केंद्र सरकार ने जाति गणना कराने का फैसला किया तो बिहार चुनाव में इसकी सबसे ज्यादा चर्चा होगी। भाजपा के नेता अपने को पिछड़ों, दलितों, वंचितों का हमदर्द बता कर चुनाव प्रचार में जाएंगे। लेकिन जाति के अलावा सबसे बड़ा मुद्दा शराब का होगा। बिहार चुनाव की घोषणा से पहले प्रशांत किशोर और तेजस्वी यादव यानी विपक्ष के दोनों बड़े नेताओं ने शराबबंदी को मुद्दा बनाना शुरू कर दिया है।
ध्यान रहे बिहार में अभी चुनाव पूर्व हुए सर्वेक्षणों में ये दोनों सबसे ज्यादा लोकप्रिय चेहरा हैं। तेजस्वी यादव को 36 फीसदी और प्रशांत किशोर को 17 फीसदी लोगों ने मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर पसंद किया है। 15 फीसदी के साथ नीतीश तीसरे स्थान पर हैं।
बिहार चुनाव: जाति गणना और शराबबंदी पर चर्चा
सो, बिहार के दो सबसे लोकप्रिय नेताओं तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर शराबबंदी को मुद्दा बना रहे हैं। तेजस्वी ने पिछले दिनों ऐलान किया कि उनकी सरकार बनी तो ताड़ी को शराबबंदी से बाहर करेंगे और ताड़ी बेचने को रेगुलराइज करेंगे यानी उद्योग का दर्जा देंगे। प्रशांत किशोर ने इसका समर्थन किया और कहा कि तेजस्वी एक कदम आगे बढ़े हैं।
प्रशांत का कहना है कि उनकी सरकार बनी तो एक घंटे के अंदर शराबबंदी खत्म कर देंगे। भाजपा के कई नेता भी शराबबंदी के फैसले को सही नहीं मान रहे हैं लेकिन नीतीश कुमार की वजह से चुप हैं। वे भी किसी तरह से कोई मैसेज बनवाने का प्रयास कर रहे हैं।
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