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इंदौर में कांग्रेस का नोटा अभियान नहीं चला

मध्य प्रदेश की इंदौर लोकसभा सीट पर भाजपा वैसा खेला नहीं कर सकी, जैसा उसने गुजरात की सूरत सीट पर किया था। इंदौर में भी कांग्रेस उम्मीदवार ने पर्चा वापस ले लिया था लेकिन समय रहते सभी निर्दलीय और छोटी पार्टियों के उम्मीदवारों की नाम वापसी नहीं हुई, जिससे मतदान की नौबत आ गई। इंदौर लोकसभा सीट पर सोमवार यानी 13 मई को मतदान हुआ। इससे पहले कांग्रेस ने अभियान चलाया था कि उसके समर्थकों को नोटा पर वोट करना चाहिए। कांग्रेस ने एक तरह से नोटा को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। हालांकि एक बड़ा वर्ग यह कहता रहा कि किसी उम्मीदवार को समर्थन दिया जाए।

ध्यान रहे कांग्रेस ने मध्य प्रदेश की खजुराहो सीट समाजवादी पार्टी के लिए छोड़ी थी। सपा के उम्मीदवार का नामांकन खारिज होने के बाद कांग्रेस और सपा ने फॉरवर्ड ब्लॉक के उम्मीदवार को समर्थन दिया। लेकिन इंदौर में उसने ऐसा नहीं किया। कई नेता इसे रणनीतिक गलती मान रहे हैं। उनका कहना है कि सोमवार को मतदान के दिन नोटा का अभियान काम नहीं कर सका। ज्यादातर लोगों ने किसी न किसी उम्मीदवार के पक्ष में ही वोट किया। नोटा को पहले की तरह ही वोट पड़े। अब कांग्रेस के नेता इस बात को लेकर परेशान हैं कि अगर इंदौर लोकसभा सीट पर नोटा दूसरे नंबर पर नहीं आया तो क्या होगा? कायदे से अगर कांग्रेस समर्थक नोटा को वोट करते तो उसे लाख में वोट मिलना चाहिए और वह नंबर दो होना चाहिए। कांग्रेस नेता मान रहे हैं कि ऐसा नहीं हो रहा है। इससे कांग्रेस का मजाक बनेगा।

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