक्स, तैराकी, जिम्नास्टिक, टेनिस, बैडमिंटन और तमाम खेलों में भारतीय आधिपत्य की हुंकार भरने वाले फिलहाल मौन है। साल दर साल और प्रतियोगिता दर प्रतियोगिता हमारे खिलाड़ी अपने श्रेष्ठ को भी नहीं छू पा रहे हैं। तारीफ की बात यह है कि खराब प्रदर्शन और शर्मनाक रिकॉर्ड के लिए अब मीडिया को भी दोषी माना जा रहा है। खासकर, प्रिंट मीडिया अर्थात समाचार पत्र-पत्रिकाओं पर...

  • बेमुरव्वत निर्ममता को छू रही पक्षधरता

    क्या आप देश के तक़रीबन 400 समाचार चैनलों में से दो-चार भी ऐसे बता सकते हैं, जो आजकल सरकार के निर्णयों और नीतियों में ख़ामियों को उजागर करना तो दूर, उन की तरफ़ इशारा करने का काम भी करते हों? एक लाख के आसपास अख़बारों-पत्रिकाओं में से क्या सौ-पचास भी ऐेसे हैं, जो केंद्रीय, प्रादेशिक या ज़िला स्तरीय शासन-प्रशासन के कामकाज की समीक्षात्मक रपटें प्रकाशित करते हों? पत्रकारिता के दो अलग-अलग कंगूरे हैं। एक है, जिस ने अपनी दीवार पर ‘मुख्यधारा-मीडिया’ का बोर्ड  अपने आप टांग कर ख़ुद को हम पर थोप दिया है। दूसरा है बे-धारा मीडिया। इसे आप...

  • सेना की एडवाइजरी सिर्फ मीडिया के लिए क्यों?

    भारतीय सेना की ओर से मीडिया और आम लोगों के लिए एक एडवाइजरी जारी की गई है, जिसमें कहा गया है कि सेना के अधिकारियों की कवरेज करते हुए उनको सावधानी बरतनी चाहिए। सैन्य अधिकारियों के घरों के बारे में या उनके परिवार के बारे में जानकारी देने की जरुरत नहीं है। यह भी कहा गया है कि मीडिया के लोग और इन्फ्लूएंसर्स अधिकारियों के इंटरव्यू से बचें। इंटरव्यू या खबर तभी करें, जब उनको इसके लिए बुलाया जाए। इसमें कोई संदेह नहीं है कि मीडिया को जिम्मेदार से काम करना चाहिए और इस मामले में भारत का मीडिया पूरी...

  • रक्षा मंत्रालय ने मीडिया के लिए एडवाइजरी जारी की

    नई दिल्ली। रक्षा मंत्रालय ने मीडिया से कहा है कि वह सैन्य अधिकारियों को बारे में रिपोर्टिंग करते हुए सावधानी बरते। इसके लिए मंत्रालय की ओर से एडवाइजरी जारी की गई है। इसमें रक्षा मंत्रालय ने मीडिया के साथ साथ लोगों से भी अपील की है कि सैन्य अधिकारियों और उनके परिवारों की गोपनीयता का सम्मान करें। सरकार ने एडवाइजरी में कहा है, 'सेवारत या रिटायर सैन्य अधिकारियों के निजी आवासों की कवरेज या परिवारों से इंटरव्यू करने से बचें'। मंत्रालय ने कहा है कि जब तक आधिकारिक तरीके से इसका बुलाया नहीं गया हो या इजाजत न दी गई...

  • मीडिया के लिए दिशा निर्देश जारी

    नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकवादी हमले की मीडिया में नॉन स्टॉप कवरेज के बीच केंद्र सरकार ने मीडिया के लिए एडवाइजरी जारी की है। सरकार ने मीडिया से कहा है कि वह संवेदनशील मामलों में सूत्रों के हवाले से खबरें नहीं चलाए। यह भी कहा गया है कि किसी भी कार्रवाई के बाद संबंधित विभाग की ओर से मीडिया को जानकारी दी जाएगी। सरकार ने शनिवार को जारी एडवाइजरी में मीडिया से सेना के अभियान और सुरक्षा बलों की आवाजाही का लाइव टेलीकास्ट न करने का निर्देश दिया है। सूचना व प्रसारण मंत्रालय की...

  • ‘वाशिंगटन पोस्ट’ भी तबाह!

    पत्रकारिता सरल नहीं है, आसान नहीं है, कभी भी नहीं थी। आप कोई समाचार देते हैं, तो धमकियां मिलती हैं। आलोचना होती है साथ ही नाममुकिन भी नहीं जो आप पर देशद्रोही का लेबल चस्पा कर दिया जाए। पत्रकार हमेशा से आसान निशाना रहे हैं। लेकिन एक समय पत्रकार का मान था, उन्हे नेक और श्रेष्ठ व्यक्ति माना जाता था। एक समय था जब पत्रकारों को भरोसेमंद माना जाता था। हर व्यक्ति प्रतिदिन हिम्मती अखबारों को पढ़ता था और टीवी पर भय और बंदिशों से मुक्त खबरें देखता था। जब नागरिकों को राजनीति से जुड़े फैसले लेने होते थे तो...

  • फ़िदा-हुसैन नहीं, न्याय-देवता की ज़रूरत

    पूरे एक दशक अकांडतांडव में रत रहने वाले टीवी-सूत्रधारों और अख़बारी-क़लमकारों के परिस्थितिजन्य ताल-बदलू उपक्रम को उन का सच्चा हृदय परिवर्तन समझने वाले नासमझों को कोई समझाए कि सांसारिक लीलाएं इतनी बेलोच नहीं हुआ करती हैं कि आप उन पर ऐसे सरपट रपटने लगें।... जन्मजात अंधखोपड़ियों ने पूरे दस बरस कथन और लेखन के अक्षरविश्व में जैसा नग्न-धमाल मचाया, उसे ऐसे ही विस्मृत कर देना नादानी होगी। दस साल से देश की छाती पर नरेंद्र भाई मोदी की नफ़रती-कार्यावली की मूंग हर रोज़ पूरे ज़ोरशोर से दल रहे मीडिया-अनुचरों में से कुछ के सुर 2024 के लोकसभा चुनाव नतीजे आने...

  • मीडिया इतना कभी नहीं गिरा !

    जब मीडिया  ने सवाल नहीं पूछे तो मीडिया पर सवाल पूछे ही जाएंगे। प्रधानमंत्री भैंस तक पर आ जाते हैं। और कोई यह नहीं पूछता कि हुजूर यह भैंस आपके दिमाग में कैसे आ गई। कांग्रेस ने यह नहीं किया वह नहीं किया। ठीक है। मगर भैंस से कांग्रेस का क्या ताल्लूक!... अभी देखा होगा कि एक एंकर पत्रकार तेजस्वी से पूछ रहा है कि इतनी ज्यादा नौकरी देने की क्या जरूरत? और असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा कह रहे हैं कि सरकारी नौकरियां पहले ही ज्यादा दी जा चुकी हैं। यह वही स्थिति लाने की कोशिश है कि रोजी...

  • और घटा प्रेस फ्रीडम

    आरएसफ ने कहा है- पत्रकारों के खिलाफ हिंसा, मीडिया स्वामित्व का केंद्रीकरण और (मीडिया के) राजनीतिक जुड़ाव के कारण भारत में प्रेस की आजादी खतरे में है। मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से देश में प्रेस स्वतंत्रता में गिरावट आती चली गई है।’ फ्रांस स्थित संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर (आरएसएफ) की नई रैंकिंग में पहली नजर में भारत की स्थिति सुधरी नज़र आती है। 2022 की रैंकिंग में भारत 161वें नंबर पर था, जबकि 2023 में वह 159वें स्थान पर आया है। इसी आधार पर ऐसी सुर्खी बनी कि भारत में प्रेस स्वतंत्रता की स्थिति में सुधार।...

  • मीडिया बीस साल से राहुल का विरोधी

    राहुल आज के टारगेट नहीं हैं। बीस साल से हैं। और जिसे गोदी मीडिया आज कह रहे हैं दरअसल वह यथास्थितिवादी मूल्यों को बनाए रखने वाला दक्षिणपंथी सोच का मीडिल क्लास है। उसे राहुल की प्रगतिशीलता पाखंड मुक्त सहजता बहुत परेशान करती है। Rahul Gandhi congress शुरू से जब राहुल दलितों के घर जाते थे तो उसकी पारंपरिक सोच को चोट पहुंचती थी। इधर कांग्रेस में भी ऐसे लोग बड़ी तादाद में थे जो राहुल की धर्मनिरपेक्ष, दलित समर्थक, जनपक्षीय सोच के विरोधी थे। उन्होंने अपने अपने तरीके से राहुल विरोधी मीडिया और पार्टी के व्यक्तियों को खूब आगे बढ़ाया।...

  • मीडिया पर हमला करके क्या मिलेगा?

    विपक्षी पार्टियों के नेता लगातार चुनाव हारने की भड़ास मीडिया पर निकाल रहे हैं। कांग्रेस से लेकर समाजवादी पार्टी और राजद से लेकर जदयू और तृणमूल कांग्रेस तक के नेता मीडिया को निशाना बना रहे हैं। जनता दल यू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह अपने इस्तीफे के बारे में पूछे जाने पर मीडिया पर बुरी तरह भड़के। गुरुवार को उन्होंने मीडिया को निशाना बनाते हुए कहा कि जब इस्तीफा देना होगा तो आपसे परामर्श कर लेंगे। आप जाइए और भाजपा कार्यालय से मेरे इस्तीफे का ड्राफ्ट बनवा कर ले आइए। भाजपा नैरेटिव सेट करती है और...

  • खेलों से क्यों खफा मीडिया?

    दिन-रात नेताओं, सांसदों और दलगत राजनीति का भोंपू बजाने वाले टीवी चैनल, समाचार पत्रों और सोशल मीडिया को क्रिकेट के अलावा कोई दूसरा खेल और खिलाड़ी क्यों नजर नहीं आते?...अपने खिलाड़ियों की पूरी तरह अनदेखी की जा रही है। खिलाड़ियों को प्रोत्साहन नहीं मिलेगा और उनकी उपलब्धियों का बखान नहीं किया जाएगा, तो क्या हम खेलों में बड़ी ताकत बन पाएंगे? चूंकि देश को खेल महाशक्ति बनना है इसलिए खिलाड़ियों को ग्रासरूट स्तर से विकसित किया जा रहा है। उन्हें स्कूल स्तर से प्रोत्साहन दिया जा रहा है। सरकारें अपने खजाने से उन पर भरपूर खर्चा कर रही हैं और...

  • राहुल ने मीडिया पर उठाए सवाल

    नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को मीडिया पर निशाना साधा। उप राष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनकड़ की नकल उतारने के मसले पर मीडिया में चल  रही खबरों और बहसों को लेकर राहुला गांधी ने कहा कि डेढ़ सौ सांसदों को सदन से निकाल कर बाहर कर दिया गया, उस पर चर्चा नहीं हो रही है। उन्होंने यह भी कहा कि बेरोजगारी, महंगाई पर भी कोई चर्चा नहीं हो रही है। गौरतलब है कि मंगलवार को निलंबित सांसदों के एक समूह के बीच तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनकड़ की...

  • क्या मीडिया बिकाऊ है?

    मीडिया के सदस्य उसी हद तक बिकाऊ हैं जिस हद तक अन्य संस्थाओं के सदस्य।...यदि हमारा मीडिया अपने पर छोड़ दिया जाए तो अभी भी बिकाऊ नहीं है। सभी अखबारों, चैनलों में परिश्रम और सत्यनिष्ठा से काम करने वाले पत्रकार भी हैं। समाचारों को कुछ मतवादी झुकाव, बनाव-छिपाव करने के सिवा, अच्छे संस्थानों के अधिकांश पत्रकार गड़बड़ नहीं करते। पर यदि राजनीतिक वर्ग ही अपने बल का उपयोग मतवादी या धंधेबाज किस्म के पत्रकारों को बढ़ाने और मीडिया मालिकों पर दबाव देने में करे तो मूल दोष उस का है। तब इस उस पत्रकार को चुनकर निशाना बनाना राजनीतिक ही...

  • डरे हुए मीडिया को और डराना

    मीडिया को और ज्यादा डराए जाने के लिए यह छापे हैं। वर्ल्ड प्रेसफ्रीडम इंडेक्स में भारत 161 वें स्थान पर है। हर साल नीचे खिसकता जा रहा है। पिछले साल 150 पर था। उससे पिछले साल 142 पर। मतलब प्रेस की आजादीलगातार कम होती जा रही है। 180 देशों की लिस्ट है। अगर ऐसा ही रहा तोअगले साल बिल्कुल नीचे ही न आ जाए। मतलब जहां प्रेस की आजादी सबसे कम है।अगर ऐसा हुआ तो दुनिया की निगाहों में हमारा सम्मान बहुत गिर जाएगा।अमेरिका, युरोप, इंग्लैंड प्रेस की स्वतंत्रता को लोकतंत्र का सबसे बड़ापैमाना मानते हैं। कहते हैं प्रेस की...

  • सरकार फैक्ट चेक करेगी

    यह विशुद्ध रूप से खबर को नियंत्रित करने का प्रयास है। यह प्रत्यक्ष रूप से खबरों को सेंसर करने का प्रयास है। मुख्यधारा की मीडिया पर कमोबेश नियंत्रण के बाद सरकार अब सोशल मीडिया को नियंत्रित करने का प्रयास कर रही है। अभी एक महीना नहीं हुआ है, जब सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने एक अंग्रेजी अखबार के कार्यक्रम में कहा था कि फेक न्यूज विभिन्न समुदायों के बीच तनाव पैदा कर सकता है और साथ ही इससे लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए भी खतरा पैदा हो सकता है और अब केंद्र सरकार फर्जी खबरों पर रोक लगाने...

  • अजित ने मीडिया में गलत खबर चलाये जाने पर जतायी नाराजगी

    मुंबई। महाराष्ट्र (Maharashtra) में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (Congress Party) के नेता अजित पवार (Ajit Pawar) ने शनिवार को प्रेस के कुछ वर्गों में उनके बारे में गलत रिपोर्ट के प्रकाशन और प्रसारण पर नाराजगी व्यक्त की। पवार ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से उन्होंने पूरे महाराष्ट्र में कई दौरे किए, जिससे उन्हें पर्याप्त नींद नहीं मिल पायी। उन्होंने कहा कि गर्मी और अपर्याप्त नींद के कारण एसिडिटी (पित्त) की समस्या बढ़ गई और उनका स्वास्थ्य बिगड़ गया। उन्होंने कहा इसी वजह से मैंने दौरा छोड़ दिया और डॉक्टर की सलाह पर दवा ली और पुणे (Pune) में जीजाई आवास...

  • मीडिया के पावर को क्या हुआ?

    पिछले आठ-नौ साल में मीडिया का महत्व कम हुआ है, मीडिया मालिकों और पत्रकारों की हैसियत घटी है और लोगों की नजर में उनकी ताकत भी कम हुई है। यह बात सांस्थायिक रूप से भी जाहिर होने लगी है। अंग्रेजी के अखबार ‘इंडियन एक्सप्रेस’ हर साल की तरह इस साल भी देश के सबसे ताकतवर एक सौ लोगों की सूची प्रकाशित की है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि इधर उधर के सारे छोटे बड़े नेता इस सूची में जगह पा गए हैं लेकिन देश की मीडिया से जुड़े किसी व्यक्ति को इसमें जगह नहीं मिली है। सोचें, कितने चैनलों...

  • ‘फ्रेंकनस्टेट’ में नतमस्तक मीडिया

    यदि आप इस फ्रेंकनस्टाइन या दानव के पास एक चेकलिस्ट लेकर जाएंगे तो वह किसी टेस्ट में फेल नहीं होगा। लोकतंत्र जिंदा मिलेगा। क्या चुनाव होते हैं? हां, बिलकुल होते हैं। क्या संसदीय व्यवस्था लागू है? हां, बिलकुल है। पर समस्या संयोजनों (combinations)में है। चुनाव तो स्वतंत्र हैं परंतु उन्हें लड़ने में पार्टियां असमर्थ है। संसद है मगर बहस नहीं, विपक्ष, मीडिया, आडिट एजेंसियां, ओमबड्समेन, पारदर्शिता नहीं। कुल मिलाकर फ्रेंकनस्टेट वह है जो दिखलाई देगा प्रजातांत्रिक परंतु उसमें प्रजातांत्रिक संस्थाओं के हिस्सों का ऐसा संयोजन होगा कि वह दरअसल गैर-प्रजातांत्रिक बनामनमाना शासन करते हुए होगा। प्रेस को प्रजातंत्र का चौथा...

  • आरएसएस का सभी संस्थाओं पर नियंत्रण

    होशियारपुर (पंजाब)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने मंगलवार को आरोप लगाया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) तथा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का देश की सभी संस्थाओं पर नियंत्रण है और दावा किया कि देश के मीडिया, नौकरशाही, निर्वाचन आयोग और न्यायपालिका पर ‘दबाव’ है। राहुल गांधी ने पंजाब की आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार पर भी तंज कसते हुए कहा कि पंजाब का शासन पंजाब से ही चलाया जाना चाहिए, दिल्ली से नहीं। राहुल गांधी ने पत्रकारों से कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा देश की संस्थाओं को नियंत्रित...

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