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सरकार को भागवत की नसीहत

New Delhi, Aug 26 (ANI): RSS Chief Mohan Bhagwat addresses the gathering during an event to mark 100 years of Rashtriya Swayamsevak Sangh at Bharat Mandapam, in New Delhi on Tuesday. (ANI Photo/Ishant Chauhan)

राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की स्थापना के शताब्दी वर्ष के कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने हाल के तमाम सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और कूटनीतिक मसलों पर अपने भाषण में टिप्पणी की। ज्यादातर मामलों में उन्होंने सरकार की लाइन का समर्थन किया लेकिन कुछ मसलों पर उन्होंने सरकार को नसीहत भी दी। इसमें सबसे अहम मसला आर्थिक विषमता का है। उन्होंने अपने भाषण में कहा, ‘अपने देश को वैश्विक लीडर बनाने के लिए नागरिकों में उत्साह है लेकिन दुनिया भर में मौजूदा आर्थिक प्रणाली की खामियां उजागर हो रही हैं। असमानता बढ़ रही है, आर्थिक शक्ति कुछ ही लोगों के हाथ में केंद्रित हो गई है। अमीर और गरीब के बीच भी अंतर बढ़ रहा है’। यह संयोग है कि आर्थिक असमानता बढऩे की बात जिस समय संघ प्रमुख ने कही उससे एक दिन पहले ही हारुन रिच लिस्ट जारी हुई, जिसमें देश के सबसे अमीर लोगों की सूची थी। इस सूची के मुताबिक भारत के 1,687 लोगों के पास भारत की जीडीपी के आधे के बराबर संपत्ति है।

पहले भी इस तरह की कई रिपोर्ट्स आई हैं, जिनमें देश में बढ़ती असमानता और चंद लोगों के हाथ में संपत्ति के केंद्रीकरण के बारे में बताया गया है। संघ प्रमुख ने यह मुद्दा उठाया तो दुनिया भर की मौजूदा आर्थिक प्रणाली की खामियों के हवाले से लेकिन इसका भारत सरकार के लिए नसीहत है कि उसे अपनी आर्थिक नीतियों में कुछ बदलाव करना चाहिए ताकि देश की बड़ी आबादी को आर्थिक रूप से सक्षम बनाया जा सके। लेकिन सवाल है कि क्या केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार इस नसीहत पर द्यान ध्यान देगी और चुनिंदा कारोबारियों के हाथ में देश के तमाम संसाधन सौंपने की नीति से पीछे हटेगी? इसी तरह से संघ प्रमुख ने ‘जेन जी’ यानी नई पीढ़ी के आंदोलन को लेकर भी एक अहम बात कही। उन्होंने बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल की अशांति का जिक्र करते हुए कहा कि समाज और सरकार के बीच की दूरी बढ़ने और सक्षम प्रशासक की कमी से ऐसा हुआ। इससे भी सरकार को निश्चित रूप से सबक लेना चाहिए और समाज के साथ जुड़ने का प्रयास करना चाहिए।

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