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  • विपक्ष के लिए एसआईआर करो या मरो का मुद्दा

    मतदाता सूची के विशेष गहन परीक्षण यानी एसआईआर का मुद्दा विपक्ष के लिए करो या मरो का मुद्दा है। तभी संसद का मानसून सत्र खत्म होने के बाद भी सभी विपक्षी पार्टियां इस पर एक होकर लड़ रही हैं। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने सीधा बगावत का ऐलान किया है। उन्होंने अपने प्रदेश के मतदाताओं से कहा है कि वे चुनाव आयोग को कोई भी जानकारी नहीं दें। बिहार में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव वोटर अधिकार यात्रा कर रहे हैं और पहली बार ऐसा हो रहा है कि महागठबंधन की सभी पार्टियों के नेता और कार्यकर्ता इसमें शामिल...

  • यह एकजुटता कैसे आगे चलेगी?

    मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर पर विपक्षी एकजुटता दिख रही है।  संसद में सभी पार्टियों ने मिल कर इस मामले में बहस की मांग की और चर्चा नहीं होने पर  संसद की कार्यवाही रोकी। सत्र के बाद भी कई विपक्षी पार्टियों ने इस मसले पर कांग्रेस के साथ एकजुटता दिखाई है और बिहार में चल रही राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा में उनके नेता शामिल हुए। लेकिन तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी ने इससे दूरी बनाई। उनकी पार्टी का कोई नेता यात्रा में शामिल नहीं हुआ और यह भी तय नहीं है कि एक सितंबर को...

  • विपक्ष ने फिर मौका गंवाया

    विपक्षी पार्टियां संसद के मानसून सत्र में एकजुट दिख रही हैं और सरकार के लिए मुश्किल भी खड़ी कर रही हैं लेकिन नैरेटिव सेट करने का मुद्दा हर बार की तरह इस बार भी गंवा दिया है। इस बार मौका था कि उप राष्ट्रपति के चुनाव का। जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद जैसे ही चुनाव आयोग ने उप राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव की घोषणा की और अधिसूचना जारी की वैसे ही विपक्ष को अपने उम्मीदवार की घोषणा कर देनी चाहिए थी। इस साल बिहार का चुनाव है और अगले साल पांच राज्यों के चुनाव हैं, जिनमें तीन दक्षिण...

  • विपक्ष को कूटनीति का सबक मिला

    उम्मीद करनी चाहिए कि भारत का विपक्ष भी इस बात को समझेगा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई सिर्फ सरकार की लड़ाई नहीं है, बल्कि देश की लड़ाई है। पाकिस्तान की ओर से पैदा किया जा रहा खतरा सिर्फ सरकार के लिए चुनौती नहीं है, बल्कि देश के लिए है और दुनिया के देशों को इतने गंभीर और अति संवेदनशील मसले पर भारत के साथ खड़ा करना सिर्फ सरकार की नहीं, बल्कि देश की जिम्मेदारी है, जिसमें विपक्ष भी शामिल है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में विपक्ष का व्यवहार क्या वैसा ही होना चाहिए, जैसा अभी विपक्ष कर रहा...

  • विपक्ष के समर्थन की समय सीमा है

    कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियों ने पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद सरकार के साथ एकजुटता दिखाई। 22 अप्रैल को हुए हमले के दो दिन बाद 24 अप्रैल को सर्वदलीय बैठक हुई, जिसमें कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे दोनों शामिल हुए। दोनों ने बैठक में और बैठक के बाद भी कहा कि वे सरकार के हर कदम का साथ देंगे। पहलगाम हमले के बाद खुफिया और सुरक्षा चूक का मुद्दा उठा था लेकिन तुरंत उसे दबा दिया गया और विपक्षी पार्टियां सरकार के समर्थन में खड़ी हो गईं। उन्होंने कहा कि सरकार जो भी कदम...

  • एक और जज्बाती मुद्दा

    स्टालिन की पहल के साथ लेफ्ट शासित केरल, कांग्रेस शासित कर्नाटक एवं तेलंगाना, आम आदमी पार्टी शासित पंजाब, और उड़ीसा की विपक्षी पार्टी बीजू जनता दल भी जुड़ गए हैं। पश्चिम बंगाल की टीएमसी भी कई मुद्दों पर उनके साथ है। (language row) भाषा, परिसीमन, और नई शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत राज्यों की स्वायत्तता के कथित हनन की शिकायत को जोड़ कर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन केंद्र के खिलाफ विपक्षी लामबंदी करने में सफल होते दिख रहे हैं। मकसद बेशक अगले चुनावों के मद्देनजर सियासी गोलबंदी है, फिर भी भाषा जैसे जज्बाती प्रश्नों में छिपी शक्ति को नजरअंदाज...

  • सबको ‘गठबंधन’ की जरुरत नहीं लगती!

    india alliance  : पुरानी कहावत है कि अपनी बुद्धि सबको अधिक लगती है। यह कहावत हर आम आदमी के लिए सही है लेकिन नेताओं के लिए कुछ ज्यादा ही सही है। सारे नेता अपने को सबसे बुद्धिमान और यहां तक कि सर्वज्ञ मानते हैं। अगर वह सत्ता में है तब तो वह समझता है कि उसकी बुद्धि के आगे सब फेल हैं। अपनी इसी ‘बुद्धिमता’ और ‘सर्वज्ञता’ में आमतौर पर नेता मुंह के बल गिरते हैं। जैसे दिल्ली में अरविंद केजरीवाल गिरे हैं। उनको भी चुनाव से पहले लग रहा था कि वे सब जानते हैं और दिल्ली में चुनाव...

  • डरो मत के मंत्र से ही विपक्ष बचेगा!

    राजनीति में संघर्ष करना पड़ता है। स्टालिन को कितना इंतजार करना पड़ा। जयललिता के रहते हुए उनके संघर्ष लगातार चलते रहे। सत्तर के होने से दो तीन साल पहले ही वे मुख्यमंत्री बन पाए। और अब विपक्ष की राजनीति में उनका महत्वपूर्ण स्थान है। और तमिलनाडु के वे एकमात्र बड़े नेता हैं। पक्ष विपक्ष दोनों जगह। शोले फिल्म का डायलाग राजनीति में बिल्कुल सही साबित हो रहा है। जो डर गया समझो वह मर गया! वहां भी मरने से मतलब मरना नहीं था। यहां भी नहीं है। कोई हैसियत न रह जाना। निपट जाना। या जैसे गांव कस्बों में कहा...

  • छाती पर बंधा छप्पन किलो का पत्थर

    delhi election result: अपनी छाती पर छप्पन किलो का पत्थर बांध कर चुपचाप यह स्वीकार कर लीजिए कि भारत की निर्वाचन व्यवस्था का राजीवकुमारकरण हो चुका है। जैसे राम-नाम सत्य है, वैसे ही अब यह भी अंतिम सत्य है कि चेहरा बदलेगा, चरित्र नहीं। ढाल बदलेगी, चाल नहीं। अगर आप सच्चे राष्ट्रवादी हैं तो नाहक चूंचपड़ से बाज़ आइए। हुक़्मउदूली के नतीजों की मिसालें अगर दस बरस में भी आप की आंखों के सामने से नहीं गुज़री हैं तो एक बार नज़रें घुमा कर देख लीजिए। फिर मत कहना कि पहले बताया नहीं। अगर सचमुच सब साफ़-सुथरा है और कहीं...

  • वहां विपक्ष और भारत में विपक्ष!

    अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप चार साल राष्ट्रपति रहे और चुनाव हार गए। चार साल विपक्ष में रहे तो उन्होंने क्या किया? पुराने ही मुद्दों की राजनीति। अपने विचार में डटे रहे। उन्होंने जिन समस्याओं को अपने कार्यकाल के दौरान पहचाना था और दूर नहीं कर पाए थे उनको दूर करने के संकल्प पर ही उनकी विपक्षी राजनीति थी। क्या वह भारत में संभव है? नहीं है क्योंकि जो सरकार में आता है वह आते ही कहना शुरू कर देता है कि उसने एक साल में इतना काम कर दिया, जितना सौ साल में नहीं हुआ था! जब नेता यह मानने...

  • समरभूमि और मुमुक्षु भवन के दोराहे पर

    Opposition parties: बारात के जनवासे में साम्यवाद-समाजवाद की पुरवाई खोजने का बुद्धूपन जिन्हें करना है, करते रहें। फिर जो अब्दुल्ला अपने आप ही बारात में शामिल हो गए हों और बिना किसी के कहे कत्थकली के आगाज़ को तांडव के अंजाम तक पहुंचाने में ख़ुद-ब-ख़ुद जान दिए जा रहे हों, दूल्हा-दुल्हन उन्हें क्यों कर अपने सिर पर ढोते फिरें? अब्दुल्ला जानें, उन की दीवानगी जाने और उन का काम जाने। अब्दुल्लाओं को अगर यह नहीं मालूम कि जिन शादियों को वे अपने घर का उत्सव मान रहे हैं, वह बेगानों की है तो कोई क्या करे? also read: ज्यादा से ज्यादा...

  • विपक्षी गठबंधन में युद्धविराम हो गया

    INDIA alliance: विपक्षी पार्टियों के गठबंधन यानी ‘इंडिया’ में युद्धविराम हो गया है। कुछ दिन पहले ऐसा लग रहा था कि सारी पार्टियां एक दूसरे से लड़ रही हैं और यह गठबंधन ज्यादा दिन नहीं चलने वाला है। सबसे पहले नेतृत्व का सवाल था, जिसे लेकर कांग्रेस की पुरानी सहयोगी पार्टियां भी ममता बनर्जी का साथ दे रही थीं। असल में शिगूफा ममता बनर्जी ने ही छेड़ा था और उसके बाद शरद पवार की पार्टी से लेकर उद्धव ठाकरे की पार्टी और अखिलेश यादव की पार्टी से लेकर लालू प्रसाद की पार्टी तक के नेता ममता बनर्जी को नेता बनाने...

  • अडानी मुद्दे से कन्नी काटती विपक्षी पार्टियां

    Opposition Parties Gautam Adani Issue: यह संयोग है या प्रयोग कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी ने संसद के शीतकालीन सत्र में कांग्रेस के कन्नी काटी और अडानी मुद्दे पर संसद ठप्प करने में शामिल होने से इनकार किया। उसके बाद ममता बनर्जी के विपक्षी गठबंधन का नेता बनने की चर्चा शुरू हो गई? यह सही है कि ममता बनर्जी ने खुद ही चर्चा शुरू कराई। उन्होंने कहा कि, ‘इंडिया’ ब्लॉक का गठन उन्होंने किया है और इसलिए मौका मिले तो उसका नेतृत्व करना चाहेंगी। हालांकि हकीकत यह है कि विपक्ष का गठबंधन बनाने का ममता का,...

  • फिर विपक्ष को क्या करना चाहिए?

    PM Modi Opposition Parties: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी के नेता अक्सर ऐसा कहते रहते हैं कि जिन लोगों को जनता ने ठुकरा दिया या जिनको जनता ने हरा दिया वे ऐसा कर रहे हैं या वैसा कर रहे हैं। सवाल है कि जिनको जनता ने हरा दिया या ठुकरा दिया यानी जिनको विपक्ष में बैठने का जनादेश दिया, उनको क्या करना चाहिए? उनको चुपचाप विपक्ष में बैठना चाहिए और यह मान कर काम करना चाहिए कि जिन लोगों ने जनता ने जिताया है या जिनकी सरकार बनवाई है उनके खिलाफ कुछ नहीं बोलना चाहिए? प्रधानमंत्री मोदी ने संसद...

  • विपक्ष को क्या जेपीसी से निकलना है?

    कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियां क्या वक्फ बोर्ड बिल पर विचार के लिए बनी संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी से बाहर निकलना चाहती हैं? यह बड़ा सवाल है क्योंकि जेपीसी की बैठकों को लेकर विपक्ष का जिस तरह का व्यवहार है वह सकारात्मक नहीं है। भाजपा के एक जानकार नेता का कहना है कि किसी तरह से अब विपक्ष के सांसद इससे पीछा छुड़ाना चाहते हैं। उनको लग रहा है कि अगर वे अंत तक रहे और जेपीसी ने वक्फ बोर्ड बिल में बदलाव की सिफारिशें कीं तो इन पार्टियों के लिए अपने मुस्लिम वोट बैंक को जवाब देना भारी...

  • जेपीसी की बैठक में जोरदार हंगामा, विपक्षी दलों ने किया वॉकआउट

    नई दिल्ली। वक्फ (संशोधन) विधेयक - 2024 पर विचार- विमर्श करने के लिए बुलाई गई जेपीसी की बैठक में सोमवार को भी जबरदस्त हंगामा हुआ। विपक्षी दलों के सांसदों ने आरोप लगाया कि बैठक में फर्जी प्रजेंटेशन दिया जा रहा है और इसी पर चर्चा भी कराई जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली वक्फ बोर्ड के प्रजेंटेशन के दौरान विपक्षी दलों ने उसकी वैधता पर ही सवाल उठाते हुए हंगामा शुरू कर दिया। विपक्षी सांसदों की तरफ से तर्क दिया गया कि दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी पहले ही जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल को पत्र लिखकर यह अनुरोध कर चुकी...

  • विपक्ष की सुने सरकार

    निज्जर मामले में भारत-कनाडा के बिगड़ते संबंधों पर चर्चा के लिए संसद के दोनों सदनों में विपक्षी दलों के नेताओं एवं अन्य सभी राजनीतिक दलों की साझा बैठक बुलाने की विपक्ष की मांग पर केंद्र को तुरंत ध्यान देना चाहिए। हकीकत है कि खालिस्तानी उग्रवादी हरदीप सिंह निज्जर के मामले में भारत के सामने मुश्किल स्थिति खड़ी हो गई है। अमेरिका ने दो टूक कहा है कि इस विवाद में वह कनाडा के साथ है। उसने भारत से कनाडा के आरोपों को गंभीरता से लेने को कहा है। ब्रिटेन ने भी ऐसा ही रुख अपनाते हुए भारत से कनाडा की...

  • सरकार विपक्ष की ताकत आंक रही है

    एक देश, एक चुनाव का फैसला अभी तुरंत नहीं होने जा रहा है। इस साल शीतकालीन सत्र में विधेयक आएगा, इसको लेकर भी कोई पक्के तौर पर दावा नहीं कर रहा है। अगर बिल आ भी जाता है तो यह तय माना जा रहा है कि उसे संयुक्त संसदीय समिति में भेजा जाएगा। कुल मिला कर स्थिति यह है कि सरकार ने ठहरे हुए पानी में एक पत्थर फेंक कर यह देखने का प्रयास किया है कि कितनी लहरें उठती हैं। यानी उसने विपक्ष की ताकत का आकलन करने के लिए यह दांव चला है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की...

  • विपक्ष के पास भी कहानी नहीं

    संदेह नहीं है कि नई सदी के पहले दशक में जिस भारत गाथा की चर्चा शुरू हुई थी और भारत को लेकर दुनिया में जो कौतुक बना था वह कहानी पटरी से उतर गई है। दस साल पहले प्रधानमंत्री पद के दावेदार के तौर पर चुनाव लड़ रहे नरेंद्र मोदी ने देश के लोगों को जो कहानी सुनाई थी वह दुखांत की ओर बढ़ गई या दुखांत तक पहुंच गई है। इसमें भी संदेह नहीं है कि विपक्ष की ओर से पीएम पद के दावेदार के तौर पर उन्होंने सचमुच नई कहानी सुनाई थी और देश के लोगों को चमत्कृत...

  • विपक्ष की बिखरती साझा राजनीति

    लोकसभा चुनाव के बाद विपक्षी पार्टियों का गठबंधन ‘इंडिया’ बिखरता लगता है। संसद के अंदर जरूर विपक्षी पार्टियां कुछ मसलों पर तालमेल करके सरकार के खिलाफ स्टैंड लिए हुए हैं लेकिन संसद के बाहर की राजनीति में सभी पार्टियां अपने अपने हिसाब से काम कर रही हैं। कह सकते हैं कि राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष का गठबंधन अब वैसा नहीं रहा है, जैसा लोकसभा चुनाव से पहले बना था और चुनाव नतीजों के बाद दिखा था। संसद के अंदर ‘इंडिया’ के 204 और तृणमूल कांग्रेस के 29 सांसद एक साथ होते हैं लेकिन संसद के बाहर तृणमूल कांग्रेस की ममता...

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