चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान कॉरपोरेट अधिकारियों के साथ एक सेमीनार में शामिल हुए। वहां उन्होंने जो भाषण दिया, उससे रक्षा उत्पादन में कॉरपोरेट सेक्टर के प्रदर्शन पर सेना में बढ़ते असंतोष की झलक मिली।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने कॉरपोरेट सेक्टर से कहा है कि मुनाफा प्रेरित अपने कारोबार में वे कुछ राष्ट्रवाद एवं देश-भक्ति भी दिखाएं। जनरल चौहान कॉरपोरेट अधिकारियों के साथ एक सेमीनार में शामिल हुए। वहां उन्होंने जो भाषण दिया, उससे रक्षा उत्पादन में कॉरपोरेट सेक्टर के प्रदर्शन पर सेना में बढ़ते असंतोष की झलक मिली। यहां ऑपरेशन सिंदूर के कुछ ही दिन बाद दिया गया वायु सेनाध्यक्ष एयर मार्शल एपी सिंह का एक भाषण सहज याद आया, जिसमें उन्होंने रक्षा आपूर्ति में देर से सैनिकों के लिए पैदा होने वाले जोखिम का जिक्र किया था। देर का उल्लेख सीडीएस ने भी किया। इसके साथ उन्होंने दो और मुद्दे उठाएः इनमें एक है उत्पादन के पूर्णतः देसी होने के दावे और हकीकत के बीच फर्क का। दूसरा है कीमत का।
जनरल चौहान ने कहा कि कंपनियों को उत्पाद के देसी होने के संबंध में सच बोलना चाहिए। ऐसा हुआ है, जब कोई उत्पाद यह कह कर बेचा गया कि वह 70 प्रतिशत देसी है, मगर हकीकत में ऐसा नहीं था। सीडीएस के मुताबिक यह पहलू अहम है, क्योंकि इसका संबंध सुरक्षा से है। संभवतः उनका इशारा इस ओर था कि विदेशी उपकरणों के हैक होने या उनसे सूचनाएं उनके स्रोत देश में पहुंच जाने की आशंका रहती है। ऐसे उपकरणों का इस्तेमाल कंपनियां इसलिए करती हैं, क्योंकि वे किफायती पड़ती हैं। कीमत के मुद्दे पर सीडीएस ने कंपनियों को सलाह दी कि वे प्रतिस्पर्धी लागत से उत्पाद तैयार करें, ताकि विदेशों में भी उनको बाजार मिल सके।
ये सब बातें तब कही गई हैं, जब भारत में रक्षा उत्पादन के उत्तरोत्तर निजीकरण एवं रक्षा निर्यात बढ़ने की कहानियां चर्चा में हैं। मगर उनसे भारत की सुरक्षा को कितनी मदद मिली है, यह सेना के सर्वोच्च पदों पर बैठे अधिकारी सार्वजनिक रूप से बता रहे हैं। वे वह कह रहे हैं, जो उनका अनुभव है। वे वो सलाह दे रहे हैं, जो उनके दायरे में है। नीति निर्माता इससे सबक लें तो यह देश के लिए बेहतर होगा। वरना, ना सिर्फ सैनिकों, बल्कि देश की सुरक्षा के लिए भी जोखिम बढ़ता जाएगा।


