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01-06-2025 Vol 19

विपक्ष की बिखरती साझा राजनीति

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लोकसभा चुनाव के बाद विपक्षी पार्टियों का गठबंधन इंडियाबिखरता लगता है। संसद के अंदर जरूर विपक्षी पार्टियां कुछ मसलों पर तालमेल करके सरकार के खिलाफ स्टैंड लिए हुए हैं लेकिन संसद के बाहर की राजनीति में सभी पार्टियां अपने अपने हिसाब से काम कर रही हैं। कह सकते हैं कि राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष का गठबंधन अब वैसा नहीं रहा है, जैसा लोकसभा चुनाव से पहले बना था और चुनाव नतीजों के बाद दिखा था। संसद के अंदर इंडियाके 204 और तृणमूल कांग्रेस के 29 सांसद एक साथ होते हैं लेकिन संसद के बाहर तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी कांग्रेस विरोध की राजनीति करती हैं तो कांग्रेस पार्टी को आम आदमी पार्टी का विरोध करना होता है। अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने भी कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोला है। 

नीति आयोग की बैठक के मामले में विपक्षी गठबंधन का यह बिखराव दिखा है। 23 जुलाई को आम बजट पेश होने के एक दिन बाद 24 जुलाई को कांग्रेस की ओर से ऐलान किया गया कि इंडियाकी पार्टियां नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक में शामिल नहीं होंगी। डीएमके नेता एमके स्टालिन ने अलग से इसकी घोषणा की और फिर आम आदमी पार्टी की ओर से भी कहा गया कि उसके मुख्यमंत्री भी बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे। लेकिन तृणमूल कांग्रेस की नेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नीति आयोग की बैठक में हिस्सा लेने दिल्ली पहुंच गईं। कह सकते हैं कि ममता बनर्जी औपचारिक रूप से इंडियाका हिस्सा नहीं हैं। लेकिन मजेदार बात यह है कि उन्होंने दिल्ली पहुंचने पर कहा कि इंडियाकी ओर से उनको कुछ नहीं कहा गया था इसलिए वे बैठक में शामिल होने पहुंच गईं। सोचें, जब विपक्ष का गठबंधन नहीं था तब पिछले साल उन्होंने नीति आयोग की इस बैठक का बहिष्कार किया था इस बार गठबंधन है और उसके नेता बैठक का बहिष्कार कर रही हैं तो ममता उसमें शामिल हुईं। 

इसी तरह आम आदमी पार्टी की ओर से 30 जुलाई को दिल्ली के जंतर मंतर पर एक प्रदर्शन का आयोजन किया गया है। कहा जा रहा है कि यह प्रदर्शन विपक्षी गठबंधन इंडियाकी ओर से आयोजित हो रहा है। हालांकि इस बात की ज्यादा संभावना है कि कांग्रेस इस प्रदर्शन में नहीं शामिल हो। क्योंकि दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की ओर से आम आदमी पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोला जा चुका है। केजरीवाल की पार्टी ने भी हरियाणा की सभी 90 सीटों पर लड़ने का ऐलान कर दिया है। इसलिए संभव नहीं है कि केजरीवाल की रिहाई के लिए प्रदर्शन में कांग्रेस के नेता शामिल हों। सो, जिस तरह से ममता बनर्जी की शहीद दिवस की रैली में अखिलेश यादव शामिल हुए उसी तरह आम आदमी पार्टी की रैली में कुछ विपक्षी पार्टियों के नेता शामिल होंगे। तभी ऐसा लग रहा है कि इंडियाअब सिद्धांत रूप में है लेकिन व्यावहारिक राजनीति में सब अपने हिसाब से काम कर रहे हैं।  

NI Political Desk

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