राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के परिवार में उनकी आंखों के सामने जंग छिड़ी है। पहले बड़े बेटे तेज प्रताप को पार्टी और परिवार से बाहर करना पड़ा तो अब उनको किडनी देने वाली बेटी रोहिणी आचार्य नाराज हैं। इन दोनों की नाराजगी का कारण एक हैं संजय यादव। संजय यादव हरियाणा के रहने वाले हैं और तेजस्वी यादव के मुख्य रणनीतिकार और सलाहकार हैं, जिनके पिछले दिनों रोहिणी ने दोयम दर्जे का रणनीतिकार कहा। जानकार सूत्रों का कहना है कि संजय यादव ने ऐसा वर्चस्व बनाया है कि लालू प्रसाद भी अपने को असहाय मान रहे हैं। अब राजद में लालू प्रसाद की भी नहीं सुनी जाती है। पहले राजद में पंच देवता की पूजा होती थी। लालू प्रसाद और राबड़ी देवी के साथ साथ पार्टी को तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव और मीसा भारती के यहां माथा टेकना होता था। लेकिन अब राजद में एकेश्वरवाद हो गया है। सबको संजय यादव के दरबार में जाना होता है।
कहा जा रहा है कि संजय यादव ने यह तय किया है कि लालू प्रसाद के परिवार से सिर्फ एक ही सदस्य चुनाव लड़ेगा और वह हैं तेजस्वी यादव। उनकी राघोपुर सीट तय है, जहां से वे विधायक हैं। जब यह सिद्धांत तय हुआ तो तेज प्रताप को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने तेजस्वी से मिल कर बात करने का प्रयास किया लेकिन संजय यादव ने यह मुलाकात नहीं होने दी। इसके बाद तेज प्रताप बहुत भड़के और अंत परिणाम यह हुआ कि उनको पार्टी और परिवार से बाहर होना पड़ा। हालांकि उसका तात्कालिक कारण कुछ और था लेकिन असली कारण यह है कि तेजस्वी और संजय नहीं चाहते हैं कि परिवार का कोई और सदस्य चुनाव लड़े।
रोहिणी आचार्य सारण सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ी थीं और बहुत कम अंतर से हारी थीं। इस बार लालू प्रसाद ने उनके लिए सारण के अलावा शाहाबाद के इलाके में भी एक सीट देख कर रखी थी। लेकिन संजय यादव ने तेजस्वी को समझाया कि परिवार के ज्यादा लोग चुनाव लड़ेंगे तो वंशवाद का आरोप लगेगा। लेकिन असली कारण यह है कि दोनों कोई चैलेंजर नहीं पैदा होने देना चाहते हैं। ध्यान रहे तेजस्वी के ऊपर भी मुकदमा चल रहा है। अगर उनको सजा हुई और भाई, बहन विधायक रहे तो उनमें से किसी को आगे आने से रोका नहीं जा सकेगा।