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सिक्किम है प्रकृति के साथ प्रगति का मॉडल

सिक्किम

प्रधानमंत्री ने अगले 22 वर्षों में भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के अपने संकल्प में सिक्किम की भूमिका को रेखांकित किया है और सिक्किम अपनी भूमिका निभाने से कभी पीछे नहीं हटेगा। केंद्र सरकार के सहयोग से सिक्किम में विकास की यात्रा अनवरत जारी रहेगी और साथ ही भारत राष्ट्र राज्य के साथ उसका जुड़ाव भी गहरा होता जाएगा।

सिक्किम की स्वर्ण जयंती

सिक्किम भारत के अपने सम्मिलन की स्वर्ण जयंती मना रहा है। वर्ष भर चलने वाले स्वर्ण जयंती समारोह का एक अहम पड़ाव  प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी जी की प्रस्तावित यात्रा थी। हालांकि मौसम के व्यवधान की वजह से वह यात्रा नहीं हो पाई। परंतु आने वाले समय में निश्चित रूप से उनकी यात्रा होगी। गुरुवार, 29 मई को सिक्किम की राजधानी गंगटोक में उनका उद्बोधन सुनने के लिए बारिश के बावजूद तड़के सुबह से एकत्रित हुए एक लाख से ज्यादा लोगों को उन्होंने वर्चुअल तरीके से संबोधित किया।  प्रधानमंत्री का उद्बोधन सिक्किम और यहां के लोगों के प्रति उनके लगाव और अपनेपन को प्रतीकित करने वाला था। उन्होंने सिक्किम के स्वर्ण जयंती वर्ष में उसकी 50 साल की यात्रा की उपलब्धियों को रेखांकित किया और साथ ही उसके भविष्य की एक रूपरेखा भी प्रस्तावित किया। उन्होंने सिक्किम की विकास यात्रा को 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के अपने संकल्प के साथ जोड़ा।  प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी ने सिक्किम के विकास के उन पहलुओं को रेखांकित किया, जो इसे दूसरे राज्यों से अलग और विशिष्ट बनाते हैं। साथ ही उन्होंने आने वाले दिनों में सिक्किम को केंद्र सरकार की ओर से निर्बाध सहयोग मिलने का वचन भी दिया।

यहां यह ध्यान रखने की आवश्यकता है कि सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग (गोले) ने अपनी तरफ से कोई मांग नहीं रखी थी। परियोजनाओं और आर्थिक मांग की बजाए उन्होंने बहुत स्पष्ट रूप से कहा था कि वे  प्रधानमंत्री का सिर्फ आशीर्वाद चाहते हैं। वे देश की विकास यात्रा में भागीदार बनना चाहते हैं और उसमें अपना योगदान देना चाहते हैं। उनके कुशल और दूरदर्शी नेतृत्व में सिक्किम पिछले छह साल से विकास की नई ऊंचाइयों को छू रहा है। वे सिक्किम के लोगों का जीवन और बेहतर बनाने और विकास के नए मानक स्थापित करने के लिए अनथक प्रयास कर रहे हैं।  मुख्यमंत्री के साथ अपनी आत्मीयता के कारण  प्रधानमंत्री ने उन्हें अपना मित्र कह कर संबोधित किया और केंद्र की तरफ से हर तरह के सहयोग का वचन दिया। इस अपनेपन का हर सिक्किमवासी ने संज्ञान लिया है और यह जनजन में चर्चा का विषय है। केंद्र सरकार ने सड़क और रेल लाइनों की कनेक्टिविटी बढ़ा कर सिक्किम को हर मौसम में देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने का अभियान शुरू किया है। इसका कई स्तर पर सिक्किम को लाभ प्राप्त होगा।

प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी ने अपने उद्बोधन में सिक्किम, उसके लोगों और वहां के यशस्वी मुख्यमंत्री के ऊपर बहुत बड़ी जिम्मेदारी भी डाल दी। उन्होंने कहा कि ‘सिक्किम भारत का गर्व है’। यह कोई मामूली बात नहीं है। यह सिर्फ एक प्रदेश और उसकी 50 वर्ष की विकास यात्रा की सराहना भर नहीं है, बल्कि यह उत्तरदायित्व है। सिक्किम की विकास यात्रा को  प्रधानमंत्री ने एक पंक्ति में परिभाषित करते हुए कहा, ‘सिक्किम प्रकृति के साथ प्रगति का एक मॉडल बना है’। आज सारी दुनिया जिस संकट से गुजर रही है, वह जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के क्षरण की है। सिक्किम ने उस संकट को समाप्त करके प्रकृति के साथ प्रगति का मॉडल विकसित किया है। इस मॉडल को बनाए रखना और इसकी निरंतरता कायम रखना अपने आप में बहुत बड़ी चुनौती है।  प्रधानमंत्री ने सिक्किम को ‘बायोडायवर्सिटी का बागीचा’ बताया। यह भी जैव विविधता के संरक्षण के लिए सिक्किम के मुख्यमंत्री  प्रेम सिंह तमांग (गोले) की प्रतिबद्धता को दिखाता है। सिक्किम ने सबसे प्रभावी तरीके से जैव विविधता को संरक्षित किया है। पेड़, पौधों से लेकर फल, फूल और जीव जंतुओं की हजारों प्रजातियों को सिक्किम ने संरक्षित किया है।

सिक्किम की विकास यात्रा को प्रतीकित करने के लिए  प्रधानमंत्री के उद्गार जिस रूप में प्रकट हुए वह हर सिक्किमवासी के लिए गर्व की बात है। सिक्किम के राज्यत्व के 50 वर्ष पूरे होने पर बधाई और शुभकामना देते हुए उन्होंने कहा, ‘साथियों 50 साल पहले सिक्किम ने अपने लिए एक डेमोक्रिटक फ्यूचर तय किया। सिक्किम के लोगों का जन्म ज्योग्राफी के साथ ही भारत की आत्मा से जुड़ने के लिए था। एक भरोसा था, जब सबकी आवाज सुनी जाएगी, सबके हक सुरक्षित होंगे तो विकास के एक जैसे मौके मिलेंगे। आज मैं कह सकता हूं कि सिक्किम के एक एक परिवार का भरोसा मजबूत हुआ है। देश ने इसके परिणाम सिक्किम की प्रगति के रूप में देखे हैं। सिक्किम आज देश का गर्व है’। उन्होंने आगे कहा, ‘इन 50 वर्षों में सिक्किम कल्चर और हेरिटेज की समृद्धि का प्रतीक बन कर सामने आया है। आज सिक्किम देश के उन राज्यों में है, जहां प्रति व्यक्ति आय सबसे अधिक है। ये सारी उपलब्धियां सिक्किम के आप सभी साथियों के सामर्थ्य से हासिल हुई हैं। इन 50 वर्षों में सिक्किम से ऐसे अनेक सितारे निकले हैं,

जिन्होंने भारत का आसमान रोशन किया है। यहां के हर समाज ने सिक्किम की संस्कृति और समृद्धि में अपना योगदान दिया है’।

स्वर्ण जयंती के भव्य और ऐतिहासिक कार्यक्रम के बाद प्रकृति के साथ प्रगति के अपने मॉडल को बनाए रखते हुए सिक्किम अब 2047 तक विकसित भारत बनाने के  प्रधानमंत्री के सपने को साकार करने में अपनी भूमिका निभाएगा। इसमें सिक्किम ऊर्जा क्षेत्र से लेकर जैविक कृषि, जैव विविधता और पर्यटन के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा सकता है। सिक्किम ने पहले ही इस क्षेत्र में कार्य आरंभ कर दिया है।  प्रधानमंत्री ने इस ओर ध्यान दिलाया और कहा कि बुनियादी ढांचे का जो विकास हुआ और रोड व रेल संपर्क में जिस गति से सुधार हो रहा है उससे सिक्किम पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना है। यहां सामान्य पर्यटन से अलग कुछ विशिष्ट पर्यटन को बढ़ावा दिया गया है। जैसे ‘कॉन्फ्रेंस टूरिज्म’, ‘वेलनेस टूरिज्म’, ‘कंसर्ट टूरिज्म’ आदि। राज्य सरकार ने ऐसे प्रयास शुरू किए हैं, जिससे भव्य व वैभवपूर्ण शादियों के लिए सिक्किम सबसे आकर्षक ‘वेडिंग डेस्टिनेशन’ बने। केंद्र सरकार के सहयोग से सड़क और रेल परिवहन की कनेक्टिविटी में सुधार और ऑल वेदर रोड के निर्माण से इस लक्ष्य को हासिल करना आसान हो जाएगा।

सिक्किम ने राज्य में बुनियादी ढांचे के विकास और अर्थव्यवस्था की जरुरतों के हिसाब से कई नई परियोजनाओं की परिकल्पना की है।  प्रधानमंत्री ने 29 मई को ऐसी कई परियोजनाओं का शिलान्यास किया। उन्होंने नमली में स्वर्ण जयंती कन्वेंशन सेंटर, गंगटोक में स्वर्ण जयंती स्पोर्ट्स एंड कल्चरल कॉम्प्लेक्स, नामची में स्काईवॉक प्रोजेक्ट, गंगटोक में नाथूला बॉर्डर एक्सपीरियंस, ग्यासलिंग में ग्लास स्काईवॉक ब्रिज, ताडोंग में वर्किंग वूमेन हॉस्टल और पक्यांग में एक सौ बेड के अस्पताल के निर्माण की आधारशिला रखी। इन परियोजनाओं के पूर्ण होने पर सिक्किम अपना लक्ष्य हासिल करने की दिशा में अपेक्षाकृत ज्यादा तीव्र गति से आगे बढ़ेगा। इन परियोजनाओं में या दूसरी किसी भी पहल में राज्य सरकार को किसी किस्म की आवश्यकता होने पर केंद्र सरकार पूरा सहयोग करेगी, इसका वचन स्वंय  प्रधानमंत्री ने सिक्किम की सरकार और यहां के लोगों को दिया है।

मुख्यमंत्री  प्रेम सिंह तमांग (गोले) ने  प्रधानमंत्री की सिक्किम यात्रा की तैयारियों की हर पहलू की बारीकी से तैयारी और निगरानी स्वंय की थी, जिसका जिक्र स्वयं  प्रधानमंत्री ने किया।  मुख्यमंत्री ने इस यात्रा को ऐतिहासिक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। वे स्वयं अपने पूरे प्रशासन के साथ इस शुभ घड़ी को सफल बनाने में कई दिनों से तन मन धन से जुटे थे, परंतु प्रकृति की कुछ और योजना थी।  प्रधानमंत्री सिक्किम नहीं पहुंच सके। वे बागडोगरा से वर्चुअल तरीके से जुड़े और सिक्किम की जनता को संबोधित किया।  मुख्यमंत्री ने इसके लिए उनका आभार जताया।  मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में इस बात के लिए प्रधानमंत्री जी का आभार जताया कि उन्होंने अपनी गहरी अंतर्दृष्टि और दूरदर्शिता के तहत सिक्किम की स्वर्ण जंयती को प्रतीकित करने के लिए 50 रुपए का चांदी का सिक्का जारी किया और साथ ही डाक टिकट भी जारी किया।  मुख्यमंत्री ने कहा, ‘ये प्रतीक बेहद खूबसूरत तरीके से सिक्किम की एकीकरण, प्रगति और सांस्कृतिक गौरव की यात्रा को प्रतीकित करते हैं। उन्होंने कहा, ‘भारत के अभिन्न अंग के रूप में गौरवशाली 50 वर्ष का उत्सव मना रहे हैं। आइए हम नई एकता, नए उद्देश्य और नए संकल्प के साथ उज्ज्वल भविष्य की ओर आगे बढ़ें। मैं सिक्किम के लोगों को हृदय की गहराइयों से इस अवसर की बधाई देता हूं’।

सिक्किम की स्वर्ण जयंती के अवसर पर  प्रधानमंत्री और  मुख्यमंत्री ने जो कुछ भी कहा वह सिर्फ प्रतीकात्मक बातें नहीं हैं या एक विशिष्ट अवसर पर निभाई गई औपचारिकता भर नहीं है। वह एक संकल्प है, एक प्रतिबद्धता है, एक वचन है, जिसे पूरी निष्ठा से निभाने के प्रयास किए जाएंगे।  प्रधानमंत्री ने अगले 22 वर्षों में भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के अपने संकल्प में सिक्किम की भूमिका को रेखांकित किया है और सिक्किम अपनी भूमिका निभाने से कभी पीछे नहीं हटेगा। केंद्र सरकार के सहयोग से सिक्किम में विकास की यात्रा अनवरत जारी रहेगी और साथ ही भारत राष्ट्र राज्य के साथ उसका जुड़ाव भी गहरा होता जाएगा। (लेखक दिल्ली में सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग (गोले) के कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त विशेष कार्यवाहक अधिकारी हैं।)

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