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राज्यों में भाजपा अध्यक्षों की दोहरी जिम्मेदारी

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ऐसा नहीं है कि सिर्फ भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा दोहरी या तिहरी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। कई प्रदेशों में भी भाजपा के अध्यक्ष दोहरी जिम्मेदारी निभा रहे हैं और एक व्यक्ति, एक पद के सिद्धांत को परम पवित्र मानने वाली भाजपा इसको ठीक नहीं कर रही है। (bjp president)

राज्यों में किन्हीं अज्ञात कारणों से प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव टल रहा है। उससे पहले प्रदेश अध्य़क्षों को दूसरी जिम्मेदारी सौंप दी गई है। जानकार सूत्रों का कहना है कि जान बूझकर प्रदेशों के चुनाव में देरी की जा रही है।

इसका मकसद राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में देरी करना है। असल में भाजपा अभी तक राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम पर राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के साथ सहमति नहीं बना सकी है। इस वजह से राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव टल रहा है।

लेकिन उसका कारण यह बताया जा रहा है कि देश के 36 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में से आधी जगहों पर चुनाव नहीं हुआ है, जो राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए अनिवार्य है। (bjp president)

हैरानी की बात यह है कि ज्यादातर बड़े राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव अभी तक नहीं हुआ है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, तेलंगाना, झारखंड, हरियाणा आदि राज्यों के चुनाव नहीं हुए हैं, जबकि छोटे छोटे राज्यों या पूर्वोत्तर के राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों में चुनाव हो गया है।

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भाजपा का अध्यक्ष तय नहीं…(bjp president)

अगर बड़े राज्यों की बात करें तो पश्चिम बंगाल एक बड़ा राज्य है, जहां प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव अभी तक नहीं हुआ है। अगले साल बंगाल में विधानसभा का चुनाव होने वाले हैं और उससे पहले भाजपा तय नहीं कर पा रही है कि किसको अध्यक्ष बनाया जाए।

इसका नतीजा यह है कि सुकांत मजूमदार प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी निभा रहे हैं, जबकि पिछले साल जून में ही वे  केंद्र सरकार में मंत्री बन गए थे। वे केंद्रीय राज्य मंत्री और प्रदेश अध्यक्ष दोनों भूमिका में हैं। (bjp president)

सवाल है कि करीब एक साल से किस वजह से पश्चिम बंगाल में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का फैसला नहीं कर पा रही है? क्या सुकांत मजूमदार को केंद्रीय मंत्री बनाते समय इस बारे में नहीं सोचा गया और उसके बाद क्या एक साल में उनका विकल्प ही नहीं मिल रहा है?

इसी तरह एक और बड़ा राज्य है महाराष्ट्र, जहां पिछले साल नवंबर में विधानसभा चुनाव के नतीजे आए थे। वहां भाजपा की सरकार बनी तो प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले को राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया। (bjp president)

उसके बाद चार महीने में भाजपा तय ही नहीं कर पाई है कि उनकी जगह प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा। सो, बावनकुले महाराष्ट्र के प्रदेश अध्यक्ष और राज्य की देवेंद्र फड़नवीस सरकार के राजस्व मंत्री की दोहरी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। झारखंड में विधानसभा चुनाव के नतीजे आए चार महीने हो गए हैं।

चार महीने बाद पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को विधायक दल का नेता बना दिया लेकिन प्रदेश अध्यक्ष का फैसला नहीं किया। अब वे प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष दोनों भूमिकाओं में हैं। (bjp president)

आमतौर पर भाजपा को समग्रता में फैसला करने वाली पार्टी माना जाता है। तभी यह अनुमान लगाया जा रहा था कि झारखंड में प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष का फैसला एक साथ होगा। परंतु कहा जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष का फैसला करने में अभी एक महीने का समय लगेगा।

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