Ram Mandir Inauguration

  • मंत्री, मुख्यमंत्री अयोध्या जाते तो क्या हो जाता

    नरेंद्र मोदी सरकार का कोई मंत्री 22 जनवरी को अयोध्या नहीं गया और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को छोड़ कर किसी राज्य का मुख्यमंत्री भी अयोध्या नहीं गया। सोचें, अगर केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री अयोध्या चले जाते तो क्या हो जाता? जहां आठ हजार विशिष्ट और अति विशिष्ट अतिथि आए थे वहां 90 लोग और चले जाते तो क्या हो जाता? सबको न्योता भी दिया गया था और खबर भी आई थी कि सबने न्योता स्वीकार भी कर लिया था। इसके बावजूद कोई नेता अयोध्या नहीं गया। सवाल है कि जहां हर उद्योगपति अपने परिवार और विस्तारित परिवार...

  • नेताओं के अयोध्या जाने का सस्पेंस

    कांग्रेस और दूसरी तमाम विपक्षी पार्टियों के शीर्ष नेता अयोध्या नहीं जा रहे हैं। सबने अपने अपने तरीके से निमंत्रण अस्वीकार कर दिया है। कांग्रेस, राजद जैसी कुछ पार्टियों को छोड़ कर ज्यादातर विपक्षी नेताओं ने कहा है कि वे 22 जनवरी को राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या जाएंगे। सो, विपक्षी नेताओं के लेकर किसी तरह का सस्पेंस नहीं है। सबने 22 जनवरी का अपना अपना कार्यक्रम भी तय कर लिया है। लेकिन सत्तापक्ष यानी भाजपा के नेताओ को लेकर आखिरी दिन तक सस्पेंस बना रहा। इतना ही नहीं प्राण प्रतिष्ठा से एक दिन पहले...

  • नरेंद्र मोदी का सर्वकालिक क्षण!

    अयोध्या की पांच अगस्त 2020 की तारीख और 22 जनवरी 2022 में क्या फर्क है? तब राम मंदिर निर्माण का भूमि पूजन था। आज मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा है। और संभव है दो-तीन साल बाद मंदिर के शिखर निर्माण पर कलश और ध्वज स्थापना का 5 अगस्त और 22 जनवरी से भी कई गुना अधिक भव्य आयोजन हो और तब वह क्या नरेंद्र मोदी का नंबर एक सर्वकालिक क्षणनहीं होगा?आखिर मंदिर की पूर्णता तभी है जब वह शिखर और ध्वजाधारी हो। धर्मशास्त्रों में लिखा हुआ हैं शिखर दर्शनम पाप नाशम। जितना प्रतिमा दर्शन से पुण्य मिलता है उतना...

  • अयोध्या को अभेद किला बनाया

    अयोध्या। रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के ऐतिहासिक कार्यक्रम के लिए पूरी अयोध्या को अभेद किला बना दिया गया है। चप्पे चप्पे पर सुरक्षाकर्मी तैनात हैं और आधुनिक तकनीक, सीसीटीवी कैमरा और ड्रोन के जरिए हर कोने की निगरानी की जा रही है। ऊंची इमारतों पर स्नाइपर्स तैनात किए गए हैं। अयोध्या में बाहरी लोगों का प्रवेश बंद हो गया है। रामलला विराजमान के दर्शन भी दो दिन पहले ही बंद कर दिए गए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और हजारों महत्वपूर्ण लोग अयोध्या पहुंच रहे हैं। इसे देखते हुए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। अयोध्या पहुंच रहे...

  • ओरछा और चित्रकूट में भी अयोध्या जैसा उत्साह

    भोपाल। प्रदेश देश में ही नहीं पूरी दुनिया में आज की तारीख विशेष रूप से उल्लेखनीय होने जा रही है। चहुंओर उत्साह का वातावरण है। विष्णु के 7 वें अवतार माने जाने वाले भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा अयोध्या में बने भव्य एवं दिव्य मंदिर में होने जा रही है लेकिन जो उत्साह उत्तर प्रदेश और अयोध्या में है वैसा ही उत्साह है मध्य प्रदेश ओरछा और चित्रकूट में भी है। वैसे तो भगवान राम के लिए कुछ भी संभव नहीं था लेकिन मर्यादा, अनुशासन, वचनबद्धता, सत्य, प्रेम, करुणा को मानव जीवन में प्रवाहित करने के लिए उन्होंने एक आम...

  • दिल्ली में भी 22 को आधे दिन की छुट्टी

    नई दिल्ली। केंद्र सरकार की तर्ज पर दिल्ली सरकार ने भी 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के दिन आधे दिन की छुट्टी का ऐलान किया है। राजधानी दिल्ली में आधे दिन की छुट्टी का प्रस्‍ताव मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ओर से भेजा गया था, जिसे दिल्‍ली के उप राज्‍यपाल वीके सक्‍सेना ने मंजूरी दे दी है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र सहित कई राज्‍य सरकारें इस दिन पहले ही अपने यहां छुट्टी का ऐलान कर चुकी हैं। राम मंदिर में रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्‍ठा के मौके पर 22 जनवरी...

  • पांच जजों को अयोध्या न्योता

    नई दिल्ली। राम जन्मभूमि विवाद में फैसला सुनाने वाले सुप्रीम कोर्ट के पांचों जजों को अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने का न्योता दिया गया है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से पांचों जजों को न्योता भेजा गया है। मौजूदा चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के अलावा फैसला सुनाने वाले बाकी चारों जज रिटायर हो गए हैं। फैसला सुनाने वाली बेंच के अध्यक्ष चीफ जस्टिस रंजन गोगोई थे। उनके अलावा जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर उस बेंच में शामिल थे। बाद में जस्टिस बोबड़े...

  • सबके अपने अपने राम-सीता

    ऐसा नहीं है कि भगवान राम की भक्ति में सिर्फ भाजपा और नरेंद्र मोदी जुटे हैं। सभी पार्टियां किसी न किसी रूप में अपना हिंदुत्व और अपनी धार्मिकता को दिखाने में लगी हैं। सिर्फ कांग्रेस है, जो शंकराचार्यों के सहारे राजनीति कर रही है। यह कैसी दयनीय स्थिति है कि कांग्रेस के नेता बात बात में शंकराचार्यों का उद्धरण दे रहे हैं और कह रहे हैं कि शंकराचार्य अयोध्या नहीं जा रहे हैं। कांग्रेस के नेता इस भ्रम में हैं कि हिंदुओं के शंकराचार्य इसाइयों के पोप की तरह हैं। जबकि हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। भारत में हजारों मत...

  • ऐतिहासिक घड़ी, राम को बैठाएं अंतस में!

    हम आस्थावान हिंदुओं का ऐतिहासिक समय है। इसलिए क्योंकि कुछ भी हो, 22 जनवरी 2024 के दिन अयोध्या, मंदिर, गर्भगृह और मूर्ति का हिंदू मन-मष्तिष्क में अमिट छापा होगा। तभी हमें आंख-नाक-कान बंद कर, शांत मन अपने अंतस में राम और स्वंय को खोजना चाहिए। भूल जाएं इन छोटी-क्षणिक बातों को कि रामजी का किसने टेकओवर किया है?और धर्म-शास्त्र व मर्यादा विरोधी क्या-क्या हो रहा है? इसलिए भी इस सबसे इतर आस्था-धर्म ही हमारी जीवन पद्धति के अंतस का केंद्र है। अस्तित्व की धुरी है। इतिहास का अनुभव है और मानव सभ्यता में हमारा वैशिष्टय है। यह दुर्भाग्य है जो...

  • रामलला की पूरी तस्वीर सामने आई

    अयोध्या। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में स्थापित हुई रामलला की प्रतिमा की पूरी तस्वीर सामने आ गई है। प्राण प्रतिष्ठा के लिए चल रहे अनुष्ठान के चौथे दिन शुक्रवार को सामने आई तस्वीर में रामलला का पूरा चेहरा दिख रहा है। गौरतलब है कि 22 जनवरी को रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। उससे पहले गुरुवार को प्रतिमा के उस जगह पर स्थापित किया गया था, जहां प्राण प्रतिष्ठा होनी है। बहरहाल, काले पत्थर से बनी प्रतिमा में भगवान का विहंगम स्वरूप दिखाई दे रहा है। हालांकि, उनकी आंखें अब भी कपड़े से ढकी हुईं हैं। पांच साल के...

  • उफ! ऐसी राजनीति, दुराव और अहंकार!

    ऐतिहासिक घड़ी में हम सनातनियों का बंटा होना दुर्भाग्यपूर्ण है। राजनीति के साये में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा है। तभी ज्ञात इतिहास का संभवतः यह पहला मौका है जब इतिहासजन्य ग्रंथि के प्रतीक मंदिर विशेष की प्राण प्रतिष्ठा में भी हम हिंदू छोटे स्वार्थों, छोटी राजनीति और दुरावों में बंटे हुए हैं! जरा याद करें आजादी के बाद नवनिर्मित सोमनाथ मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के समय को। तब हर आस्थावान हिंदू प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से अपने प्राण जोड़े हुए था। इस बात का अर्थ नहीं है कि पंडित नेहरू की अलग सोच थी। इसलिए क्योंकि मतभिन्नता के बावजूद पंडित...

  • राजनीति क्या सधेगी?

    याद करें लोकसभा के पिछले चुनाव को। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तब56 इंच का सीना ठोक कर चुनाव लड़ा था। पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकवादी हमला हुआ था और भारतीय सेना ने बालाकोट में स्ट्राइक किया था। मतलब चुनाव से ठीक पहले एक के बाद एक कई घटनाएं हुई। उरी में सर्जिकल स्ट्राइक और कैप्टेन अभिनंदन वर्धमान की रिहाई जैसी घटनाओं ने हिंदू जनमानस में मोदी को हीरो बनाया। लेकिन इस बार मोदी के 56 इंची सीने पर का जिक्र नहीं सुनाई दे रहा है। असल में लद्दाख में चीन की घुसपैठ और जून 2020 में गलवान में...

  • राम के साथ काम का भी नैरेटिव

    भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसा नहीं है कि सिर्फ राम नाम का नैरेटिव बना रहे हैं। अयोध्या में पूजा पाठ और अनुष्ठान के साथ साथ मोदी सरकार के 10 साल के कामकाज का भी बड़ा नैरेटिव बनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री जहां जहां पूजा करने गए वहां उन्होंने हजारों करोड़ रुपए की परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन भी किया। इसके अलावा हर जगह उन्होंने यह जरूर कहा कि उनके तीसरे कार्यकाल में भारत दुनिया की तीसरा सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बनेगा। उन्होंने इसी दौरान देश के सबसे बड़ी समुद्री पुल का उद्घाटन भी किया। इसी बीच...

  • निमंत्रण ठुकराने का अपना अपना अंदाज

    अयोध्या में राममंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण करीब करीब सभी विपक्षी नेताओं को मिला और सबने अपने अपने तरीके से निमंत्रण अस्वीकार किया। लेकिन कांग्रेस,  लालू प्रसाद और सीताराम येचुरी के निमंत्रण ठुकराने का अंदाज अलग और एक जैसा था, जबकि शरद पवार, अखिलेश यादव, अरविंद केजरीवाल आदि का एक जैसा अंदाजा था। सोशल मीडिया में पवार, अखिलेश और केजरीवाल की खूब तारीफ हो रही है, जबकि कांग्रेस और लालू, येचुरी की आलोचना हो रही है। कांग्रेस ने लेफ्ट नेताओं की तरह साफ साफ लिखा कि वह निमंत्रण ससम्मान अस्वीकार कर रहे हैं। इसी तरह लालू प्रसाद...

  • आसन पर विराजमान हुई प्रतिमा

    अयोध्या। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के तीसरे दिन गुरुवार को रामलला की प्रतिमा को गर्भगृह में बने आसन पर रख दिया गया। कारीगरों ने मूर्ति को आसन पर खड़ा किया। इस पूरी प्रक्रिया में चार घंटे का समय लगे। गौरतलब है कि प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान 16 जनवरी से शुरू हुए था और 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। बताया जा रहा है कि प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक दिन पहले यानी 21 जनवरी को अयोध्या पहुंच सकते हैं। इस बीच दूसरी ओर प्राण प्रतिष्ठा...

  • मोदी प्रधान यजमान क्यों नहीं बने

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के यज्ञ में प्रधान यजमान नहीं होंगे। प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि वे रहेंगे और भगवान की आंख खुलने पर उनको आईना प्रधानमंत्री मोदी ही दिखाएंगे लेकिन पूजा पर वे नहीं बैठेंगे। सवाल है कि जब मंदिर का शिलान्यास प्रधानमंत्री मोदी ने किया और उस समय हुए यज्ञ में वे प्रधान यजमान थे तो मंदिर के उद्घाटन में वे क्यों प्रधान यजमान नहीं बने? पहले कहा जा रहा था कि वे ही यजमान होंगे और प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की शुरुआत वे करेंगे। संभवतः इसलिए...

  • जाके प्रिय न राम वैदेही…

    राम सबके हैं। राम की व्यापकता भौगोलिक सीमाओं से परे है। राम के यहां कोई भेद नहीं है। वह राम जब सदियों की प्रतीक्षा के बाद अपने घर आ रहे हैं, उनका खुले मन से स्वागत होना चाहिए। 21वीं सदी की सबसे बड़ी सांस्कृतिक परिघटना अयोध्या में घटित हो रही है। शताब्दियों की प्रतीक्षा खत्म होने जा रही है। 22 जनवरी को प्रभु राम के बाल-विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा होने की तिथि तय है। सनातन परंपरा में मुंडे-मुंडे मति भिन्ना के कई दृष्टांत मिलते हैं। मतैक्य की संभावना न्यून होती है। इसलिए अगर मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा को लेकर शंकराचार्यों...

  • कांग्रेस 22 जनवरी को क्या करेगी?

    अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दिन 22 जनवरी को पूरे देश में दिवाली मनाई जाएगी। भाजपा, राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद ने इसके लिए पूरा जोर लगाया है। बड़े शहरों की कॉलोनियों में और छोटे शहरों के मुहल्लों व कस्बों में स्थित मंदिरों के जरिए इसका अभियान चलाया जा रहा है। घरों में अक्षत की पुड़िया और राममंदिर की तस्वीर पहुंचाने के साथ अनुरोध किया जा रहा है कि लोग घरों के बाहर दीये जलाएं और बिजली की लड़ियों से घरों को वैसे ही सजाएं, जैसे दिवाली में सजाते हैं। दिल्ली में...

  • प्राण प्रतिष्ठा पर विवाद क्यों?

    गोवर्धन पीठ (पुरी, उड़ीसा) के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद जी का कहना है कि, “मंदिर नहीं, शिखर नहीं, शिखर में कलश नहीं और कुंभाभिषेक के बिना मूर्ति प्रतिष्ठा भला कैसे?”...प्राण प्रतिष्ठा के बाद प्रभु श्री राम के शीर्ष के ऊपर चढ़ कर जब राज मज़दूर शिखर और कलश का निर्माण करेंगे तो इससे भगवान के विग्रह का निरादर होगा।...उधर दूसरा पक्ष अपने तर्क लेकर खड़ा है। प्रधानमंत्री मोदी ने हिंदू समाज को एक चिर प्रतीक्षित उपहार दिया है। इसलिए उनके प्रयासों में त्रुटि नहीं निकालनी चाहिए। अगले सप्ताह22 जनवरी को अयोध्या में भगवान श्री राम के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा को...

  • तालठोकू फ़रमान और कांग्रेस का इनकार

    हालांकि बहुतों को लगता है, मगर मुझे नहीं लगता कि 22 को अयोध्या पहुंचने के फ़रमान को सरयू में तिरोहित कर देने के कांग्रेसी निर्णय से उसे कोई चुनावी नुक़्सान होगा। उलटे इस से भारतीय जनता पार्टी समेत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तमाम सहयोगी संगठनों की नीयत पर प्रश्नचिह्न लग गया है।…मान्यता है कि प्रभु श्रीराम ईसा से 5114 साल पहले जनवरी महीने की दस तारीख़ को जन्मे थे। तब चैत्र महीने का शुक्ल पक्ष था। इस दिन हम हर साल रामनवमी मनाते हैं। इस वर्ष रामनवमी 18 अप्रैल को है।….इसलिए सोनिया गांधी इस रामनवमी पर रामलला के दर्शन करने...

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