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विदेश मंत्री भी एससीओ के लिए चीन जाएंगे

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बाद अब विदेश मंत्री एस जयशंकर चीन जाएंगे और वह भी शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ की बैठक में हिस्सा लेने! सोचें, इसका क्या मतलब है? रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तीन दिन की यात्रा पर चीन गए थे, जहां वे किंगदाओ में एससीओ के रक्षा मंत्रियों की बैठक में शामिल हुए। इस बैठक के बाद ऐसा गतिरोध बना कि साझा बयान नहीं जारी हो सका। एससीओ के देशों ने जो साझा बयान तैयार किया था उसमें पहलगाम कांड का जिक्र नहीं था। उसकी बजाय पाकिस्तान के बलूचिस्तान में चल रही आजादी की लड़ाई को आतंकवाद बता कर उसका जिक्र किया गया था। इस वजह से राजनाथ सिंह ने साझा बयान पर दस्तखत नहीं किए और बयान नहीं जारी हुआ।

अब 14 और 15 जुलाई को एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक होने वाली है। उसमें हिस्सा लेने के लिए जयशंकर चीन को तियानजिन जाएंगे। क्या इस बार विदेश मंत्री साझा बयान में पहलगाम कांड को शामिल करा पाएंगे और साझा बयान जारी होगा? अगर ऐसा होता है तब तो यात्रा की कोई सार्थकता होगी, अन्यथा इसका कोई मतलब नहीं होगा। ध्यान रहे पहलगाम कांड के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए आतंकवादी ठिकानों को नष्ट किया था और उसके बाद 59 नेताओं, सांसदों व राजदूतों को दुनिया भर के देशों में भेजा था। लेकिन भारत ने एससीओ के किसी देश में डेलिगेशन नहीं भेजा। संभवतः इसलिए क्योंकि भारत को पता है कि इस मामले में एससीओ देशों का क्या रुख है। फिर भी बार बार अपने मंत्रियों को उसकी बैठक में भेजने का अर्थ समझ से परे है।

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