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विपक्षी पार्टियों के निशाने पर होगी कांग्रेस

यह लाख टके का सवाल है कि छह दिसंबर को होने वाली विपक्षी गठबंधन यानी ‘इंडिया’ की बैठक में क्या होगा? अलग अलग पार्टियों ने इसके बारे में संकेत देने शुरू कर दिए हैं। एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने हालांकि तीन राज्यों में कांग्रेस के चुनाव हारने की घटना को ज्यादा तवज्जो नहीं देते हुए कहा कि इसका कोई खास असर नहीं होगा। लेकिन दूसरी पार्टियां ऐसा नहीं सोचती हैं। आम आदमी पार्टी ने अपनी पोजिशनिंग कर ली है कि वह उत्तर भारत की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है। छह दिसंबर को दिल्ली में होने वाली बैठक में वह इसी अंदाज में अपनी बात रखेगी और कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करेगी।

इसी तरह समाजवादी पार्टी के नेता अपनी भड़ास निकालने की तैयारी में हैं। उनका कहना है कि कांग्रेस अगर ‘इंडिया’ की पार्टियों को साथ लेकर चलती तो हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में उसकी दशा इतनी खराब नहीं होती। इस काम में सपा का साथ देंगी बिहार की दोनों बड़ी प्रादेशिक पार्टियां यान राजद और जदयू। इन दोनों ने भी अपनी पोजिशनिंग शुरू कर दी है। जनता दल यू के एक नेता ने कहा है कि नीतीश कुमार ने विपक्ष को एकजुट करने की शुरुआत की थी लेकिन कांग्रेस ने उनको ही दरकिनार कर दिया। राजद और जदयू का कहना है कि अगर एकजुट होकर ‘इंडिया’ के रुप में कांग्रेस चुनाव लड़ने जाती तो वह राजद, जदयू, सपा, जेएमएम आदि नेताओं से भी प्रचार कराती लेकिन उसने चुनाव में किसी को नहीं पूछा। तभी ऐसा लग रहा है कि छह दिसंबर की बैठक में कांग्रेस को प्रादेशिक पार्टियों की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है। तृणमूल कांग्रेस भी कांग्रेस पर हमलावर है।

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