नौ कैरेट और 14 कैरेट के गहनों की शायद ही पहले कभी मांग रही हो, जैसी अब है। जबकि नौ कैरेट सोने का भाव भी प्रति दस ग्राम लगभग 35 हजार रुपये और 14 कैरेट सोने का तकरीबन 59 हजार रुपये है।
भारत में स्वर्ण के रिटेल कारोबारियों की उम्मीद अब हलके जेवरात पर टिकी है। कारण सोने का इतना महंगा हो जाना है, जिससे भारत के महंगे गहने अब आम उपभोक्ताओं की पहुंच से बाहर हो गए हैं। नौ कैरेट और 14 कैरेट के गहनों की शायद ही पहले कभी ऐसी मांग रही हो, जैसी अब बनी है। जबकि इस समय नौ कैरेट सोने का भाव भी प्रति दस ग्राम लगभग 35 हजार रुपये और 14 कैरेट सोने का तकरीबन 59 हजार रुपये है। प्रति दस ग्राम 24 कैरेट सोने का भाव एक लाख रुपये के पास है, जबकि 22 कैरेट 91-92 हजार रुपये में मिल पा रहा है। भारत में सोने के गहनों का खास सांस्कृतिक महत्त्व रहा है। मगर अब उन लोगों के लिए ऐसे तकाजों को पूरा करना मुश्किल हो गया है, जिनका बजट एक लाख रुपये कम हो।
कम बजट वाले खरीदारों के बाजार से बाहर हो जाने का ही नतीजा है कि बीते जून में सोने की बिक्री में 60 फीसदी की अभूतपूर्व गिरावट दर्ज हुई। ऐसी गिरावट सिर्फ कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन के समय देखने को मिली थी। लेकिन वह असाधारण समय था। बहरहाल, सोने की ये महंगाई वक्ती नहीं है। यह विश्व वित्तीय व्यवस्था में तेजी से आ रहे बदलावों का नतीजा है। 1971 के बाद ऐसा पहली बार हो रहा है, जब दीर्घकालिक ट्रेंड के तौर पर सेंट्रल बैंक एवं निवेशक डॉलर की जगह सोने का भंडार बना रहे हैं।
कई देश तो डॉलर बेच कर सोना खरीद रहे हैं। यह अमेरिकी डॉलर की गिरती साख और उसमें घट रहे भरोसे का संकेत है। अब तक डॉलर विश्व मुद्रा है, मगर अनेक देश अब अपनी मुद्राओं में अंतरराष्ट्रीय भुगतान को तरजीह दे रहे हैं। ऐसे में अपनी मुद्रा को मजबूत बनाने के क्रम में उनके लिए अपने भंडार में सोना रखना जरूरी हो गया है। तो गुजरे तीन वर्षों में जितने संगठित ढंग से सोने की खरीदारी हुई है, वैसे गुजरे दशकों में कभी नहीं हुआ। नतीजतन दुनिया भर में सोना महंगा हुआ है। और इसी की मार भारतीय उपभोक्ता झेल रहे हैं।