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23-03-2025 Vol 19

विपक्षी गठबंधन में युद्धविराम हो गया

INDIA alliance: विपक्षी पार्टियों के गठबंधन यानी ‘इंडिया’ में युद्धविराम हो गया है। कुछ दिन पहले ऐसा लग रहा था कि सारी पार्टियां एक दूसरे से लड़ रही हैं और यह गठबंधन ज्यादा दिन नहीं चलने वाला है।

सबसे पहले नेतृत्व का सवाल था, जिसे लेकर कांग्रेस की पुरानी सहयोगी पार्टियां भी ममता बनर्जी का साथ दे रही थीं।

असल में शिगूफा ममता बनर्जी ने ही छेड़ा था और उसके बाद शरद पवार की पार्टी से लेकर उद्धव ठाकरे की पार्टी और अखिलेश यादव की पार्टी से लेकर लालू प्रसाद की पार्टी तक के नेता ममता बनर्जी को नेता बनाने की मांग करने लगे थे।

ऐसा शोर मचा था, जिससे लगने लगा था कि या तो विपक्षी गठबंधन के चेहरे के तौर पर राहुल गांधी रिप्लेस होंगे या गठबंधन टूटेगा।

नेतृत्व के अलावा दूसरा मसला दिल्ली में आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल के ऊपर कांग्रेस के हमले का था।(INDIA alliance)

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कांग्रेस के पुराने नेता और सोनिया गांधी परिवार के भरोसेमंद अजय माकन ने अरविंद केजरीवाल को फ्रॉड और देश विरोधी बता दिया था।

इसे लेकर आम आदमी पार्टी ने ऐलान किया था कि कांग्रेस नेतृत्व माकन के खिलाफ कार्रवाई करे नहीं तो वह कांग्रेस को विपक्षी गठबंधन से निकालवाने के लिए अभियान छेड़ेगी।

लेकिन अभी स्थिति ऐसी है कि पहले मोर्चे पर यानी नेतृत्व के सवाल पर शांति है। किसी ने भी पिछले दो हफ्ते से राहुल को हटा कर ममता बनर्जी को नेता बनाने की बात नहीं कही है।

इसी तरह आम आदमी पार्टी ने भी कांग्रेस को विपक्षी गठबंधन से निकलवाने का दोबारा जिक्र नहीं किया है। कांग्रेस के भी हमले कुछ कम हुए हैं क्योंकि अब आप और दिल्ली सरकार के ऊपर हमले की कमान खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संभाली है।

तभी आप के सारे नेता भाजपा और मोदी का जवाब देने में लगे हैं। कांग्रेस अब उनका निशाना नहीं है। दिल्ली में कांग्रेस अभी भाजपा का भी निशाना नहीं है।

राहुल गांधी नए साल मनाने गए(INDIA alliance)

दिलचस्प बात यह है कि राहुल गांधी नए साल की छुट्टी मनाने चले गए हैं। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन के बाद राहुल उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे लेकिन 27 दिसंबर के बाद वे छुट्टी पर चले गए।

फिर भी नेतृत्व का मुद्दा उठा रही विपक्षी पार्टियों का कोई बयान नहीं आया है। एक जानकार नेता का कहना है कि मनमोहन सिंह के निधन ने कांग्रेस के खिलाफ सहयोगी पार्टियों के अभियान को धीमा कर दिया है।

युद्धविराम जो अभी दिख रहा है वह स्थायी नहीं है। एक अन्य थ्योरी के मुताबिक महाराष्ट्र में गठबंधन की दोनों पार्टियों की राजनीति के कारण भी कंफ्यूजन बना है।

शरद पवार और उद्धव ठाकरे दोनों की पार्टियों के नेता मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस सरकार की तारीफ कर रहे हैं। शरद पवार और अजित पवार की पार्टी की एकजुटता की अटकलें भी जोरों पर हैं।

इसलिए भी विपक्ष में शांति बनी हुई है। एक तीसरी थ्योरी यह है कि लालू प्रसाद, जो सबसे ज्यादा उछल रहे थे और ममता बनर्जी को नेता बनाने की मांग कर रहे थे उनको समझ में आ गया है कि नीतीश कुमार एनडीए छोड़ कर उनके साथ नहीं आ रहे हैं।

अगर नीतीश साथ आ जाते तो राजद को कांग्रेस की जरुरत नहीं थी। लेकिन अब कांग्रेस के बिना काम नहीं चलना है।

वैसे भी उन्होंने राहुल की जगह ममता को नेता बनाने की जो बात कही थी उसका मकसद कांग्रेस पर दबाव बनाना था ताकि वह पिछली बार की तरह इस बार विधानसभा चुनाव में 70 सीटों की मांग न करे।

NI Political Desk

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