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भाजपा पर हमले से क्या बदलेगी पीके की छवि

बिहार में जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर के निशाने पर अब भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं। उनका पहला निशाना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं और उसके बाद भाजपा के नेता हैं। पहले वे राष्ट्रीय जनता दल के नेताओं पर ज्यादा हमले करते थे। लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव उनके पसंदीदा टारगेट थे। उन्होंने  तेजस्वी के लिए नौवीं फेल का जुमला ऐसा स्थापित किया कि लोगों की जुबान पर चढ़ गया। लेकिन अब वे राजद पर कम हमला कर रहे हैं। कांग्रेस पर तो कभी हमला करते ही नहीं हैं और कम्युनिस्ट पार्टियों के खिलाफ बोलने के लिए कुछ नहीं है। अब उनका कहना है कि भाजपा का नेतृत्व राजद से गया गुजरा है।

प्रशांत किशोर ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, प्रदेश सरकार के मंत्री और भाजपा नेता जीवेश मिश्रा आदि पर हमला किया। इनके बारे में कई ऐसी जानकारी प्रस्तुत की, जो पहले से पब्लिक डोमेन में नहीं थी। कहा जा रहा है कि भाजपा के लोग ही उनको जानकारी मुहैया करा रहे हैं। कुछ जानकारियां पहले से जनता के बीच थीं तो प्रशांत ने उनको हाईलाइट कर दिया। माना जा रहा है कि मुस्लिम वोट आकर्षित करने के लिए वे भाजपा पर हमला कर रहे हैं। वे यह दिखाना चाह रहे हैं कि उनके लिए जैसे राजद है वैसे ही जदयू और भाजपा है। उनको अपने ऊपर लगे भाजपा की बी टीम होने के टैग को हटाना है। इसलिए वे भाजपा पर हमलावर हो गए हैं। लेकिन क्या इस रणनीति में कामयाबी मिलेगी? उनकी पार्टी के नेता भी मान रहे हैं कि मुस्लिम इस बार महागठबंधन यानी कांग्रेस, राजद और लेफ्ट के साथ बहुत मजबूती से जुड़ा है।

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