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झारखंड का असर देश में होगा

'ए टू जेड

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले चरण के मतदान में कमी आने और मतदाताओं की उदासीनता की खबरें आने के बाद से एक परफेक्ट नेशनल नैरेटिव की तलाश में थे। वे कई मुद्दे आजमा रहे थे, जिसमें भ्रष्टाचार भी एक मुद्दा था। अब झारखंड ने उनको यह मुद्दा दे दिया है। प्रधानमंत्री ने इस पर बोलना भी शुरू कर दिया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मंगलवार को झारखंड में रैली थी और उससे एक दिन पहले सोमवार को ईडी ने नौ जगह छापे मारे और साढ़े 34 करोड़ रुपए की नकदी पकड़ी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य सरकार के मंत्री आलमगीर आलम के निजी सचिव के नौकर के यहां से 31 करोड़ रुपए मिले। इसी सिलसिले में एक अन्य ठेकेदार के यहां छापा मार गया था, जहां से तीन करोड़ रुपए मिले। इसके तुरंत बाद प्रधानमंत्री मोदी ने ओडिशा की सभा में कहा नोटों का पहाड़ मिल रहा है। उन्होंने कहा कि मोदी इनकी लूट का माल पकड़ रहा है और लूट बंद करा रहा है इसलिए ये लोग मोदी का विरोध कर रहे हैं।

झारखंड में इसका कितना असर होगा यह नहीं कहा जा सकता है लेकिन देश के दूसरे हिस्सों में इसका असर होगा। दूसरे हिस्सों का मतलब है कि भाजपा का शहरी और मध्य वर्ग का जो कोर वोट है और जिसमें इस बार एक उदासीनता दिख रही है उसके बीच यह मुद्दा काम कर सकता है। इससे उनके इस विश्वास के दम मिलेगा कि कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियां भ्रष्ट हैं और देश को लूटने वाली हैं। इससे विपक्ष के भ्रष्ट होने और मोदी के ईमानदार होने का नैरेटिव मजबूती से स्थापित होगा। जो मतदाता 2011 के इंडिया अगेंस्ट करप्शन के आंदोलन से प्रभावित होकर कांग्रेस के खिलाफ हुए लेकिन 10 साल के भाजपा राज से भी खुश नहीं हैं तो उनको इस घटना से भाजपा के साथ जुड़े रहने का एक बहाना मिलेगा।

कांग्रेस को जिस शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है वह अलग मामला है और इसके लिए खुद कांग्रेस ही जिम्मेदार है। कांग्रेस के सभी नेताओं को पता था कि आलमगीर आलम ईडी की रडार पर हैं। उनके खिलाफ कई तरह की शिकायतें हैं, जिनकी जांच हो रही है। पिछले एक साल से यह भी चर्चा थी कि किसी भी समय उनके या उनके करीबियों के यहां छापा पड़ सकता है। ऐसा नहीं है कि इसी सरकार में उनके कामकाज की जांच हो रही थी। पहले भी जब वे विधानसभा के अध्यक्ष थे तब विधानसभा में भर्तियों को लेकर उनके खिलाफ शिकायत हुई थी और एजेंसियों ने उसकी जांच की थी। तभी सवाल है कि कांग्रेस ने उनको बदला क्यों नहीं? जनवरी के आखिर में जब तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन गिरफ्तार हुए और चंपई सोरेन मुख्यमंत्री बने तो इस बात की चर्चा थी कि कांग्रेस अपने कोटे के चारों मंत्रियों को बदल सकती है। अगर उस समय कांग्रेस ने मंत्री बदल दिए होते तो इतनी शर्मिंदगी नहीं झेलनी पड़ती। लेकिन पता नहीं किस कारण से कांग्रेस ने सभी पुराने मंत्रियों को बनाए रखा।

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