Wednesday

30-04-2025 Vol 19

एक और जज्बाती मुद्दा

स्टालिन की पहल के साथ लेफ्ट शासित केरल, कांग्रेस शासित कर्नाटक एवं तेलंगाना, आम आदमी पार्टी शासित पंजाब, और उड़ीसा की विपक्षी पार्टी बीजू जनता दल भी जुड़ गए हैं। पश्चिम बंगाल की टीएमसी भी कई मुद्दों पर उनके साथ है। (language row)

भाषा, परिसीमन, और नई शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत राज्यों की स्वायत्तता के कथित हनन की शिकायत को जोड़ कर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन केंद्र के खिलाफ विपक्षी लामबंदी करने में सफल होते दिख रहे हैं।

मकसद बेशक अगले चुनावों के मद्देनजर सियासी गोलबंदी है, फिर भी भाषा जैसे जज्बाती प्रश्नों में छिपी शक्ति को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।

धर्म और जाति केंद्रित गोलबंदी की राजनीति ने देश को पहले ही भटका रखा है। अब भाषा और प्रादेशिक पहचान के मुद्दों पर बढ़ रहे तनाव से एक और गंभीर चुनौती खड़ी होती दिख रही है। (language row)

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पुनर्विचार की जरूरत (language row)

स्टालिन की पहल के साथ लेफ्ट शासित केरल, कांग्रेस शासित कर्नाटक एवं तेलंगाना, आम आदमी पार्टी शासित पंजाब, और उड़ीसा की विपक्षी पार्टी बीजू जनता दल भी जुड़ गए हैं। पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस भी कई मुद्दों पर उनके साथ है। (language row)

22 मार्च को चेन्नई में आयोजित विपक्षी बैठक में इस लामबंदी का अगला एजेंडा जाहिर होगा। बहरहाल, यह साफ है कि केंद्र में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी ने सत्ता के केंद्रीकरण एवं अपने वैचारिक एजेंडे को लागू करने का जो उत्साह दिखाया है

उस पर कई सियासी हलकों में विपरीत प्रतिक्रिया उभर रही है। इसलिए यह सही वक्त है, जब इस मसले को गंभीरता से लिया जाए। भाषा और एनईपी के मुद्दों पर भरोसे का माहौल बनाने की जरूरत है। (language row)

परिसीमन पेचीदा सवाल है। लोकसभा में आबादी की संचरना का प्रतिनिधित्व ना हो, तो उससे सदन का लोकतांत्रिक चरित्र प्रभावित होता है। इसीलिए संविधान में राज्यसभा की कल्पना राज्यों के सदन के रूप में की गई थी।

मगर राजनीतिक दलों ने इसे जनता का सामना करने के अनिच्छुक नेताओं तथा निहित स्वार्थों के प्रतिनिधियों का सदन बना दिया। अब इस सारे घटनाक्रम पर पुनर्विचार की जरूरत है। (language row)

गौरतलब है कि अमेरिका में प्रतिनिधि-सभा में राज्यों को आबादी के अनुपात में, लेकिन सीनेट में हर राज्य को बराबर- दो सीटें देकर ऐसी समस्या का हल निकाला गया है।

क्या वर्तमान भारतीय राजनीतिक नेतृत्व में ऐसा अभिनव समाधान निकालने की इच्छाशक्ति है? निर्विवाद है कि देश के दीर्घकालिक हित में ऐसा करना आवश्यक हो गया है। (language row)

NI Editorial

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