• सुने पड़े हैं फुटबाल “मैदान”!

    “मैदान” में अजय देवगन ने भारतीय फुटबॉल के सर्वकालीन श्रेष्ठ कोच सैयद अब्दुल रहीम के किरदार को भले ही बखूबी निभाया है लेकिन आज की भारतीय फुटबॉल पर यह फिल्म कुछ खास प्रकाश नहीं डालती है। हर फिल्म की तरह “मैदान” ने रोचक और रोमांचक पटकथा के साथ फुटबॉल प्रेमियों का मनोरंजन तो किया लेकिन 62 साल बाद 1962 के एशियाई खेलों में मिली जीत पर तत्काल भरोसा करना संभव नहीं लगता। पिछले चार-पांच दशकों में खेलने वाले और उनके बाद पैदा होने वाले खिलाड़ी अक्सर  पूछते हैं कि अचानक भारतीय फुटबॉल का पतन क्यों हुआ? क्यों ओलम्पिक में शानदार...

  • महिला हॉकी के लिए दरवाजे क्यों बंद हो रहे?

    रांची में हॉकी प्रेमियों का दिल तोड़ देने वाले प्रदर्शन के बाद अब महिला टीम ने भुवनेश्वर एफआईएच प्रो-लीग में भी खराब प्रदर्शन का सिलसिला बरकरार रखा है और क्रमश: नीदरलैंड, चीन और ऑस्ट्रेलिया से हारकर यह बता दिया है कि भारतीय महिला हॉकी रसातल में धसक रही है। women fih pro league ज्यादा वक्त नहीं बीता है, जब भारतीय महिला हॉकी टीम की तारीफों के पुल बांधे जा रहे थे। हॉकी इंडिया के बड़े और कुछ चाटुकार मीडियाकर्मी टोक्यो ओलम्पिक में चौथा स्थान पाने वाली टीम, उसकी खिलाड़ियों और टीम प्रबंधन को सातवें आसमान पर उछाल रहे थे। लेकिन...

  • कुश्ती चित होने के कगार पर

    पिछले एक साल से भारतीय कुश्ती चित होने की कगार पर खड़ी है। फेडरेशन अध्यक्ष ब्रज भूषण शरण सिंह पर लगे यौन शौषण के आरोपों और तमाम उठा पटक के बाद भी हालात सुधारे  नहीं सुधर पा रहे। हालांकि फेडरेशन के चुनाव हो गए हैं लेकिन अब चुने गए पदाधिकारियों  और खेल मंत्रालय के बीच तनातनी चल रही है। अनुराग ठाकुर और संजय सिंह नाम के दो पहलवान ताल ठोक कर एक दूसरे को चुनौती देने उतर चुके हैं। अर्थात कुश्ती पर धोबी पछाड़ का खतरा मंडरा रहा है। हालांकि भारतीय ओलंपिक संघ द्वारा तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया...

  • कंगारुओं से बच के रहें ब्लू टाइगर्स!

    नए वर्ष में भारतीय फुटबाल की शुरुआत कड़ी चुनौती के साथ है। पहले ही मुकाबले में तथाकथित  ब्लू टाइगर्स को आस्ट्रेलिया से निपटना है। बेशक,  कंगारुओं से पार पाना आसान नहीं होगा। हालांकि  भारतीय टीम प्रबंधन को लगता है कि  भारत  उलट फेर करने की क्षमता रखता है। ओलंपिक वर्ष में भले ही भारतीय टीम पेरिस ओलंपिक से बाहर रहेगी लेकिन  एशियन कप  में ऑस्ट्रेलिया ,  उज़्बेकिस्तान और सीरिया  से निपटना आसान नहीं होगा।  हालांकि   शुरुआत भारतीय फुटबाल के लिए कड़ी चुनौती के साथ होने जा रही है। पहले ही मुकाबले में तथाकथित  ब्लू टाइगर्स को आस्ट्रेलिया से निपटना है।...

  • खेलों से क्यों खफा मीडिया?

    दिन-रात नेताओं, सांसदों और दलगत राजनीति का भोंपू बजाने वाले टीवी चैनल, समाचार पत्रों और सोशल मीडिया को क्रिकेट के अलावा कोई दूसरा खेल और खिलाड़ी क्यों नजर नहीं आते?...अपने खिलाड़ियों की पूरी तरह अनदेखी की जा रही है। खिलाड़ियों को प्रोत्साहन नहीं मिलेगा और उनकी उपलब्धियों का बखान नहीं किया जाएगा, तो क्या हम खेलों में बड़ी ताकत बन पाएंगे? चूंकि देश को खेल महाशक्ति बनना है इसलिए खिलाड़ियों को ग्रासरूट स्तर से विकसित किया जा रहा है। उन्हें स्कूल स्तर से प्रोत्साहन दिया जा रहा है। सरकारें अपने खजाने से उन पर भरपूर खर्चा कर रही हैं और...

  • भारतीय फुटबाल: खुली सपनों की पोल

    भारतीय फुटबाल को 2047 तक शिखर पर पहुंचाने और एशिया में बड़ी ताकत बनाने का सपना दिखाने वाली एआईएफएफ के शीर्ष पदाधिकारियों और उनके सपनों की पोल खुल गई है। चौदह महीने पहले नाटकीय अंदाज में सता कब्जाने के बाद अध्यक्ष और पूर्व खिलाड़ी कल्याण चौबे ने भारतीय फुटबाल को बड़े बड़े सपने दिखाए। लेकिन अब यह जोड़ी टूट गई है। इसलिए क्योंकि शाजी प्रभाकरण ने  विश्वास का हनन किया है, ऐसा अध्यक्ष कल्याण चौबे का कहना है। बेशक, शाजी ऐसे पहले महासचिव हैं, जिसे बीच कार्यकाल के चलते हटाया गया है। जहां तक विश्वास के हनन और घोटालों की...

  • ऐसे तो खेल महाशक्ति नहीं बन पाएंगे!

    ओलंपिक तो बहुत दूर की बात है। यह ना भूलें कि एथलेटिक, तैराकी और जिम्नास्टिक में सबसे ज्यादा पदक दांव पर होते है। यहां तक माना जाता है कि जो देश एथलेटिक, तैराकी और जिम्नास्टिक में कमजोर हैं, खेल में कभी बड़ी ताकत नहीं बन सकते। टीम खेलों में भारतीय खिलाड़ी महां फिसद्दियों में शामिल हैं। ग्वांगझाउ एशियाई खेलों में भारतीय खिलाड़ियों के रिकर्डतोड़ प्रदर्शन के बाद भारतीय खेल आका गदगद हैं और  यह मान चुके हैं कि भारत खेल महाशक्ति बनने की दिशा में चल निकला है। सरकार , खेल प्राधिकरण , खेल संघ और बड़े औद्योगिक घराने देश...

  • ओलंपिक मेजबानी के दावे से पहले मंथन जरूर करें

    ग्वांगझाऊ एशियाई खेलों में भारतीय खिलाड़ियों के रिकर्डतोड प्रदर्शन से उत्साहित उड़न परी और  राज्यसभा सांसद पीटी ऊषा ने अति उत्साह में पड़कर सरकार के 2036 के प्रस्ताव का समर्थन किया है। ऊषा का मानना है कि उनकी  सरकार खेलों के प्रोत्साहन के लिए प्रयासरत है, जिसका नतीजा सामने है। एक एशियाड में चार ट्रैक एंड फील्ड गोल्ड जीतने वाली  और भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष  को विश्वास है कि भारत पेरिस ओलंपिक में टोक्यो से अधिक पदक जीतेगा। बेशक, ऊषा के दावे को हर तरफ से समर्थन मिल रहा है। सरकार और देश के खेल प्रेमी भी चाहते हैं...

  • हॉकी:एशियाड गोल्ड ओलंपिक की गारंटी

    भले ही हमारा परंपरागत प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान अपनी पहचान खो चुका है फिरभी  यह कहना कि पाकिस्तान दौड़ में शामिल नहीं है, सरासर गलत होगा। कुछ माह पहले इसी पाकिस्तान को अपनी मेजबानी में हराने के लिए टीम इंडिया को एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा था। भारतीय हॉकी टीम जोशो खरोश और बुलंद हौसलों के साथ एशियाई खेलों में भाग लेने जा रही है। खिलाड़ियों के हौंसले  ऊंचे हैं और  कोच को भरोसा है कि भारतीय टीम खिताब जीत कर पेरिस ओलंपिक का टिकट पा जाएगी। लेकिन यदि खिताब नहीं जीते तो रैंकिंग का उपहास उड़ना तय है। पिछले कुछ...

  • भारतीय फुटबाल के हत्यारे!

    आईएसएल नाम की बूढ़े खिलाड़ियों की लीग नीम चढ़ी साबित हो रही है। पता नहीं आईएसएल के आयोजन से भारतीय फुटबाल को कौनसा खजाना मिल गया है लेकिन बूढ़े और खेल मैदान से बेदखल कर दिए गए विदेशी खिलाड़ी आयोजकों के साथ मिल कर भारतीय फुटबाल को तमाशा बनाने पर तुले हैं। फुटबाल में सुपर पावर बनने और चंद सालों में फुटबाल जगत में हड़कंप मचाने का दावा करने वाली भारतीय फुटबाल अपने ही बुने जाल में उलझती नजर आ रही है। लगातार दर्जन भर मैचों में अजेय रिकार्ड बनाने वाली फुटबाल कहां जा रही है हाल के प्रदर्शन से...

  • एशियाई खेल: इस बार 100 पार की हुंकार

    यह बात अलग है कि पदक तालिका में पांचवें सातवें स्थान पर अटक जाते हैं। चीन, जापान, कोरिया और कुछ अन्य देश भारत की पदक उम्मीदों पर पानी फेरते आए हैं। चलिए मान लिया कि भारत सौ पदक जीत सकता है लेकिन गोल्ड कितने हो सकते हैं इस बारे में कोई भी कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं है। तो फिर शेखचिल्ली के सपने क्यों देख- दिखा रहे हैं? 'इस बार 100 के पार', चीन में आयोजित होने वाले एशियाई खेलों के लिए भारतीय खिलाड़ी कितने तैयार हैं और पदक तालिका में हम किस स्थान पर रहेंगे, इस बारे...

  • मुफ्त में मिली खैरात की लाज क्या बचेगी?

    अब फुटबाल टीमों को खुद को साबित करना है। देश के सर्वाधिक लोकप्रिय ओलंपिक खेल में भारत की स्थिति आज भले ही दयनीय है लेकिन 1951और 1962के एशियाई खेलों के विजेता को वापसी के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। सवाल पदक जीतने का नहीं है। यदि सम्मान जनक प्रदर्शन कर पाए तो भी चलेगा। भारतीय फुटबाल बहुत रोई गिड़गिड़ाई और अंततः उसे एशियाई खेलों में भाग लेने के लिए हरी झंडी मिल गई है।  शायद ही किसी को ऐसी उम्मीद रही होगी। ना सिर्फ पुरुष टीम को बल्कि महिला टीम को भी मनचाही मुराद मिली है। है। भारतीय फुटबाल प्रेमियों...

  • सुनील क्षेत्रीः पूत के पांव पालने में दिख गए थे!

    लेकिन पिछले बीस सालों में सुनील ने भारतीय फुटबाल को जो कुछ दिया उसका बखान करने की जरूरत नहीं है। चूंकि सुनील को आज भारत के घर घर में जाना पहचाना जाता है, इसलिए हर कोई उसके बारे में किस्से कहानियां गढ़ता मिल जाएगा। उनमें से मैं भी एक हूं। मैने उसकी शुरुआती फुटबाल यात्रा को करीब से देखा परखा है। इसमें दो राय नहीं कि सुनील क्षेत्री को आसानी से भारत का सर्वकालीन श्रेष्ठ खिलाड़ी आंका जा सकता है। हो सकता है कि कुछ फुटबाल जानकारों को आपत्ति हो, क्योंकि वह उस दौर का भारतीय खिलाड़ी है जब भारतीय...

  • रोंदू और तुनक मिजाज कोच नहीं चाहिए!

    कुछ साल पहले तक भारतीय फुटबाल टीम के लिए पाकिस्तान को हराना ज्यादा मुश्किल नहीं था। हालाँकि आज भी हालत जस के तस हैं, क्योंकि पाकिस्तान की फुटबाल टीम भारतीय खिलाड़ियों की तरह सुविधाओं का सुखभोग नहीं कर पा रही।  भारत जीता जरूर पर चार गोलों की जीत के लिए मेजबान खिलाडियों को न सिर्फ जम कर पसीना बहाना पड़ा, कुछ एक अवसरों पर हाथ पाई की नौबत भी आई। अपनी मेजबानी, अपने दर्शक और सब कुछ अपने पक्ष में होने के बावजूद भारतीय फुटबाल टीम सैफ चैम्पियनशिप में पाकिस्तान और कुवैत के विरुद्ध कड़े संघर्ष और धक्का मुक्की के...

  • पहलवानों को अब इंतजार ही करना है!

    असली मुद्दा तो जस का तस है। पहलवान तो सिर्फ ब्रज भूषण की गिरफ्तारी पर अड़े हैं लेकिन एक बड़ा तबका कह रहा है कि उन्हें शायद घेर घोट कर फंसा लिया गया है। यदि ऐसा है तो अब तक की लड़ाई का कोई मायने नहीं रह जाएगा। आंदोलकारी पहलवानों और सरकार के बीच बढ़ते लाड प्यार को देखते हुए देश के कुश्ती पंडित हैरान नहीं है। कारण, उन्हें मालूम है कि विवाद का कोई स्वीकार्य हल इसलिए संभव नहीं है क्योंकि ब्रज भूषण शरण सिंह पर आरोप अबी साबित कहा है? पहलवानों ने धरना प्रदर्शन, कैंडल मार्च, पार्लियामेंट तक...

  • खेल बिरादरी में भारत की फजीहत!

    अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति ने भी पीटी उषा की अध्यक्षता वाली भारतीय ओलम्पिक समिति से पहलवानों की सुरक्षा और उन्हें न्याय देने का आह्ववान किया है और यदि कहीं चूक हुई तो भारत को ओलम्पिक बिरादरी माफ़ नहीं करने वाली। फिर से जगत गुरु बनने की ओर अग्रसर भारत को अंतर्राष्ट्रीय कुश्ती महासंघ (यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग) ने दो टूक शब्दों में कह दिया है कि पहलवानों की समस्या को शीघ्र निपटाएं और समय रहते फेडरेशन के चुनाव कराएं वरना भारत को कड़े प्रतिबंध का सामना करना पड़ सकता है। उधर अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति ने भी पीटी उषा की अध्यक्षता वाली भारतीय...

  • अन्यायी को हराने के बाद पदक जीतेंगे

    पहलवानों को इस बात का दुःख है कि देश के खेल प्रेमी प्रधान मंत्री ने एक बार भी हमारे बारे में दो शब्द नहीं कहे। बस इतना ही कह देते, "बच्चियों के साथ न्याय होना चाहिए।" उनके अनुसार राजनीति कौन कर रहा है पूरा देश जानता है लेकिन आगे बढे हुए कदम पीछे नहीं हटने वाले फिर चाहे कितनी भी बड़ी क़ुरबानी क्यों न देनी पड़ जाए। 'जो लोग हमारे आंदोलन और सत्य की लड़ाई को कमज़ोर करने की साजिश रच रहे हैं वे एक बात साफ़ साफ़ जान लें कि हम टस से मस नहीं होने वाले फिर चाहे...

  • नार्थ ईस्ट में क्रिकेट का जादू

    आईपीएल मुकाबले के साथ ही नार्थ ईस्ट में आईपीएल का बिगुल बज गया है । भले ही खेलने वाली टीमें और खिलाडी नार्थ ईस्ट के नहीं हैं लेकिन स्टेडियम का खचाखच भरा होना और क्रिकेट प्रेमीयों के सैलाब का उमड़ना बताता है कि नार्थ ईस्ट में  भी क्रिकेट का जादू सर चढ़ कर बोलने वाला है । गुवाहाटी के क्रिकेट स्टेडियम में राजस्थान रायल्स और पंजाब किंग्स के बीच खेले गए आईपीएल मुकाबले के साथ ही नार्थ ईस्ट में आईपीएल का बिगुल बज गया है। भले ही खेलने वाली टीमें और खिलाडी नार्थ ईस्ट के नहीं हैं लेकिन स्टेडियम का...

  • हमें चाहिए गोल के भूखे खिलाड़ी!

    जहां तक भारतीय फुटबाल की बात है तो सुनील उन बिरले खिलाड़ियों में से एक है जिसने गोल जमाने के हुनर से भारतीय टीम में सालों से स्थान सुरक्षित बनाए रखा है। उनसे पहले बाई चुंग भूटिया भी इस विधा के बेहतरीन खिलाड़ी रहे। लेकिन सुनील के बाद कौन गोल करेगा, यह सवाल राष्ट्रीय कोच और टीम प्रबंधन को सताने लगा है। सुनील क्षेत्री के बाद कौन? यह सवाल बार बार पूछा जाता है, जिसका जवाब भारतीय फुटबाल के पास नहीं है। दूर दूर तक नजर डालें तो सुनील का स्थान लेने के लिए एक भी खिलाड़ी तैयार नहीं है।...

  • गिरेबां में झांके ओलंपिक के दावेदार

    ख्याल अच्छा है लेकिन दावेदारी से पहले हमें अपनी गिरेबान में भी झाँक लेना चाहिए और जान लेना होगा कि दुनिया के सबसे बड़े खेल मेले को आयोजित करने के लिए हम किस हद तक तैयार हैं।… सबसे ज्यादा जरुरी यह  है कि इतने बड़े आयोजन से देश को क्या मिलने वाला है?  मसलन नाम सम्मान के साथ साथ भारतीय खिलाडी किन किन खेलों में पदक जीत सकते हैं और हम पदक तालिका में कौनसे नंबर पर रहेंगे। सौ साल से भी अधिक पुराने ओलंपिक खेलों में मात्र दो व्यक्तिगत ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने वाले भारत महान के कुछ अति...

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