अब तक कांग्रेस की सहयोगी पार्टियां या कांग्रेस के कुछ ऐसे नेता, जिनका पार्टी से मोहभंग हो रहा था वे विपक्षी गठबंधन यानी ‘इंडिया’ ब्लॉक के अस्तित्व पर सवाल उठा रहे थे। पी चिदंबरम जैसे कुछ नेताओं ने भी सवाल उठाए थे। लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस खुद ही विपक्षी गठबंधन से आगे सोच रही है। बिहार में कांग्रेस पार्टी गठबंधन से आगे निकलने की सोच में काम कर रही है तो तमिलनाडु में भी पार्टी के नेताओं ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। जिस तरह से बिहार में कांग्रेस के नेता राष्ट्रीय जनता दल के ऊपर दबाव बना रहे हैं वैसा ही दबाव तमिलनाडु में डीएमके के ऊपर बनाया जा रहा है और उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी पर भी यह दांव आजमाने की तैयारी चल रही है। कांग्रेस के जानकार नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी की सक्रियता से और वोट चोरी के मुद्दे पर उनकी लड़ाई ने कांग्रेस के नई ताकत दी है। अब देश भर में कांग्रेस को ही असली और मजबूत विपक्ष के तौर पर देखा जा रहा है। इसलिए कांग्रेस अपनी इस नई शक्ति का इस्तेमाल करना चाहती है।
बिहार में कांग्रेस पार्टी ने लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव को कई तरह से घेरा है। सीटों के बंटवारे से लेकर मुख्यमंत्री के चेहरे तक ऐसा सस्पेंस बनाया है कि राजद के सारे लोग परेशान हैं। कांग्रेस पिछली बार 70 सीटों पर लड़ी थी, जब मुकेश सहनी की पार्टी साथ में नहीं थी। इस बार सहनी को भी सीटें देनी हैं और सबसे अच्छा चुनावी प्रदर्शन करने वाली सीपीआई माले की सीटें बढ़ानी हैं तब भी कांग्रेस अपनी सीटों की मांग से पीछे नहीं हट रही है। उसके अलावा कांग्रेस ने क्वालिटी सीट की सूची बना कर राजद को सौंप दी है। इसके बाद कांग्रेस ने पटना में 85 साल के बाद कार्य समिति की बैठक की और 26 सितंबर को प्रियंका गांधी वाड्रा मोतिहारी के गांधी मैदान में रैली करने वाली हैं। उससे पहले सीडब्लुसी की बैठक के लिए पटना पहुंचे कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार ने यह कह कर अलग विवाद खड़ा कर दिया कि सीएम फेस का फैसला कांग्रेस अध्यक्ष करेंगे। सोचें, कांग्रेस बिहार में पूरी तरह से राजद की पिछलग्गू पार्टी है। लेकिन राहुल गांधी का यात्रा, उनके कार्यक्रम और रैलियों के दम पर बिना संगठन वाली कांग्रेस ने राजद की नाक में दम कर दिया है। सारे नेता कह रहे हैं कि सीएम का फैसला चुनाव के बाद होगा। बिहार में कांग्रेस के लोगों ने राजद छोड़ कर प्रशांत किशोर और चिराग पासवान के साथ तालमेल की संभावना की खबरें भी चलाई हैं।
इसी तरह तमिलनाडु में कांग्रेस नेताओं ने पुराना फॉर्मूला छोड़ कर डीएमके पर ज्यादा सीटों के लिए दबाव बनाने लगे हैं। कांग्रेस विधायक एस राजेश कुमार के बयान के बाद पंडोरा बॉक्स खुला है। इसमें नई पार्टी बना कर चुनाव में उतरने की तैयारी कर रहे तमिल सुपरस्टार विजय ने भी थोड़ी भूमिका निभाई है। वे कांग्रेस के साथ तालमेल का संकेत दे रहे हैं। डीएमके के बिना डीएमके अलायंस की बात हो रही है। उनकी ओर से कहा जा रहा है कि डीएमके जिस वोट का प्रतिनिधित्व करती है उसे डीएमके के बगैर भी साथ लिया जा सकता है। कांग्रेस के कुछ नेता दबाव की राजनीति के लिए इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। वे विजय के साथ तालमेल की बातें कर रहे हैं। ऐसे ही उत्तर प्रदेश में कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने ऐलान कर दिया है कि कांग्रेस अब बहुत मजबूत पार्टी है और पिछली बार जैसे लोकसभा में 17 सीटें कांग्रेस को देकर तालमेल कर लिया गया था वैसा विधानसभा चुनाव में नहीं होगा। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में डेढ़ साल के बाद विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। अगले साल जिन राज्यों में चुनाव होने वाले हैं उनके पश्चिम बंगाल भी है, जहां कांग्रेस तृणमूल कांग्रेस से अलग ही लड़ेगी।