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ओरछा और चित्रकूट में भी अयोध्या जैसा उत्साह

भोपाल। प्रदेश देश में ही नहीं पूरी दुनिया में आज की तारीख विशेष रूप से उल्लेखनीय होने जा रही है। चहुंओर उत्साह का वातावरण है। विष्णु के 7 वें अवतार माने जाने वाले भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा अयोध्या में बने भव्य एवं दिव्य मंदिर में होने जा रही है लेकिन जो उत्साह उत्तर प्रदेश और अयोध्या में है वैसा ही उत्साह है मध्य प्रदेश ओरछा और चित्रकूट में भी है। वैसे तो भगवान राम के लिए कुछ भी संभव नहीं था लेकिन मर्यादा, अनुशासन, वचनबद्धता, सत्य, प्रेम, करुणा को मानव जीवन में प्रवाहित करने के लिए उन्होंने एक आम आदमी की तरह जीवन में चुनौतियों का सामना करते हुए विजय प्राप्त की। अब यदि आम आदमी की बुद्धि से सोचे तो वह यही रहेगा कि अयोध्या में भगवान राम का जन्म हुआ और अयोध्या में ही राम का भव्य मंदिर ना हो तो बेहद कष्टकारी है और यह कष्ट पिछले अनेक वर्षों से सनातनी समाज ने भोगा है और जब यह कष्ट दूर होने जा रहा है तब सभी अति उत्साहित भी है और इसी के साथ यह भी अपेक्षा बढ़ गई है कि उत्साह के साथ भगवान राम का मंदिर बना और प्राण प्रतिष्ठा हो गई। उसी उत्साह के साथ देश में राम राज्य भी प्रतिष्ठित हो जाए।

बहरहाल, आज देश और दुनिया के साथ-साथ मध्यप्रदेश में भी गजब का उत्साह है क्योंकि भगवान राम को जब 14 वर्षों का बनवास मिला तब उसमें से 11 वर्ष 6 माह का बनवास उन्होंने मध्यप्रदेश की धरती चित्रकूट में गुजारा और इसके बाद अमरकंटक होते हुए नासिक के पास पंचवटी पहुंचे और जहां कुछ ही दिनों के बाद मां सीता का हरण हो गया और उसके बाद की पूरी कथा आप सब जानते हैं। इस तरह से उन्होंने रावण को परास्त किया और अयोध्या पहुंचे। मध्यप्रदेश वाले इस बात पर भी गर्व करते हैं कि जब तक भगवान राम मध्यप्रदेश में थे तब तक सब कुछ ठीक था। यहां से जाने के बाद ही उनकी चुनौतियां बढ़ी। इसी तरह उत्तर प्रदेश की अयोध्या में भगवान राम रामलला के रूप में पूजे जाते हैं लेकिन मध्य प्रदेश की ओरछा में भगवान राम राजा के रूप में पूजे जाते हैं जहां सुबह शाम उनको सशस्त्र पुलिस बल द्वारा सलामी दी जाती है।

कुल मिलाकर आम आदमी में उत्साह को बढ़ाने और गर्व करने को बहाने चाहिए और मध्यप्रदेश वासियों को चित्रकूट और ओरछा ऐसे दो बहाने हैं जिसके कारण वे और अधिक उत्साहित है और आज सनातन परंपरा में एक ऐसा उत्सव त्योहार जोड़ने जा रहा है। जिसका इसके पहले कहीं उल्लेख नहीं था लेकिन जिस तरह से स्वस्फूर्त आम आदमी पिछले एक पखवाड़े से 22 जनवरी की तैयारी में लगा है वैसी तैयारी दीपावली जैसे त्योहार पर इसके पहले हुआ करती थी। घर-घर तोरण द्वार, मंदिरों में भजन कीर्तन और भंडारे के आयोजन ऐसा उत्साही वातावरण शायद ही कभी किसी अवसर पर बना हो जिस तरह से भगवान राम की अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा को लेकर आस्था और उत्साह बना है उसका यदि एक प्रतिशत भी भगवान राम के दिखाएं मार्ग को आम आदमी अपने जीवन में उतार ले तो फिर राम राज तो वहीं हो जाएगा। समाज से तनाव, कटुता, राग, द्वेष, ईर्ष्या, घृणा, लोभ, लालच, डर, अन्याय, अहंकार समाप्त हो जाएगा जो की दुखों का कारण है। राम के जीवन का सबसे बड़ा आधार सत्य था। उन्होंने कभी दोहरी नीति नहीं अपनाई। मानव जीवन में सत्य की प्रतिष्ठा के लिए वे कोई भी बलिदान देने को तैयार थे। आज जब छोटी-छोटी बातों पर स्वार्थ के वशीभूत होकर आम आदमी झूठ, छल, कपट, षड्यंत्र का सहारा लेता है तब यह शुभ दिन यह संकल्प लेने के लिए पर्याप्त है कि हम इन दुर्गुणों से दूर होकर राम के समान चुनौतियों का सामना करते हुए सद्गुणों को जीवन में आत्मसात करेंगे। तभी अनंत काल तक प्रतिष्ठा मिलेगी। रोम रोम में राम बसे हैं कण कण में विराजमान है। यदि जितना हम राम को मानते हैं वैसे ही राम की भी मानने लगे तो न केवल यह मानव जीवन धन्य हो जाएगा वरन आने वाली पीढ़ी को भी हम रामराज्य की विरासत सौंपते हुए जाएंगे।

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