Naya India-Hindi News, Latest Hindi News, Breaking News, Hindi Samachar

कांग्रेस आलाकमान की मुश्किल

अगर आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल का जोर अपनी पार्टी के नेताओं पर नहीं चल रहा है तो कांग्रेस आलाकमान का जोर भी अपनी पार्टी के प्रादेशिक क्षत्रपों पर नहीं चल रहा है। छोटे मोटे या बिना आधार वाले नेताओं पर कांग्रेस आलाकमान का जोर चल जा रहा है लेकिन जिस नेता का भी थोड़ा बहुत आधार है वह बागी तेवर दिखाने लग जा रहा है। इससे आलाकमान की मजबूरी हो जा रही है उसके हिसाब से फैसला करने की। इसको दो राज्यों की राजनीति से समझा जा सकता है। एक राज्य है हरियाणा और दूसरा है कर्नाटक। इन दोनों राज्यों में कांग्रेस को बड़े फैसले करने हैं लेकिन दोनों के प्रादेशिक क्षत्रपों की वजह से फैसला नहीं हो पा रहा है। अब कहा जा रहा है कि स्थानीय निकायों को चुनावों के बाद इस बारे में फैसला किया जाएगा। लेकिन ऐसा लग नहीं रहा है कि पार्टी अपने हिसाब से फैसला कर पाएगी। वहां बिना मोलभाव किए फैसला नहीं होना है।

कर्नाटक में उप मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने एक तरह से ऐलान कर दिया है कि वे अध्यक्ष का पद नहीं छोड़ने जा रहे हैं। वे खुद कभी नहीं कहते हैं लेकिन उनके समर्थक बार बार कहते रहे हैं कि सरकार गठन के समय यानी मई 2023 में वादा किया गया था कि ढाई ढाई साल तक सिद्धारमैया और शिवकुमार मुख्यमंत्री रहेंगे और जब तक शिवकुमार मुख्यमंत्री नहीं बनते हैं तब तक वे प्रदेश अध्यक्ष बने रहेंगे। अब सिद्धारमैया के बेटे ने ऐलान कर दिया है कि उनके पिता पांच साल तक मुख्यमंत्री रहेंगे। इसके जवाब में शिवकुमार खेमे का ऐलान है कि वे प्रदेश अध्यक्ष का पद नहीं छोड़ेंगे। ऐसे ही हरियाणा में विधानसभा चुनाव के नतीजे आए पांच महीने हो गए हैं और अभी तक कांग्रेस विधायक दल का नेता नहीं तय कर पा रही है। इसका कारण यह है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा बांह मरोड़ रहे हैं। उनको इस बार भी विधायक दल का नेता बने रहना है। कांग्रेस के आला नेता चाहते हैं कि कर्नाटक में शिवकुमार की जगह नया नेता बनाएं लेकिन उन्होंने कह दिया है कि राज्य में स्थानीय निकायों के चुनाव हो रहे हैं और पार्टी को उनके नेतृत्व की जरुरत है। इसी तरह हुड्डा भी अपने को जरूरी बता रहे हैं।

Exit mobile version